भोपाल: मध्य प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक घमासान जारी है. कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग करने के आरोप लगाए थे. दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव हार चुके और मध्यप्रदेस की राजनीति में हाशिये पर खड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक गुट ने कमलनाथ सरकार पर नजरें तिरछी कर ली है. कांग्रेस के 8 विधायक पाला बदलने की तैयारी में हैं और कमलनाथ इन विधायकों को भाजपा के साथ होने की बात स्वीकार कर चुके हैं. इनमें ग्वालियर के कई विधायक शामिल हैं. आपको बता दें कि वर्तमान घटनाक्रम पर सिंधिया ने किसी तरह का बयान देना उचित नहीं समझा. खास बात यह कि सिंधिया इस घटनाक्रम से खुद को अलग रखने का दिखावा कर रहे हैं जो कमलनाथ सरकार को खतरे में डालने के लिये पर्याप्त है.
कमलनाथ सरकार पर हमलावर रहते हैं सिंधिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य के बागी तेवर कमलनाथ सरकार पर हमेशा तल्ख रहे हैं. कई बार वे कमलनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं और कड़ी चेतावनी तक दे चुके हैं. सिंधिया ने ग्वालियर में मुख्यमंत्री कमलनाथ को चेतावनी देते हुए कहा था कि मैं जनता का सेवक हूं और जनता के मुद्दों के लिए लड़ना मेरा धर्म है. जिन मुद्दों को कमलनाथ ने अपने वचन पत्र में शामिल किया है उन्हें पूरा करना ही होगा. अगर ऐसा नहीं होगा तो हमें सड़क पर उतरना होगा और प्रतिकार करना होगा.
सिंधिया के बयान पर कमलनाथ ने की थी तीखी प्रतिक्रिया
सिंधिया के बयान उस बयान (किसानों की कर्जमाफी नहीं होने पर सड़क पर उतरूंगा) पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीधा जवाब देते हुए कहा, 'तो उतर जाएं'. मुझे ऐसे लोगों के बयानों की चिंता नहीं है.
कांग्रेस के बागी विधायकों का सिंधिया से रहता है संपर्क
माना जा रहा है कि जब से कमलनाथ सरकार पर संकट आया है तब से ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से एक भी बयान नहीं आया है. इससे ये कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं वही तो कमलनाथ सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं. उल्लेखनीय बात ये है कि जिन विधायकों ने बागी रुख अपनाया है और भाजपा के नरोत्तम मिश्र के संपर्क में है वे सभी सिंधिया गुट के विधायक माने जाते हैं.
कमलनाथ पर प्रदेश अध्यक्ष न बनने देने से खफा सिंधिया
सिंधिया के नए सियासी दांव में देखने में आया है कि उनके हाल के दौरों में हर गुट के नेता से वह मुलाकात करने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें वह ध्यान रखते हैं कि एक बार अपने समर्थक से न मिलें, लेकिन दूसरे खेमे के नेताओं से जरूर भेंट करें. यही कारण है कि उन्होंने बसपा विधायक रमाबाई को अपने गुट का हिस्सा बना लिया और आज वे कमलनाथ सरकार का विरोध कर रही हैं. सभी नाराज कांग्रेस विधायकों से सिंधिया हमेशा संपर्क रखते हैं. इस वजह से वे कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने में थोड़ा बहुत सफल रहे हैं.
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