नई दिल्ली: Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में चुनाव होने के बाद भी सियासी गर्मी बढ़ी हुई है. पूर्व CM एकनाथ शिंदे अपने पैतृक गांव जा चुके हैं. माना जा रहा है कि शिंदे को भाजपा मनमाफिक मंत्रालय नहीं दे रही, इस कारण वे नाराजगी दिखा रहे हैं. शिंदे के मुंबई में न रहने से महायुति के घटक दलों की बैठक टल गई है. सूबे में महायुति के नेताओं में असमंजस की स्थिति बन गई है. हालांकि, भाजपा शिंदे को मनाने की लगातार कोशिश कर रही है.
एकनाथ शिंदे को क्या चाहिए?
एकनाथ शिंदे को डिप्टी CM पद के साथ-साथ दो-तीन अन्य मंत्रालय भी चाहिए. इनमें अर्बन डवलपमेंट मिनिस्ट्री, राजस्व मंत्रालय और गृह मंत्रालय शामिल हैं. भाजपा ने शिंदे की ये डिमांड करीब-करीब मांग ली हैं. लेकिन पेंच सिर्फ गृह मंत्रालय पर अटका है. भाजपा नहीं चाहती कि ये पद सहयोगी दलों के पास जाए. जबकि शिंदे लगातार गृह मंत्रालय की मांग कर रहे हैं. इस बात पर सहमति बनते ही महाराष्ट्र की सियासत में छाए हुए असमंजस के बादल छट जाएंगे.
गृह मंत्रालय में ऐसा क्या खास?
दरअसल, मुख्यमंत्री के बाद राज्य में गृह मंत्री ही सबसे अधिक ताकतवर माना जाता है. यही कारण है कि ज्यादातर मुख्यमंत्री इस गृह विभाग को अपने पास ही रखते हैं, अपनी पार्टी के किसी अन्य नेता के हाथ में भी ये नहीं सौंपना चाहते. CM के बाद गृह मंत्री सबसे पावरफुल इसलिए माना जाता है, क्योंकि उसके पास पुलिस समेत राज्य की सभी जांच एजेंसियां होती हैं. सियासी लोग इस गृह मंत्रालय के जरिये अपने विरोधियों से भी निपटते हैं. गृह मंत्रालय के जरिये साम दाम दंड भेद वाली राजनीति की जा सकती है.
अशोक गहलोत और सचिन पायलट का किस्सा
साल 2020 में राजस्थान के तत्कालीन डिप्टी CM सचिन पायलट ने सरकार से बगावत कर दी थी. सूबे में कांग्रेस की सरकार थी, अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हुआ करते थे. सरकार पर गहरा संकट आ गया था. इसी दौरान एक रिकॉर्डिंग वायरल हुईं जिसमें कथित तौर पर पायलट गुट के एक विधायक और राजस्थान भाजपा के एक दिग्गज नेता के बीच सरकार गिराने को लेकर बातचीत हो रही थी. तब ये आरोप लगा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने इंटेलिजेंस एजेंसियों का दुरुपयोग करते हुए कॉल रिकॉर्ड कराए, क्योंकि गृह विभाग भी गहलोत के पास ही था. गहलोत ने तब सरकार बचा ली. जानकारों ने कहा कि गहलोत के पास गृह विभाग था, इसलिए सरकार बच गई. तब अशोक गहलोत के OSD रहे लोकेश शर्मा ने कांग्रेस के विधानसभा चुनाव हारने के बाद खुलासा किया कि CMR में नेताओं की कॉल रिकॉर्डिंग सुनी जाती थी, फिर उनका ट्रांसक्रिप्शन मुख्यमंत्री को दिया जाता था. लोकेश शर्मा अब भी अपने आरोपों पर अडिग हैं, उनका दावा है कि गहलोत ने एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया था. इस किस्से से आप समझ सकते हैं कि गृह मंत्रालय सरकार में सबसे महत्वपूर्ण विभाग क्यों है.
राजीव गांधी और चंद्रशेखर का किस्सा
नवंबर 1990 में राजीव गांधी के बाहरी समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने थे. तब गृह विभाग चंद्रशेखर ने अपने पास ही रखा. 2 मार्च, 1991 को दो कांस्टेबल प्रेम सिंह और राज सिंह को राजीव गांधी के निवास 10 जनपथ के बाहर से गिरफ्तार किया गया था. कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के इशारे पर राजीव गांधी की जासूसी करवाई जा रही थी. चंद्रशेखर खुद ही गृह विभाग संभाल रहे थे, इसलिए ये आरोप और पुख्ता तरीके से लगाए गए. दोनों कांस्टेबल ने भी स्वीकार किया कि उन्हें कोई जानकारी इकट्ठी करने के लिए भेजा गया था. नतीजतन, 6 मार्च, 1991 को चंद्रशेखर को इस्तीफा देना पड़ा. इससे आप समझ सकते हैं कि जिसके पास गृह विभाग होता है वह कितना मजबूत हो जाता है.
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