Explainer: क्या है स्पेस इकोनॉमी, जिसको बजट में मिले 1000 करोड़ रुपए... इससे क्या फायदा होगा?

Space Economy Budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में स्पेस इकोनॉमी के लिए 1000 करोड़ रु जारी किए हैं. इससे निजी स्पेस कंपनियों, स्टार्टअप्स और स्पेस टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा. आगामी एक दशक में भारत की स्पेस इकोनॉमी 3.68 लाख करोड़ रुपये की हो सकती है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jul 24, 2024, 11:05 AM IST
  • स्पेस टूरिज्म बढ़ सकता है
  • निजी कंपनियों को फायदा
Explainer: क्या है स्पेस इकोनॉमी, जिसको बजट में मिले 1000 करोड़ रुपए... इससे क्या फायदा होगा?

नई दिल्ली: Space Economy Budget: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश किया है. इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1000 करोड़ रु जारी किए. इसके बाद से ही ये चर्चा हो रही है कि स्पेस इकोनॉमी क्या है? जिसके लिए वित्त मंत्री ने इतने पैसे दे दिए हैं. एक सवाल ये भी है कि इसमें पैसा इन्वेस्ट करने से भारत को क्या फायदा होगा. आइए, जानते हैं इन सवालों के सारे जवाब.

एक दशक में 5 गुना बढ़ेगी स्पेस इकोनॉमी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान संसद में बताया कि अगले एक दशक यानी 10 साल में स्पेस इकोनॉमी 5 गुना बढ़ जाएगी. फिलहाल स्पेस इकोनॉमी 8.4 बिलियन डॉलर यानी 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की है. आगामी एक दशक में ये बढ़कर 3.68 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. यदि ये इस तरह से बढ़ेगी तो ग्लोबल स्पेस इकॉनमी में भारत का हिस्सा करीब 8% हो जाएगा, जो फिलहाल 2% ही है. 

स्पेस इकोनॉमी क्या है? (What is Space Economy)
अंतरिक्ष से जुड़ी रिसर्च, मैनेजमेंट, उपकरण और संसाधनों के लिए एक राशि खर्च की जाती है, ताकि साइंस के क्षेत्र में देश विकास कर सके. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी के लिए बजट में राशि दी है. इसे ही स्पेस इकोनॉमी का बजट कहा जा रहा है. इस बजट से स्पेस से जुड़े उपकरणों को बनाने का भी खर्च निकाला जाएगा.

प्राइवेट स्पेस कंपनियों और स्टार्टअप्स को होगा फायदा
स्पेस इकोनॉमी को मिले हजार करोड़ के बजट से सबसे अधिक फायदा निजी स्पेस कंपनियों और स्पेस से जुड़े स्टार्टअप्स को हो सकता है. IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका ने इस बजट की सरहाना करते हुए कहा है कि इस फंड से प्राइवेट स्पेस कंपनियों और स्टार्टअप्स को फायदा होगा. ग्लोबल स्पेस मार्केट में भारत की ताकत बढ़ेगी. स्पेस-टेक स्टार्टअप अग्निकुल के सह-संस्थापक श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा है कि अब नए खिलाड़ी भी मैदान में आ सकेंगे. ये स्पेस इकोनॉमी के लिए बड़ा बूस्ट साबित हो सकता है.

मिशन 2035 और 2040 को लगेंगे पंख
भारत की नजरें लंबे समय से स्पेस पर टिकी हैं. साल 2035 तक भारत 'Indian Space Station' स्थापित करना चाहता है. भारत चाहता है कि 2040 तक कोई भारतीय चांद पर पहुंचे. लिहाजा, ऐसे प्रयासों के लिए मोटे पैसे की आवश्यकता होती है, इसे भारत सरकार द्वारा जारी किए गए बजट से बड़ा फायदा मिल सकता है.  

स्पेस टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
दुनियाभर में स्पेस टूरिज्म लगातार बढ़ रहा है. एलन मस्क की कंपनी SpaceX लोगों को अंतरिक्ष की सैर करवाती है. मुमकिन है कि भारत में स्पेस इकोनॉमी को बूस्ट करने से स्पेस टूरिज्म भी बढ़े. जैसे वर्जिन गैलेक्टिक ने स्पेस में अपने पांव जमाए हैं, ठीक इसी तरह से ऐसी कोई कंपनी भारत में भी स्थापित हो सकती है. स्पेस टूरिज्म से अच्छी-खासी इनकम भी होती है. वर्जिन गैलेक्टिक स्पेसक्राफ्ट में सवारयात्रियों से 450,000 डॉलर (भारतीय करेंसी के हिसाब से 3.75 करोड़ रुपये) वसूलती है. यदि स्पेस टूरिज्म भारत में शुरू होता है तो देश की अर्थव्यवस्था में भी ये सेक्टर अपना योगदान दे सकता है.

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