Farmer Protest: संवाद पर असमंजस बरकरार, जानिए कब होगा फैसला?

किसान आंदोलन को शुरू हुए 30 दिन हो चुके हैं और किसानों की एक ही मांग है कि मौजूदा कानून को रद्द किया जाए और अगर किसी तरह का कानून बनाना है तो किसानों के साथ मिल बैठकर बनाया जाए. हालांकि इसमें भी किसानों में दो राय है. सरकार से संवाद पर असमंजस बरकरार है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 25, 2020, 08:44 PM IST
  • किसान और सरकार के बीच बातचीत पर गतिरोध जारी
  • कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं किसान
Farmer Protest: संवाद पर असमंजस बरकरार, जानिए कब होगा फैसला?

नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Farmer Protest) के 30वें दिन अन्नदाता कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े हैं. इस बीच सरकार लगातार उनसे संवाद कर मनाने में जुटी है, कृषि मंत्री, गृह मंत्री और देश के प्रधानमंत्री लगातार कृषि कानून के फायदे बता रहे हैं. लेकिन संवाद को लेकर किसान संगठनों में असमंजस बरकरार है.

'जिद' के आगे संवाद है!

शक्रवार को सिंघु बॉर्डर (Singhu Borer) पर संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक हुई. सरकार के प्रस्ताव पर किसानों ने चर्चा किया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया. ऐसे में एक बार फिर किसान शनिवार को सरकार से संवाद के लिए मंथन करेंगे. सरकार से वार्ता करनी है या नहीं इस पर मंथन होगा.

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सरकार को राकेश टिकैत की चेतावनी

किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने सरकार को बड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर लेकर परेड में किसान जाएंगे. तिरंगे के साथ किसान ट्रैक्टर लेकर राजपथ पर जाएगा. देखते हैं किसानों को कौन रोकता है और कौन वॉटर कैनन चलाता है.

इसके अलावा किसान नेता शिव कुमार कक्का (Shiv Kumar Kakka) ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने अपने सार्वजनिक भाषण में कहा कि एमएसपी बरकरार रहेगी, तो फिर वह इसकी कानूनी गारंटी देने से क्यों डर रहे हैं? सरकार इसे लिखित में क्यों नहीं दे सकती?' उन्होंने ये आरोप लगाया कि 'प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने भाषण के दौरान किसानों को बांटने का प्रयास किया. चुनाव रैलियों में वह कहते हैं कि उनकी सरकार ने एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय की है, लेकिन अदालत में वे कहते हैं कि ऐसा करना संभव नहीं है.'

'धिक्कार दिवस' मनाएंगे किसान

संयुक्त किसान मोर्चा शनिवार को बैठक करेगी और 26 दिसंबर को ही किसान 'धिक्कार दिवस' मनाएंगे. किसानों ने 'कार्पोरेट' बहिष्कार की अपील की है. इसके अलावा 27 दिसंबर को किसान थाली बजाकर मन की बात का विरोध करेंगे. हरियाणा में 13 किसानों पर 307 का केस लगाने की कड़ी निंदा की है. अबतक किसानों और सरकार के बीच 6 राउंड की बातचीत हो चुकी है.

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इस बीत कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि 'जमीनी आधार खो चुके लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं.' देश के करोड़ों किसान कानून के पक्ष में भी हैं, अब कयास लगाए जा रहे हैं कि आंदोलन में जुटे किसानों और सरकार के बीच गतिरोध की दीवार भी जल्द गिर सकती है. क्योंकि सरकार का दावा है कि कृषि कानून से देश के हर किसान की जिंदगी पूरी तरह बदलने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के किसानों को संबोधित करते हुए, किसान कानून की बारिकियां समझाईं और बताया ये अन्नदाता की आजादी वाला कानून है.

PM मोदी की 10 बड़ी बातें

  1. नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का भ्रम दूर किया
  2. सात राज्यों के किसानों से पीएम मोदी ने संवाद किया
  3. आज किसानों को 18000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए
  4. किसान आंदोलन के नाम पर राजनीति करने वालों पर हमला
  5. विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया
  6. आंदोलन में कृषि कानूनों को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है
  7. पहले MSP पर फसल बेची गई, फिर आंदोलन को हवा दी
  8. किसानों को नए कृषि कानूनों के 6 फायदे गिनाए
  9. नए कानूनों के बाद किसान मंडी में उपज बेचना चाहते हैं
  10. किसान फसल को निर्यात और व्यापारी को बेच सकते हैं

किसान आंदोलन के 30वें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 7 राज्यों के किसानों से बातचीत की. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा के किसान प्रधानमंत्री के साथ चर्चा में शामिल हुए. किसानों से 80 मिनट की बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने 20 मिनट सिर्फ किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखी, किसानों के विचार सुने. किसानों से बात करते हुए पीएम मोदी ने एक बार फिर कृषि कानून को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की कोशिश किया.

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