नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार दोपहर को आठवें दौर की बातचीत होगी. इस बातचीत के जरिए दोनों पक्ष पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से जारी गतिरोध को खत्म करने की कोशिश करेंगे. आपको बता दें कि दोनों पक्षों के बीच अभी तक सात दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकला है.
इस बीच कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसानों ने बृहस्पतिवार को ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) भी निकाली थी. वहीं, दूसरी ओर केन्द्र का कहना है कि वह कानूनों को रद्द करने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है. दोनों पक्षों के बीच शुक्रवार दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में आठवें दौर की बातचीत होगी. इससे पहले चार जनवरी को हुई बैठक बेनतीजा रही थी.
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बातचीत से पहले सरकार ने आज कुछ हल निकलने की उम्मीद जताई है. केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Chaudhary) ने कहा, 'पहले की वार्ता में किसान यूनियन के नेताओं का विषय था कि हम इसमें सुधार चाहते हैं. सरकार सुधार के लिए तैयार है. मुझे विश्वास है कि आज की वार्ता में वे इस बात को समझेंगे. किसान यूनियन के नेता सोचकर आएंगे कि समाधान करना है तो समाधान अवश्य होगा.'
बता दें कि 30 दिसम्बर को छठे दौर की बातचीत सफल रही थी. इसमें सरकार किसानों की बिजली सब्सिडी और पराली जलाने संबंधी मांगों पर राजी हो गई थी. दूसरी ओर किसानों ने नए कृषि कानूनों (Agriculture Bills) के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्रदर्शन स्थल सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर और हरियाणा के रेवासन में ट्रैक्टर रैली निकाली थी. प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा एवं पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड से पहले यह महज एक रिहर्सल है.
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बता दें किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर नवम्बर से डटे हैं. इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है. उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे. दूसरी तरफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.
कांग्रेस ने चलाया सोशल मीडिया अभियान
कांग्रेस ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में शुक्रवार को सोशल मीडिया अभियान चलाया जिसके तहत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने लोगों से किसान आंदोलन के पक्ष में आवाज बुलंद करने की अपील की.
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘किसान के लिए भारत बोले’ अभियान के तहत वीडियो जारी कर कहा, ‘शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा होता है. हमारे किसान बहन-भाई जो आंदोलन कर रहे हैं, उसे देश भर से समर्थन मिल रहा है. आप भी उनके समर्थन में अपनी आवाज जोड़कर इस संघर्ष को बुलंद कीजिए ताकि कृषि-विरोधी कानून खत्म हों.’
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, ‘इस कंपकपाती ठंड में कोरोना के बढ़ते प्रकोप में किसान 42 दिनों से दिल्ली के निकट आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही. इस सरकार के लिये लोकतंत्र के अंदर जनता की आवाज का कोई मूल्य नहीं है.’ पार्टी के कई अन्य नेताओं ने भी इस अभियान के तहत अपनी बात रखी और लोगों से किसानों के साथ खड़े होने की अपील की.
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