श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में पूर्व सीएम और नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला की हिरासत शनिवार को तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई है. वह 5 अगस्त से ही हिरासत में जिस दिन जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाया गया था. अधिकारियों ने बताया कि वह अपने घर में ही रहेंगे जिसे सब-जेल घोषित किया गया है. उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 से जुड़े उन प्रावधानों को हटा दिया गया है जिसके तहत इसे विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था. इसके साथ ही इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में भी विभाजित कर दिया गया है.
मडीएमके नेता वाइको ने याचिका दायर की थी
सुप्रीम कोर्ट में एमडीएमके नेता वाइको ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि फारूक को अवैध तरीके से हिरासत में लिया गया है. इसके कुछ घंटे पहले फारूक के खिलाफ 17 सितंबर को पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट (पीएसए) लगाया गया था. नैशनल कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन पर पीएसए के पब्लिक ऑर्डर प्रावधान के तहत मुकदमा दायर किया है जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना सुनवाई तीन से छह महीने तक जेल में रखा जा सकता है.
फारुक अब्दुल्ला पांच बार सांसद रहे हैं. वह जम्मू-कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री भी रहे हैं. उनके अलावा उनके बेटे और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mahbooba Mufti) को भी नजरबंद किया हुआ है. जम्मू कश्मीर के दूसरे नेताओं को भी 11 अगस्त के बाद प्रशासन ने एहतियातन नजरबंद रखा हुआ है.
National Conference leader Farooq Abdullah's detention under Public Safety Act, extended for three more months. (File pic) pic.twitter.com/UhtSZQgWo1
— ANI (@ANI) December 14, 2019
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इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं कश्मीर में अब भी बाधित
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 (Article 370) के प्रावधानों में बदलावों के बाद प्रशासन ने राज्य में कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे. हालांकि बाद में उन प्रतिबंधों को एक एक कर हटा दिया गया. लेकिन इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं कश्मीर में अब भी बाधित हैं. प्रशासन का कहना है कि जल्द ही इन प्रतिबंधों को भी हटा दिया जाएगा. उधर जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं. हालांकि किसी भी तरह ही अनहोनी के कारण सुरक्षा व्यवस्था में अब भी ढिलाई नहीं दी गई है.
जम्मू कश्मीर में बाजार और स्कूल सामान्य ढंग से खुल रहे हैं. सरकारी दफ्तरों में भी कामकाज शुरू हो गया है. लेकिन प्रशासन ने वहां के स्थानीय नेताओं को अभी बाहर निकलने की छूट नहीं दी है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के जजों अपनी रिपोर्ट में प्रशासन के उस दावे को सही नहीं पाया है, जिसमें कहा गया था कि अगस्त के बाद लगे प्रतिबंधों के बाद प्रशासन ने नाबालिगों को हिरासत में ले लिया था. जजों ने राज्य की सभी जेलों का दौरा कर रिपोर्ट में कहा है कि जेलों में कोई भी नाबालिग नहीं मिला है.
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