स्वाद और सेहत की नई ग्लोबल पहचान! सरकार ने की फूड स्ट्रीट डेवलप करने की तैयारी

स्वाद और सेहत की नई ग्लोबल पहचान बनाने के लिए फूड स्ट्रीट आ रही है. भारत के स्ट्रीट फूड को सिस्टम के तहत योजनाबद्ध तरीके से डेवलप करने, डिजाईन करने, उसे सेहतमंद बनाने और खूबसूरती के साथ पेश करने के लिए सरकार ने फूड स्ट्रीट डेवलप करने की तैयारी कर ली है.

Written by - Pooja Makkar | Last Updated : May 5, 2023, 04:09 PM IST
  • स्ट्रीट फूड पर सरकार की अनूठी पहल
  • फूड स्ट्रीट डेवलप करने की तैयारी
स्वाद और सेहत की नई ग्लोबल पहचान! सरकार ने की फूड स्ट्रीट डेवलप करने की तैयारी

नई दिल्ली: अमृतसरी कुल्चे, दिल्ली के छोले भटूरे, मुंबई का वड़ा पाव, लखनऊ का पान, चेन्नई की इडली और गोलगप्पे, टिक्की, समोसा, जलेबी- अगर नहीं खाए तो जीवन व्यर्थ समझिए. लेकिन डर ये लगता है कि खाकर कहीं बीमार ना पड़ जाएं और जीवन व्यर्थ होने से पहले ही समाप्ति की ओर ना चला जाए.  

स्ट्रीट फूड के लिए सरकार ने की ये अनोखी पहल
बड़ी बड़ी गाड़ियों में चलने वाले लोग भी गली के नुक्कड़ पर खड़े गोलगप्पे वाले के पास रुककर जीवन का आनंद लेना चाहते हैं, लेकिन हाईजीन, साफ सफाई, बैक्टीरिया का डर उन्हें रोक लेता है. अब इन समस्याओं का हल खोजा जा रहा है, जिससे आपकी सेहत और देश की पहचान दोनों स्ट्रीट फूड यानी नुक्कड़ के खाने से रोशन हो सकें.

अगर कोई आपसे पूछे कि भारत में कितनी तरह के स्ट्रीट फूड मिलते हैं, तो शायद गिनती करना संभव ना हो. भारत में जितने क्षेत्र हैं उससे ज्यादा जायके हैं, क्योंकि हर राज्य इतना बड़ा है कि एक राज्य में ही कई जायके बदल जाते हैं. सस्ता और स्वादिष्ट खाना तो स्ट्रीट फूड की गारंटी है, लेकिन क्या वो खाना सेहतमंद भी है या कहीं वो हमें बीमार तो नहीं कर देगा. ये सोचकर कई लोग बस खाना देखकर ललचा कर रह जाते हैं. लेकिन अब स्ट्रीट फूड अपने देश में ही नहीं विदेशों में भी पहचान कायम करने की तैयारी में है.

भारत के स्ट्रीट फूड को सिस्टम के तहत योजनाबद्ध तरीके से डेवलप करने, डिजाईन करने, उसे सेहतमंद बनाने और खूबसूरती के साथ पेश करने के लिए सरकार ने फूड स्ट्रीट डेवलप करने की तैयारी कर ली है.

भारत के 100 जिलों में 100 फूड स्ट्रीट डेवलप किए जाएंगे. हर फूड स्ट्रीट के लिए सरकार एक करोड़ रुपए का अनुदान देगी. स्वास्थ्य मंत्रालय इस योजना को शहरी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर पूरा करेगा.  

दिल्ली में खुलेंगे 3 फूड स्ट्रीट. बड़े राज्यों में 4 और छोटे क्षेत्रों में एक फूड स्ट्रीट तैयार की जाएगी. हालांकि स्ट्रीट फूड कल्चर को बढ़ावा देने की कोशिशें कई सालों से हो रही हैं. गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 100 लाख स्ट्रीट वेंडर हैं, जिसमें से 20 लाख स्ट्रीट फूड वेंडर हैं.

पर्यटन मंत्रालय चलाता है स्वच्छ भारत स्वच्छ पकवान कार्यक्रम, जिसका नाम हुनर जायका है.

स्वास्थ्य मंत्रालय फूड स्ट्रीट बनाने की तैयारी में है.

शहरी विकास मंत्रालय फूड स्ट्रीट के लिए जगहों की तलाश में है.

फूड प्रोसिसिंग मंत्रालय स्ट्रीट फूड स्टॉल के लुक, साफ पानी और सेनिटेशन तय कर रहा है.

2014 में एक नया कानून आया स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट.. ये कानून भी इस अनियोजित सेक्टर को सुनियोजित करने, वेंडर्स की परेशानियां कम करने, लोगों को हाइजीन का भरोसा दिलाने के मकसद से लाया गया. लेकिन इस टेंपरेरी काम में कई चुनौतियां आड़े आती हैं.

सबसे पहले इस सेक्टर को सिस्टम में लाने से स्ट्रीट फूड की लागत बढ़ेगी, सस्ता खाना महंगा हो जाएगा. लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होती कि कम पढ़े लिखे या अनपढ लोग इसे समझ सकें. इससे दलालों को बढ़ावा मिल सकता है. लेकिन ये भी सच है कि ये स्ट्रीट फूड भारत की पहचान है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने से भारत की पहचान और मजबूत हो सकती है. इसी के तहत योजना लाई गई है.  

स्वास्थय मंत्रालय के तहत FSSAI स्ट्रीट फूड प़ॉलिसी पर काम कर रहा है. जिससे नुक्कड़ के खाने में हाइजीन और साफ सफाई का ख्याल रखा जा सके. भारत का स्ट्रीट फूड ग्लोबल स्तर पर पहचान बना सके.

स्ट्रीट फूड पॉलिसी की बड़ी बातें

वेंडर को ट्रेनिंग- आईडी कार्ड और रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाए. 
एप्रेन, किट और सफाई का सामान दिया जाएगा.  
उसे साफ पानी का इस्तेमाल करने, डस्टबिन्स का सही तरीके से प्रयोग करने और खाने के सामान को ढककर रखना होगा.
सरकार उसे एक सर्टिफिकेट देगी, जिससे वो खुद भी साफ सफाई करने के लिए प्रेरित होगा.

अगर स्ट्रीट फूड ढका हुआ नहीं है, स्टोरेज के लिए तापमान मेंटेन नहीं किया जा रहा है तो केवल पेट का इंफेक्शन ही नहीं, आंत और लिवर की कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. स्वाद और सेहत की नई ग्लोबल पहचान बनाने के लिए फूड स्ट्रीट आ रही है.

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