पूर्व CJI राज्यसभा के लिए नामित, जानिए उनके जीवन सफर की पूरी कहानी

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 को हुआ था. उनके जन्म के वक्त किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी, कि 491 साल पुराने केस को रंजन गोगोई के अध्यक्षता वाली बेंच ही अंजाम तक पहुंचाएगी. 1978 में वह बार काउंसिल से जुड़े थे. पिछले साल 3 अक्टूबर 2018 को रंजन गोगोई ने बतौर सीजेआई अपना कार्यभार संभाला था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 17, 2020, 11:37 AM IST
    • 2010 में वो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे.
    • न्होंने अपने इस कानूनी करियर की शुरुआत साल 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट से की थी
पूर्व CJI राज्यसभा के लिए नामित, जानिए उनके जीवन सफर की पूरी कहानी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश रहे रंजन गोगोई के जीवन में एक और उपलब्धि जुड़ने जा रही है. पूर्व CJI को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए नामित किया है.  देश के सर्वोच्च अदालत के इतिहास को सबसे बड़ा मुकाम देने वाले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए थे और इसके चंद दिनों पहले 9 नवंबर को उन्होंने देश का सबसे बड़ा ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, फैसला था आस्था से निकलकर राजनीतिक मुद्दा बन चुके राम मंदिर का, जिसे जाते-जाते गोगोई ने फिर से आस्था के ही हाथों सौंपा. 

इस फैसले के साथ ही गोगोई याद किए जाने वाले मुख्य न्यायधीशों में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा उन्होंने राफेल मामला, सबरीमला मामला और RTI केस की सुनवाई की. रंजन गोगोई के जीवन सफर पर डालते हैं एक नजर और उन मामलों पर भी जिन्होंने नया इतिहास बनाया.

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इतिहास लिखने वाले जज का जीवन परिचय
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 को हुआ था. उनके जन्म के वक्त किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी, कि 491 साल पुराने केस को रंजन गोगोई के अध्यक्षता वाली बेंच ही अंजाम तक पहुंचाएगी. 1978 में वह बार काउंसिल से जुड़े थे.  3 अक्टूबर 2018 को रंजन गोगोई ने बतौर सीजेआई अपना कार्यभार संभाला था.

हालांकि, उन्होंने अपने इस कानूनी करियर की शुरुआत साल 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट से की  थी, जब वो जज नियुक्त किए गए थे. इसके बाद साल 2010 में वो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे. जिसके एक साल बाद ही यानी साल 2011 में उनको पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त कर दिया गया था. इसके बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट के जज वो 233 अप्रैल साल 2012 में नियुक्त किए गए थे.

सख्ती के लिए मशहूर रहे हैं गोगोई
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई रंज गोगोई सिर्फ अपने निष्पक्ष फैसले, कर्मठता और कामकाज के लिए ही मशहूर नहीं हैं. उनका सख्त तेवर वाला चेहरा चीफ जस्टिस बनने से पहले ही सामने आ गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार ऐसा किया जो किसी ने सोचा भी नहीं था. इसके तहत पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू को कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में तलब किया गया.

दरअसल, काटजू ने केरल के एक बलात्कार कांड में कोर्ट के फैसले की जबरदस्त तरीके से आलोचना की थी. जिसके बाद उनको नोटिस जारी कर पेश होने का आदेश दिया गया था. हालांकि जस्टिस गोगोई ने इस मसले पर वकीलों की दरखास्त पर उन्हें चेतावनी देकर जाने दिया.

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राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला
491 साल पुराना वो केस जिसका इंतजार हर कोई बड़ी ही शिद्दत से कर रहा था, हर किसी के जेहन में एक ही सवाल गूंज रहा था कि अयोध्या में उस विवादित जमीन पर क्या बनेगा. इसका जवाब देते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया.

जिसमें ये सुनिश्चित हो गया कि राम मंदिर का निर्माण उसी स्थान पर कराया जाएगा. 

खाली जजों का स्थान भरा
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल के दौरान 10 साल में पहली बार ऐसा मौका आया था कि अदालत में एक भी जजों की रिक्ति नहीं बची. उनके कार्यकाल में 34 जजों की नियुक्ति की गई.

RTI पर दिया बड़ा फैसला
इसके अलावा चीफ जस्टिस गोगोई ने सीजेआई कार्यालय को आरटीआई के दायररे में लाने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस फैसले में कोर्ट ने ये साफ किया कि सीजेआई का कार्यालय भी पब्लिक अथॉरिटी है, ऐसे में RTI की जानकारी ली जा सकती है.

लिहाजा यहां भी आरटीआई के तहत जानकारी मांगी जा सकती है.

सबरीमाला मामले में की सुनवाई
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. जिसके बाद से बवाल और विरोध का दौर शुरू हो गया था.

इसके बाद सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट से कुछ ही दिन पहले 7 जजों वाली बेंच को सौंपने का फैसला सुनाया गया था.

सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी 
चीफ जस्टिस गोगोई और पी. सी. घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी. यानी कोर्ट ने ये जो फैसला सुनाया उसके बाद कोर्ट के सरकारी विज्ञापन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, संबंधित विभाग के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, संबंधित विभाग के मंत्री के अलावा किसी भी नेता की सरकारी विज्ञापन पर तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी है.

 

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