लखनऊ. उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए रविवार शाम प्रचार थम गया. 5 सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए NDA और 'इंडिया' दोनों पक्षों के नेता अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी लगाई. इस सीट पर 'इंडिया' गठबंधन की पार्टियां समाजवादी पार्टी को समर्थन दे रही हैं तो वहीं बीजेपी के पक्ष में एनडीए है. 'इंडिया की बात करें' तो अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) भी सपा उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने के काम में लगी है. हालांकि यूपी की राजनीति में आप कोई बड़ा जनाधार नहीं है.
दारा सिंह के बीजेपी ज्वाइन करने पर खाली हुई थी सीट
दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सपा के दारा सिंह चौहान जीते थे जिन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था. उन्होंने विधानसभा की सदस्यता के त्यागपत्र दे दिया था जिसकी वजह से सीट रिक्त हो गई थी. बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को ही अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं सपा की तरफ से सुधाकर सिंह मैदान में हैं. उन्हें कांग्रेस-सीपीएम-सीपीआई- एमएल-लिबरेशन से सपोर्ट हासिल है.
सीएम योगी और अखिलेश दोनों आए
घोसी सीट पर उपचुनाव के महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि यहां प्रचार करने सीएम योगी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी आए. अखिलेश ने तो यहां तक कहा कि इस सीट पर चुनाव से देश की राजनीति में बदलाव आएगा. उन्होंने कहा- यह एक महत्वपूर्ण लड़ाई है. यह आपका (मतदाताओं का) बड़ा फैसला होगा क्योंकि उपचुनाव के नतीजे देश की राजनीति में बदलाव लाएंगे.
कैसे हैं जातिगत आंकड़े
घोसी में 4.37 लाख मतदाताओं में से 90,000 मुस्लिम, 60,000 दलित और 77,000 मतदाता सवर्ण जातियों से हैं. इनमें 45,000 भूमिहार, 16,000 राजपूत और 6,000 ब्राह्मण हैं. बीजेपी के चुनावी अभियान का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है. क्षेत्र में बीजेपी की लिए नए साथी सुहेलदेव बहुजन समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर हैं. वो लगातार अपने बेटों के साथ लगातार चुनावी क्षेत्र के कुछ हिस्सों का दौरा कर रहे हैं.
क्यों अहम है ये चुनाव
अगर विधानसभा के गणित की बात करें तो इस उपचुनाव का बीजेपी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है. बीजेपी के पास राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार है. इस चुनावी लड़ाई को प्रतीकात्मक संदेश के रूप में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को राज्य की राजनीति में सेमीफाइनल के रूप में प्रदर्शित करने की कोशिश हो रही है. सपा की जीत से 'इंडिया' गठबंधन के भीतर अखिलेश यादव की स्थिति और भूमिका मजबूत होगी तथा राजनीतिक रूप से 80 लोकसभा सीट वाले महत्वपूर्ण राज्य में गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए उनकी भूमिका भी पक्की हो जाएगी.
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