नई दिल्ली: एक फिल्म का डॉयलॉग है फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ तीन चीजों पर चलती है एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट.. बात सही भी है लेकिन OTT ने इस एंटरटेनमेंट की परिभाषा बदल दी है. यहां एंटरटेनमेंट का मतलब है बोल्ड, कंट्रोवर्सियल एंड एडल्ट कंटेंट.. जिसमें सबसे पॉपुलर है एडल्ट कंटेंट जिसे आप पोर्न कंटेंट कह सकते हैं.
OTT बना पोर्न कंटेंट का नया ठिकाना
याद कीजिए जब इंटरनेट नहीं था उस दौर में भी पोर्न कंटेंट यानी अश्लील फिल्में बना करती थीं, जो सिनेमाघरों में चलती थी, फिल्म के नाम के साथ लिखा होता था. केवल व्यस्कों के लिए यानी 18 साल से उपर आयुवर्ग के लिए, उस शो का समय भी निर्धारित हुआ करता था.
इसके अलावा ये वीडियो कैसेट, सीडी के जरिए भी अवैध रूप से चोरी छिपे दर्शकों तक पहुंचाया जाता था. तब इसकी पहुंच हर व्यक्ति तक नहीं थी, लेकिन अब इंटरनेट और OTT प्लेटफॉर्म ने बिना रोक टोक इसे सबके हाथों में पहुंचा दिया है. मतलब ना थियेटर, ना टी वी का चक्कर आपकी हथेली में एक मोबाइल के एक क्लिक पर पोर्न कंटेंट हाजिर है.
एप स्टोर में पोर्न कंटेंट परोसने वाले दर्जनों एप्स
आजकल मोबाइल के प्ले स्टोर पर न्यूफ्लिक्स, यूफ्लिक्स, एक्स प्राइम, फ्लिज मूवीज, एस्ट्रीम एक्स, हॉटएक्स वीआईपी, हॉट-हिट्स, हॉट-शॉट्स, गोल्ड फ्लिक्स, लॉलीपॉप, बिंदास टाइम्स, अनकट अड्डा, अनकट मसाला जैसे दर्जनों ऐप और वेबसाइट आपको मिल जाएंगे जिन पर पोर्न कंटेंट उपलब्ध हैं.
वहीं, नेटफ्लिक्स, अल्ट बालाजी, एमएक्स प्लेयर जैसे पॉपुलर OTT प्लेटफार्म के एप्स और साइट में भी इरोटिक कंटेंट और सेमी पॉर्न कंटेंट देखने को मिल जाएंगे. इसमें कुछ ऐसे चर्चित चेहरे और नाम भी हैं, जो अधिकांश वीडियो में दिखते हैं.
देश में 13 साल पहले हुई OTT की शुरुआत
OTT जिसे “ओवर-द-टॉप (Over The Top)” प्लेटफार्म कहते है. यह इंटरनेट का ऑनलाइन प्लेटफार्म है जो बिना किसी केबल या ब्रॉडकास्ट प्रोवाइडर के लोगो तक सीधा इंटरनेट के जरिए कंटेंट प्रोवाइड कराता है.
OTT का चलन सबसे पहले अमेरिका में शुरु हुआ फिर धीरे धीरे दूसरे देशों में फैलने लगा लेकिन भारत में इसकी शुरुआत करीब 13 साल पहले 2008 में हुई जब रिलायंस एंटरटेनमेंट ने बिग फ्लिक्स नाम से सर्विस शुरू की. इसे देश का पहला OTT प्लेटफॉर्म माना जाता है, जहां मूवी ऑन डिमांड सर्विस थी.
जहां दर्शक सब्सक्रिप्शन लेकर कभी भी मनचाही फिल्में देख या डाउनलोड कर सकते थे लेकिन आज की तारीख में ढेरों सब्सक्रिप्शन बेस्ड एप्स हैं जहां फिल्में ही नहीं वेब सीरीज और पोर्न कंटेट तक मौजूद हैं.
US को भी पीछे छोड़ देंगे भारतीय OTT यूजर
देश में OTT की पहुंच और उसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि अर्नेस्ट एंड यंग की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक देश में OTT यूजर का आंकड़ा 50 करोड़ करीब पहुंच चुका था.
अमेरिका के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा OTT मार्केट बन चुका है, फिलहाल भारत में OTT प्लेटफॉर्म्स का मार्केट 250 करोड़ रुपए का है. लेकिन 2 साल बाद यानी साल 2023 तक भारत की OTT मार्केट में 45% बढ़ोतरी होगी, इससे इन प्लेटफॉर्म्स की ग्रोथ 130 अरब रुपए तक पहुंच जाएगी. आनेवाले वक्त में ये अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा.
पोर्न कंटेंट से OTT के जरिए बेशुमार कमाई
सास-बहू टाइप डेली शो से ऊब चुके दर्शकों को कुछ नया देने के नाम पर OTT पर बोल्ड सब्जेक्ट पर कई वेब सीरीज आई जो लोकप्रिय हुई. फिर इसी प्लेटफॉर्म पर सेमी पोर्न और पोर्न कंटेंट की एंट्री हुई. आम तौर पर ऐसी फिल्में मात्र 10 से 20 लाख रुपये में बन जाती हैं, जिनके जरिए आसानी से निर्माता 2 से 3 करोड़ रुपये कमा लेते हैं.
ऐसे कंटेंट के लिए दर्शकों से सब्सक्रिप्शन के नाम पर महीने में 99-199 रुपये से लेकर सालाना 999 रुपये चार्ज किए जाते हैं. ऐसी फिल्मों में काम करने वाले एक्टर्स ज्यादातर लो-प्रोफाइल या स्ट्रगल करने वाले होते हैं. ऐसे में वो कुछ हजार रुपये में ही काम करने को तैयार हो जाते हैं. कुछ बड़े और लाइमलाइट में आ चुके कलाकारों की कमाई लाखों में होने लगती है.
कोरोना काल में और पॉपुलर हुआ
कोरोना काल में जहां सारे काम धंधे चौपट हो गए वहीं OTT प्लेटफॉर्म में पोर्न कंटेट परोसनेवालों की चांदी हो गई. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान पोर्न कंटेंट सबसे ज्यादा देखा गया. लेट्स ओटीटी की रिपोर्ट के मुताबिक 3 जुलाई 2020 को 'मस्तराम' को 1.10 करोड़ बार देखा गया.
मई महीने में एकता कपूर के अल्ट बालाजी के दर्शकों की संख्या में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. पोर्न को लेकर 2015 की गूगल ट्रेंड रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक दुनिया के टॉप 10 में से 6 शहर भारत के थे. जहां पोर्न सबसे अधिक सर्च हुआ. इस आंकड़े ने सेमी पोर्न, पोर्न और इरोटिक कंटेंट के निर्माताओं को पैसे कमाने का आसान और शार्टकट रास्ता दिखा दिया.
अश्लील कटेंट को लेकर क्या है कानून?
निजी तौर पर पोर्न देखना गैर-कानूनी नहीं है लेकिन इसे प्रकाशित करना या बनाना पूरी तरह से गैर-कानूनी है. दरअसल ये उस वक्त के कानून हैं जब इंटरनेट और OTT नहीं था. OTT प्लेटफॉर्म सेंसरशिप के सख्त दायरे से बाहर हैं.
सरकार ने फरवरी 2021 में डिजिटल कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल का गठन किया और मार्च में उसने इंडस्ट्री से कहा है कि वह स्व-नियमन लागू करे. हालांकि अभी तक उस पर इंडस्ट्री की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। उलटे उसने सरकार से स्व-नियमन लागू करने के लिए समय की मांग कर डाली है.
OTT कंटेंट पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित
OTT पर परोसे जा रहे कंटेंट को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत भी चिंता जाहिर कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा कि ओटीटी प्लेटफार्म कई बार अश्लील कंटेंट परोसते हैं. इन्हें रेगुलेट किए जाने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि फिल्म देखने का पारंपरिक तरीका धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर हो रहा है, लोग अब थियेटर पर फिल्म देखने के बजाय घर में फिल्म देखना ज्यादा पसंद करते हैं.
बाहर जाकर देखी जाने वाली फिल्मों के लिए हमारे पास सेंसर बोर्ड है लेकिन ओटीटी कंटेट पर लगाम लगाने के लिए सेंसर बोर्ड नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि OTT प्लेटफार्मों को नियंत्रित करने के लिए एक तंत्र बनाने की जरूरत है.
आज OTT पर पोर्न कंटेट का दायरा तेजी से फैल चुका है, जिससे अरबों की कमाई हो रही है. अगर समय रहते OTT के लिए रेगुलेटरी नहीं बनी तो आनेवाले दिनों में अश्लील कंटेंट परोस कर करोड़ों कमाने वालों की बाढ़ आ जाएगी.
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