नई दिल्ली. देश में नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शन और हिंसा तो हो रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि आज नागरिकता क़ानून लागू न किया गया तो कल के भारत के लिए ये कितना ज़्यादा नुकसानदेह होगा? नागरिकता क़ानून मूल रूप से पड़ौसी मुलिस्म देशों से भारत में घुसपैठ करने वाले मुसलिम्स को रोकने के लक्ष्य से बनाया गया है. आज नागरिकता क़ानून वक्त की जरूरत है वरना भारत, भारत न रहेगा, आइये राष्ट्रीय हिप्पोक्रेसी का कंबल उतार कर जानते हैं किस तरह:
राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में
आज नागरिकता क़ानून सबसे ज्यादा जरूरी राष्ट्रीय सुरक्षा को ले कर है. देश की सरहदों को पार करके देश के भीतर आ चुके घुसपैठियों की संख्या का सही आंकड़ा तो मौजूद नहीं पर फिर भी एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या देश में 3 से 6 करोड़ तक है. ऐसी हालत में विश्व में बढ़ते आतंकवाद के नज़रिये से देश में घुसपैठ करने वाले ये लोग देश के लिए भारी खतरा बन सकते हैं. इसलिए इनको न रोकना या इनको नागरिकता दे देने की नासमझी राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की सम्प्रभुता के लिए संकट पैदा कर सकता है.
हो सकती है जनसंख्या चीन से ज्यादा
अगर नागरिकता क़ानून आज न लागू किया गया तो आने वाले दिनों में भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन सकता है. भारत के बहुसंख्यक हिन्दू देश की जनसंख्या को लेकर सचेत हो चुके हैं और अब ज्यादातर हिन्दू परिवारों में एक या दो बच्चे ही देखे जा रहे हैं. इसके विपरीत देश के मुसलमान इसे अल्ला की देन मानते हैं. इसलिए स्वतंत्र घुसपैठ के आलम में देश के मुसलामानों के माध्यम से देश की जनसंख्या जनसंख्या चौगुनी स्पीड से बढ़ सकती है.
हो सकता है धर्मनिरपेक्षता का अंत
देश की बढ़ती जनसंख्या में चूंकि एक मुस्लिम सम्प्रदाय का बड़ा योगदान होगा तो एक दिन ऐसा आ ही जाएगा जब देश से साफ़ तौर पर धर्म निरपेक्षता का समापन हो जायेगा. और तब देश साम्प्रदायिकता के लिए जाना जाएगा, धर्मनिरपेक्षता के लिए नहीं.
हो सकते हैं देशव्यापी दंगे
आने वाले कल के भारत में देश का सामाजिक समभाव कम हो सकता है. छोटे-छोटे दंगे हर तरफ देखे जा सकते हैं. क्योंकि देश में कट्टरता बढ़ सकती है. और फिर हालत ये भी आ सकती है कि किसी दिन किसी बात पर देशव्यापी दंगा भी छिड़ जाए जो देश की बड़ी भयानक तस्वीर पेश करेगा.
हो सकता है विकास अवरुद्ध
उपरोक्त सभी कारणों के मद्देनज़र देश का विकासशील दर्जा खतरे में पड़ सकता है. देश उपरोक्त समस्याओं से जूझेगा तो विकास के लिए संभावना बहुत कम हो सकती है. ऐसी हालत में भारत सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में भी तब्दील हो सकता है.
भारत बन सकता है मुस्लिम राष्ट्र
भारत की जनसंख्या में मुस्लिम योगदान अधिक होने से भारत में मुस्लिम जनसंख्या भी बहुसंख्यक हिन्दुओं से कहीं बहुत आगे बढ़ सकती है. और फिर भारत पाकिस्तान की तरह या अन्य सभी मुस्लिम बहुसंख्या वाले घोषित मुस्लिम राष्ट्रों की तरह यदि एक घोषित इस्लामिक देश में बदल जाए, तो हैरानी की बात नहीं होगी.
दुनिया में सिर्फ एक देश हिन्दू बहुसंख्यक रह जायेगा
उपरोक्त कारणो को देखते हुए देश के इस्लामी-करण की आशंका पूरी रहेगी और उस स्थिति में दुनिया के धरातल पर सिर्फ नेपाल हिन्दू-बहुल राष्ट्र बचेगा.