कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कुछ ऐसे कर रहे हैं सरकार बचाने की कोशिश
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भारी संकट में है. मुख्यमंत्री कमलनाथ की कुर्सी कभी भी जा सकती है. जिसे देखते हुए वहां कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता डैमेज कंट्रोल में जुटे हुए हैं. वरिष्ठ मंत्रियों सहित पूरी कमलनाथ सरकार नाराज विधायकों को मनाने में जुटी हुई है.
भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. नाराज विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है. जिसे देखते हुए सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह अपने सारे कार्यक्रम रद्द करके सरकार बचाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं.
नाराज विधायकों को मनाने के लिए मंत्रियों की ड्यूटी
मध्य प्रदेश के विधायक बेहद नाराज हैं. उनकी ये नाराजगी कमलनाथ सरकार पर भारी पड़ सकती है. जिसे देखते हुए गैर कांग्रेसी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक एक मंत्री की ड्यूटी लगाई है. ये लोग नाराज विधायकों को मनाने में जुटे हुए हैं. मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ को रामबाई के साथ दमोह रवाना किया गया. बेंगलुरु में विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा के पास पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल को भेजा गया है.
मुख्यमंत्री ने रद्द किए सभी कार्यक्रम
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने सभी कार्यक्रम रद्द करके सरकार बचाने की कोशिश में जुट गए हैं. उन्होंने अपने दो दिनों के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ सुबह से शाम तक मेल मुलाकातों में जुटे हुए हैं. उन्होंने अपने विश्वस्त मंत्रियों विजयलक्ष्मी साधौ, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, सुखदेव पांसे, तरण भनोट, प्रदीप जायसवाल, हर्ष यादव से मुलाकात करके राज्य की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने विधायक रामबाई, गोपाल सिंह, महेश परमार, मनोज चावला से भी मुलाकात की है.
दिग्विजय सिंह हुए सक्रिय
मध्य प्रदेश में चल रही राजनीतिक उठापटक को संभालने के लिए सीएम कमलनाथ को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का साथ मिला है. वह शुक्रवार को अचानक भोपाल आए और हवाई अड्डे से सीधा मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. जहां काफी देर तक उन्होंने कमलनाथ से चर्चा की. दिग्विजय सिंह की पकड़ राज्य की नौकरशाही और नेता बिरादरी के बीच काफी ज्यादा है. इसलिए सीएम कमलनाथ ने उन्हें मामला संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है. दिग्विजय और कमलनाथ दोनों असंतुष्ट विधायकों को मनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
चुपचाप तमाशा देख रहे हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश के तीसरे कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश के पूरे राजनीतिक ड्रामे पर वैसे तो कांग्रेस के पक्ष में बयानबाजी कर रहे हैं. लेकिन ये तय है कि उन्ही की नाराजगी की वजह से कमलनाथ सरकार पर संकट आया है. मध्य प्रदेश में चंबल संभाग के तहत ग्वालियर और आस पास का इलाका ज्योतिरादित्य का मजबूत गढ़ माना जाता है.
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खास बात ये है कि कमलनाथ से बगावत करने वाले ज्यादातर विधायक इसी इलाके से आते हैं. राज्य में कांग्रेस के 114 विधायकों में से 35 सिंधिया समर्थक माने जाते हैं. जिसमें से ज्यादातर ने बागी रुख अख्तियार कर रखा है.
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भिंड से बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजीव कुशवाह, सुमावली से कांग्रेस MLA ऐंदल सिंह कंसाना, मुरैना से कांग्रेस MLA रघुराज कंसाना, दिमनी से कांग्रेस MLA गिरिराज दंडोतिया, गोहद से कांग्रेस के विधायक रणवीर जाटव और बिजावर से सपा विधायक राजेश शुक्ला सिंधिया के प्रबाव वाले ग्वालियर संभाग इलाके से आते हैं. बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने तो खुलेआम सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की थी. पथरिया से बसपा विधायक रामबाई और अनूपपुर सीट से कांग्रेस विधायक बिसाहूलाल सिंह भी बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं.
कांग्रेस की इस खेमेबंदी को देखकर साफ लगता है कि मध्य प्रदेश में सरकार बचाने के लिए कमलनाथ और दिग्विजय को बहुत ज्यादा कोशिश करनी पड़ेंगी.
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