नई दिल्ली: चीन की चालबाजी को देखते हुए हिन्दुस्तान लगातार किसी भी तरह के हालात से निपटने की तैयारियों में जुटा हुआ है. इस बीच एक बड़ी जानकारी ये सामने आई है कि पिछले 4 दिनों में भारतीय सेना ने कई अहम कार्रवाई को अंजाम दिया है.
जहां 1962 के बाद कभी नहीं रही मौजूदगी
भारतीय सैनिकों ने पिछले चार दिन की कार्रवाई में उन सारी पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया, जिनपर 1962 के युद्ध के बाद कभी भी भारतीय सेना की मौजूदगी नहीं रही. तकरीबन 25 किलोमीटर के इलाके में ये कार्रवाई पेट्रोलिंग की गई. प्वाइंट 27 से 31 के बीच में भारत के शूरवीरों की तैनाती हो गई है.
आपको बता दें, भारतीय सैनिकों ने जिन-जिन पहाड़ियों पर मोर्चा जमाया है, वहां चीन में मोल्डो सैनिक मुख्यालय तक नजर रखी जा सकती है. लेकिन हिन्दुस्तान और हमारी सेना पूरी तरह से मुश्तैद है. जिसका उदाहरण देखा जा सकता है.
ब्लैक टॉप पर हिन्दुस्तान ने किया कब्जा
चीन की हिमाकत को देखते हुए सेना अलर्ट पर है, 29-30 अगस्त की रात ब्लैक टॉप पर चीनी ऑबजर्वेशन पोस्ट की तरफ बढ़ते हुए, 25-30 चीनी सैनिक देखे गए थे. बता दें, इस जगह पर 1962 के बाद चीनी ऑब्जर्वेशन पोस्ट स्थापित कर दी गई थी. लेकिन भारत के वीरों ने इस जानकारी के मिलते ही फुर्ती से कार्रवाई करते हुए, ऊपर पहुंचकर पोस्ट पर कब्जा कर लिया.
बताया ये जा रहा है कि इस दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच हाथापाई हुई, हालांकि भारतीय सेना ने इसका पूरी तरह खंडन कर दिया है. 30-31 अगस्त की रात भी चीन के सैनिकों ने आगे बढ़ने की गुस्ताखी करने कोशिश की, जिसका जवाब भारतीय सेना ने बड़ी सूझ-बूझ के साथ देते हुए कई और पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया.
दक्षिणी किनारे पर हिन्दुस्तान का पलड़ा भारी
बता दें कि ये सभी पहाड़ियां चुशूल के इलाके में रणनीतिक तौर पर काफी अहम हैं. इन पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों का कब्जा होने से पैंगोंग के दक्षिणी किनारे पर हिन्दुस्तान का पलड़ा काफी दमदार गया है. ये कार्रवाई पीपी 27 से पीपी 31 के बीच की गई है. लद्दाख में LAC पर तयशुदा जगहें हैं, जहां तक पेट्रोलिंग की जाती है. जिनके नंबर काराकोरम पास से शुरू होते हैं और दक्षिण की तरफ जाते हैं, पीपी 1 काराकोरम दर्रे पर है.
इसी दौरान PLA यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) की बख्तरबंद गाड़ियों और एक आर्मर्ड रेजीमेंट की एक बटालियन स्पांगुर गैप के पास दिखी. दरअसल, भारत और चीन के बीच स्पांगुर गैप लगभग 50 मीटर चौड़ा रास्ता है. इसके एक तरफ मगर हिल और दूसरी ओर गुरुंग हिल है. हिन्दुस्तानी सेना ने चीन की तरफ से टैंकों के हमले को नाकाम करने के मकसद से अपने टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास हर अहम स्थानों पर तैनात कर दी हैं.
आपको बता दें, हिन्दुस्तान की सेना ने रेज़ांग ला और रिंचिंग ला पर भी कब्जा कर लिया है, जहां वर्ष 1962 में हुए युद्ध के बाद भारत ने कभी भी अपने सैनिक नहीं भेजे थे. यहां आपका ये भी जानना बेहद अहम हो जाता है कि इन दोनों ही जगहों पर साल 1962 के युद्ध में भीषण लड़ाई हुई थी.
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खास बात ये है कि इन दोनों पहाड़ियों पर कब्जे का फायदा ये होगा कि मोल्दो तक के इलाके में चानबाज चीन की हर एक गतिविधि पर भारत की निगरानी होगी. भारतीय सैनिकों ने सिर्फ इन दो इलाकों तक ही नहीं बल्कि स्पांगुर गैप के पास मगर हिल और गुरुंग हिल पर भी अपना कब्जा जमाते हुए सेना तैनात कर दी है. पैंगोंग के दक्षिण किनारे से लेकर रेज़ांग ला तक हर पहाड़ी पर इस वक्त हिन्दुस्तान के सैनिकों ने कब्जा जमा लिया है. निश्चित तौर पर इसे देखते हुए हालात के तनाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में किसी भी वक्त चीन कोई और बड़ी गुस्ताखी को अंजाम देने की कोशिश करेगा.
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