3 दिन के रूस दौरे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीन पर कितनी भारी पड़ेगी दोस्ती?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 3 दिन के रूस दौरे पर गए हैं. रक्षा मंत्री शंघाई सहयोग संगठन यानी SCO की बैठक में भाग लेने जा रहे हैं. शंघाई संहयोग संगठन की बैठक रूस के मॉस्को में हो रही है, जहां चीन भी मौजूद रहेगा. देखना ये होगा कि रूस और भारत की दोस्ती चीन पर कितनी भारी पड़ती है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 2, 2020, 05:47 PM IST
    • 3 दिन के रूस दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
    • SCO की बैठक में भाग लेने जा रहे हैं रूस
    • मॉस्को में हो रही है शंघाई संहयोग संगठन की बैठक
3 दिन के रूस दौरे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीन पर कितनी भारी पड़ेगी दोस्ती?

नई दिल्ली: भारत-रूस की दोस्ती की मजबूती बयां करने वाली लाखों तस्वीरें मौजूद हैं. क्योंकि भारत के साथ रूस की फरेब या झूठ वाली दोस्ती नहीं है, ये दोस्ती वक्त की कसौटियों पर हमेशा खरी उतरी है. अब ये दोस्ती बंगाल की खाड़ी में साझा युद्धाभ्यास के जरिए और गहरी होने जा रही है. वो भी तब जबकि चीन भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है.

3 दिन के दौरे पर मास्को रवाना हुए रक्षामंत्री

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 3 दिन के दौरे पर मास्को रवाना हो चुके हैं. रक्षामंत्री SCO यानि शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेश के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे और इस दौरान वहां चीन की भी मौजूदगी होगी. जिसके साथ LAC पर भारत का तनाव अबतक सबसे मुश्किल वक्त की गवाही दे रहा है. जब रक्षामंत्री रूस में इस बैठक में हिस्सा ले रहे होंगे उसी बीच रूस और भारत बंगाल की खाड़ी में एक साथ हुंकार भर रहे होंगे.

जितना मुश्किल वक्त, उतनी ही पक्की दोस्ती

भारत और रूस की सेनाएं मिलकर मौजूदा सुरक्षा की चुनौतियों से भी निपटने की तैयारी कर चुकी हैं. दोनों देशों की नौसेनाएं बंगाल की खाड़ी में चार और पांच सितंबर को युद्धाभ्यास करेंगी. इस युद्धाभ्यास को इंद्र युद्धाभ्यास का नाम दिया गया है. खास बात ये रहेगी कि इस युद्धाभ्यास के दौरान भारत-रूस की सेनाएं सतह और हवा में तोपों से लक्ष्य पर निशाना लगाएंगी.

जो भारत के साथ नहीं, रूस को उसकी 'परवाह' नहीं!

रूस लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा रणनीतिक साझीदार रहा है, जिसने हर मुसीबत में भारत का साथ दिया है. रूस से मिले हथियार भारत के सुरक्षा तंत्र को और भी मज़बूत बनाते रहे हैं, लेकिन खबर सिर्फ इतनी नहीं है. बड़ी बात ये है कि SCO की इस बैठक में रूस, भारत-चीन विवाद के बीच भारत का पक्ष ले सकता है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर जब भारत को रूस जैसी महाशक्ति का साथ मिलेगा तो जाहिर तौर पर भारत का पक्ष मजबूत हो जाएगा और चीन मुंह ताकता रह जाएगा.

चीन हो या पाकिस्तान, रूस के लिए पहले है हिंदुस्तान!

इसके साथ ही भारत ने हिंद महासागर में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है, जहां पहले से भारतीय नौसेना के कई जंगी जहाज़ तैनात हैं.

इससे पहले भी भारत-रूस की यही दोस्ती चीन पर भारी पड़ चुकी है. तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस से ये आश्वासन लेकर आए थे कि रूस चीन को S-400 की डिलवरी नहीं करेगी, लेकिन साथ ही रूस ने भारत से ये वादा भी किया कि वो दुनिया के अभेद्य मिसाइल सिस्टम S-400 की डिलीवरी भारत को वक्त पर करेगा. इस तनाव के दौरन भी रूस लगातार भारत को हथियारों की डिलीवरी कर रहा है.

जब दो सुपरपावर देश भारत के साथ होंगें तो ये बात चीन को नागवार होगी. लेकिन रूस का रूख बताता है कि वो चीन के मुकाबले भारत को अपना भरोसेमंद साथी मानता है और चीन से तनाव बढ़ने के बावजूद वो भारत को यूं ही मजबूत करता रहेगा.

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