Independence Day: पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मूर्मू ने इन बातों पर दिया जोर, जानें संदेश की अहम बातें

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता के बाद विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा. उन्होंने कहा, हमारे लिए स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करना तो महत्वपूर्ण था ही लेकिन उससे अधिक उल्लेखनीय है हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 14, 2023, 10:43 PM IST
  • जानिए क्या बोले राष्ट्रपति
  • इन मुद्दों पर दिया जोर
Independence Day: पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मूर्मू ने इन बातों पर दिया जोर, जानें संदेश की अहम बातें

नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि अलग-अलग पहचान होने के बावजूद सभी भारतीय समान नागरिक हैं जिन्हें समान अवसर, अधिकार और कर्तव्य हैं, ऐसे में राष्ट्र निर्माताओं के सपनों के साकार करने के लिए सद्भाव और भाईचारे की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, जब हम स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाते हैं तो वास्तव में हम एक महान लोकतंत्र के नागरिक होने का उत्सव भी मनाते हैं. हममें से हर एक की अलग-अलग पहचान है. जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा हमारी अपने परिवार और कार्य क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है.

जानिए क्या बोले राष्ट्रपति
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है और वह है भारत का नागरिक होना. हम सभी समान रूप से इस महान देश के नागरिक हैं. हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं और हमारे कर्तव्य भी समान हैं.’’ मुर्मू ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीन काल में भी यहां जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं किन्तु लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन लोकतांत्रिक संस्थाओं को मिटा दिया था. 

इन बातों पर दिया जोर
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को राष्ट्र ने एक नया सवेरा देखा जब देश ने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की, साथ ही अपनी नियति का निर्माण करने की भी स्वतंत्रता प्राप्त की. राष्ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता के बाद विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा. उन्होंने कहा, हमारे लिए स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करना तो महत्वपूर्ण था ही लेकिन उससे अधिक उल्लेखनीय है हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका. स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी तथा कई अन्य असाधारण और दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शों से अनुप्रमाणित था. 

उन्होंने कहा, ‘‘ स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मैं भारत के नागरिकों के साथ एकजुट होकर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उनके असंख्या बलिदानों से भारत ने विश्व समुदाय में अपना स्वाभिमानपूर्ण स्थान फिर से प्राप्त किया.’’ राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में लोकतंत्र के आयामों, महिला सशक्तीकरण, जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती, अंतरिक्ष कार्यक्रम, चंद्रयान-अभियान, भारतीय अर्थव्यवस्था सहित विभिन्न विषयों का उल्लेख किया. 

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