नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच LAC पर करीब 44 दिनों से गतिरोध बना हुआ था. तनाव दूर करने के लिए बातचीत का दौर लगातार जारी रहा और जब गलवान घाटी में डि-एस्केलेशन शुरू हुआ तब चीन के सैनिकों ने सड़क छाप गुंडों की तरह जो हरकत की वो नाकाबिले बर्दाश्त है. जिस भाषा में चीन को जवाब मिलना चाहिए था भारत ने ठीक वैसे ही जवाब दिया और लाठी डंडों पत्थरों से हुए खूनी संघर्ष में चीन के 43 जवान मारे गए. भारत के कई वीर जवान वीरगति को प्राप्त हुए, ऐसे में सवाल है आगे क्या?
चीन के खिलाफ भारत के पास 5 विकल्प
भारत अब आत्मनिर्भर भी है और सामर्थ्यवान भी है. चीन के खिलाफ ये भारत का घोषणापत्र है. चीन के खिलाफ कूटनीतिक और सैन्य विकल्प क्या हैं. आपको हम एक-एक करके बताते हैं कि ऐसे गंभीर हालात में भारत के पास क्या-क्या मुख्य विकल्प क्या है.
विकल्प नंबर 1- चीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की रणनीति बने
सोमवार की रात चीनी सैनिकों ने जिस करतूत को अंजाम दिया, उसकी सज़ा उसे मिलनी काफी जरूरी है. लेकिन भारत के पास चीन के इस हमले का जवाब देने के लिए पहला विकल्प ये है कि 'चमगादड़ चीन' के खिलाफ सख्त कार्रवाई की रणनीति बनाई जाए. ताकि उसे हर मोर्चे पर पटखनी दी जा सके.
विकल्प नंबर 2- LAC पर चीन को उसकी भाषा में जवाब
चीन की चालबाजी से हर कोई वाकिफ है. ऐसे में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर उसे सबक सिखाना जरूरी है. ऐसे में LAC पर जिस तरह का रवैया चीन अपना रहा है, उसी तरह भारत भी उसे जवाब दे. सीधा कहें तो चीन को उसी की भाषा में जवाब मिलना चाहिए.
विकल्प नंबर 3- चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बने
कोरोना को लेकर पहले ही चीन को पूरी दुनिया जलील कर रही है. ऐसे में भारत के पास तीसरा मुख्य विकल्प ये है कि वो चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की ओर काम करे. जो देश चीन के खिलाफ उसे भारत साथ लाए. ताकि चीन को उसकी औकात समझ में आ जाए.
विकल्प नंबर 4- समुद्र में चीन की घेराबंदी करे इंडियन नेवी
कब्जा करना चाइना की मुख्य पॉलिसी है. चाहे वो जमीन पर हो या समुद्र में, ऐसे में इस तनाव जैसे माहौल में भारत के पास एक और मुख्य विकल्प ये है कि इंडियन नेवी समुद्र में चीन की घेराबंदी करे, ऐसे में दबाव से चीन समझौते के लिए मजबूर होगा.
विकल्प नंबर 5- चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करे भारत
अगर पांचवे मुख्य विकल्प की बात करे तो, चीन के खिलाफ भारत को जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए. क्योंकि एक कहावत है लातों के भूत कभी बातों से नहीं मानते है. चीन के लिए भी लतियाने वाला फॉर्मूला अपना कर उसे सबक सिखाया जा सकता है.
भारत-रूस-चीन की ट्राइलेटरल मीटिंग
22 जून को भारत-रूस-चीन के विदेश मंत्रियों की ट्राइलेटरल मीटिंग होनी है. कुछ लोगों की राय है कि विरोध जताने के लिए भारत के विदेश मंत्री को इसका हिस्सा नहीं बनना चाहिए. अगर वो हिस्सा नहीं लेंगे तो चीन को मैसेज जाएगा कि भारत झुकने को तैयार नहीं है. हालांकि इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ भी सकता है.
जब अरुणाचल में चीन के किया था धोखा
20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से हमला किया था. इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे. यानी चीन ने तब भी अपना धोखे वाला चरित्र दिखाया था और अब एक बार फिर हिंसक चरित्र सामने आया है. लेकिन चीन की चाल को अब हिंदुस्तान हमेशा के लिए सीधा करने जा रहा है.
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चीन अगर ये सोच रहा था की वो लद्दाख में गुस्ताखी करेगा, LAC को बदलने की कोशिश करेगा और भारत शांत रहेगा तो चीन ये भूल गया है कि ये 1962 का हिंदुस्तान नहीं है. ये 2020 का न्यू इंडिया है, जो हर वार पर जबरदस्त पलटवार करता है. न्यू इंडिया का संकल्प है कि अगर छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं. डोकलाम से लेकर गलवान घाटी तक चीन को इसका सबूत चीन को मिल चुका है.
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