नई दिल्लीः करतारपुर गुरुद्वारा (Kartarpur Gurudwara) का प्रबंधन सिख समुदाय से लेकर एक अलग ट्रस्ट को दिए जाने के मुद्दे को लेकर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है. भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान (Pakistan) के राजनयिक को समन कर तलब किया है.
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रही है. पिछले साल 2019 में खोले गए करतापुर कॉरिडोर के बाद अब पाक ने नई साजिश रची है.
राजयिक को फटकारा
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने करतारपुर गुरुद्वारे (Kartarpur Gurdwara) का रख-रखाव पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से छीन कर ETPB (Evacuee Trust Property Board) को दे दिया है.
#WATCH: Pakistan diplomat arrives at South Block in Delhi after being summoned by Ministry of External Affairs (MEA) over the transfer of management and maintenance of Gurudwara Kartarpur Sahib. pic.twitter.com/5AXQf1Ozei
— ANI (@ANI) November 6, 2020
पाकिस्तान के इस कदम पर देशभर के सिख समुदाय में भारी आक्रोश है. वहीं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी इस पर कड़ी नाराजगी जताई है. विदेश मंत्रालय ने इस मामले में पाकिस्तानी राजनयिक को तलब कर फटकार लगाई है.
अकाली दल ने दर्ज कराया ऐतराज
अकाली दल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने पाकिस्तान सरकार के फैसले पर कड़ा एतराज जताया है. सिरसा ने कहा, पाकिस्तान ने इस तरह के हमले बार-बार किए हैं लेकिन इस हमले को हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगें.
Ministry of External Affairs (MEA) to summon Pakistan diplomat over the transfer of management and maintenance of Gurudwara Kartarpur Sahib. https://t.co/8Rs2pec7g0
— ANI (@ANI) November 6, 2020
हम इस विषय पर विदेश मंत्रालय का ध्यान दिलाएंगे. पाकिस्तान ने जिस Evacuee Trust Property Board को यह कार्यभार सौंपा है, उसकी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट में कुल 9 सदस्य हैं, लेकिन उनमें एक भी सिख समुदाय से नहीं है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और पंजाब के अकाली दल नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया है.
भारत सरकार ने बताया निंदनीय
भारत ने गुरुवार को करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के प्रबंधन को सिख समुदाय से छीनने पर इमरान खान सरकार के फैसले को निंदनीय बताया था. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है. इस कदम से आक्रोशित सिख समुदाय ने सरकार को दिए प्रतिवेदन में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से गुरुद्वारा प्रबंधन एवं रखरखाव का काम एक गैर-सिख निकाय को सौंपने पर नाराजगी जताई थी.
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