गरीबी के आंकड़ों पर बोले जयराम रमेश- 'नीति आयोग है पीएम मोदी का चीयरलीडर'

Congress on NITI Aayog: भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर चन्द्रशेखर की टिप्पणी पर जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूछा, 'राजीव चन्द्रशेखर यात्रा पर कुछ भी कहने वाले कौन होते हैं.'

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Jan 17, 2024, 03:40 PM IST
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गरीबी के आंकड़ों पर बोले जयराम रमेश- 'नीति आयोग है पीएम मोदी का चीयरलीडर'

Congress on NITI Aayog: नीति आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2013-14 से 2022-23 तक नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले, जिससे देश भर के राजनीतिक नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ गई. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'नीति आयोग की रिपोर्ट बिल्कुल गलत है. नीति आयोग कोई स्वतंत्र संस्था नहीं है, ये पीएम मोदी की चीयरलीडर है. नीति आयोग की रिपोर्ट पर कोई विश्वास नहीं करने वाला है...'

यह टिप्पणी तब आई जब BJP मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि पूरा देश जानता है कि सबसे पुरानी पार्टी पिछले 65 वर्षों से गरीब लोगों पर क्या अत्याचार कर रही थी.

मंत्री ने ANI को बताया, 'पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद ही 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ सके. तो कौन न्याय कर रहा है और कौन अन्याय कर रहा है, पूरा देश जानता है...'

 

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बारे में बोलते हुए, चंद्रशेखर ने कहा, 'अगर वे अपनी यात्रा को 'न्याय यात्रा' कहना चाहते हैं तो हमें कोई समस्या नहीं है...इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कांग्रेस राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होती है या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यह आस्था का मामला है और हम सब जाएंगे.'

भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर चन्द्रशेखर की टिप्पणी पर जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूछा, 'राजीव चन्द्रशेखर यात्रा पर कुछ भी कहने वाले कौन होते हैं.'

NITI रिपोर्ट में क्या है?
NITI चर्चा पत्र के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई, इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस ब्रैकेट से बाहर निकल गए.

नीति आयोग के अनुसार, राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभाव को मापती है, जो 12 सतत विकास लक्ष्यों-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं.

इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं.

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