कमलनाथ के 'रास्ते का कांटा' अब जा सकता है राज्यसभा

पिछले कुछ दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को खेमे ने खुश करने का फॉर्मूला खोज निकाला है. कांग्रेस उन्हें मध्यप्रदेश कोटे से राज्यसभा भेजने की तैयारी में है. इससे कई समस्याओं का निपटारा हो जाएगा.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 25, 2019, 05:58 PM IST
    • मध्यप्रदेश में तीन राज्यसभा सीटें हो रही हैं खाली
    • राज्यसभा में सिंधिया का यह पहला मौका
    • कमलनाथ सरकार की नाक में दम करने का मिला फायदा
    • क्या था मामला जिससे पार्टी से उखड़े थे सिंधिया ?
    • झारखंड चुनाव के साथ किया था रियल कमबैक
कमलनाथ के 'रास्ते का कांटा' अब जा सकता है राज्यसभा

भोपाल: ज्योतिरादित्य सिंधिया सम्मान के साथ संसद और देश के मुख्यधारा की राजनीति में दोबारा वापसी करने जा रहे हैं. दोबारा वापसी इसलिए की इससे पहले भी सिंधिया पार्लियामेंट में कांग्रेस के बोलते चेहरे के रूप में पहचाने जाते रहे हैं. लेकिन 2019 में गुणे लोकसभा क्षेत्र से चुनाव हार जाने के बाद से ही उनका कद पार्टी में काफी गिरा दिया गया था.

अब सिंधिया के राज्यसभा भेजे जाने के फैसले के साथ ही मध्य प्रदेश में उनके समर्थकों को खुश और शांत कर आसानी से सरकार चलाई जा सकती है. कम से कम सिंधिया के ग्राउंडमैन पॉलिटिक्स से मुख्यमंत्री कमलनाथ को जो रोज आलोचना झेलनी पड़ रही थी, वह अब शायद खत्म हो जाए. 

मध्यप्रदेश में तीन राज्यसभा सीटें हो रही हैं खाली

दरअसल, मध्यप्रदेश में सरकार बना लेने वाली कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने के जुगत में है.  9 अप्रैल 2020 को मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटें खाली होने वाली हैं. कांग्रेस  के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और भाजपा के ही वरिष्ठ नेता सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल पूरा हो रहा है.

इन तीन सीटों में से दो कांग्रेस अब तक पूरे तरीके से कब्जा जमाती हुई नजर आ रही है. अब यह बात लगभग तय हो चुकी है कि एक सीट पर कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा का सदस्य बनाया जाएगा. 

राज्यसभा में सिंधिया का यह पहला मौका 

लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को इसके साथ ही तीसरी बार सांसद तो बनेंगे लेकिन इस दफा उनका सदन कोई और ही होगा. अब तक लोकसभा में ही सांसद की भूमिका निभाने वाले सिंधिया अब राज्यसभा में कांग्रेस के दिए हुए दायित्व का निर्वाहन करेंगे. राज्यसभा में सिंधिया पहली बार पहुंचेगे. 

कमलनाथ सरकार की नाक में दम करने का मिला फायदा

हालांकि, मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार सुचारू रूप से चल सके और कोई विघ्न डालने वाला न हो, कांग्रेस आलाकमान की यहीं कोशिश रही होगी.

पिछले दिनों सिंधिया की पार्टी से रार इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि उन्होंने ट्विटर से पार्टी के सारे पद और बायो हटा लिए थे. इसके बाद यह लगने लगा था कि वे कांग्रेस को टाटा-बाय-बाय कहने वाले हैं. ये अलग बात है कि उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनका पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है. 

क्या था मामला जिससे पार्टी से उखड़े थे सिंधिया ?

लोकसभा हारने के बाद सिंधिया एक तरह से बेरोजगार हो गए थे. पार्टी ने जब उन्हें मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान स्क्रीनिंग कमिटी का अध्यक्ष बनाया तो ऐसी उम्मीदें जताई जाने लगी थीं कि उन्हें प्रदेश का मुखिया या उपमुखिया की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

लेकिन पार्टी ने उन्हें कोई पद तक नहीं दिया. इसके बाद से ही वे नाराज रहने लगे और कई मौकों पर अपनी ही पार्टी के राज्य मुखिया की बखिया उधेड़ने लग गए. आलम यह था कि उनसे परेशान हो कर सीएम कमलनाथ उनके सवालों का, उनके खतों का जवाब देना भी बंद कर चुके थे. 

झारखंड चुनाव के साथ किया था रियल कमबैक

सिंधिया का रियल कमबैक झारखंड चुनाव में स्टार प्रचारक की भूमिका के बाद हुआ. उन्हे पार्टी ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची में जगह दिया, जो महाराष्ट्र और हरियाणा में नहीं दे सके थे.

चुनाव प्रचार के बाद इंदौर लौटे सिंधिया ने जोश-जोश में यह भविष्यवाणी कर दी थी कि कांग्रेस, राजद और झामुमो महागठबंधन के साथ चुनाव जीत रही है. उनकी भविष्यवाणी काम भी  कर गई. भले इसके पीछे कारण जो भी रहा हो. 

अब जबकि उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की पूरी तैयारी कर ली गई है, अब यह देखना है कि वह पार्टी के लिए कितने उपयोगी साबित होते हैं. 

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