नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार के द्वारा किये गए दावे फेल होते नजर आ रहे हैं. दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अस्पतालों में समुचित इलाज करने के सभी दावे झूठे नजर आ रहे हैं. संक्रमण को फैलने से रोकने में केजरीवाल सरकार के हाथ पैर फूल रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल दिल्ली के मूल निवासियों का इलाज होगा जबकि शेष दिल्ली में रहने वाले लोगों को केंद्र सरकार के अस्पतालों में इलाज कराना पड़ेगा.
भेदभाव करने के आरोप
#WATCH Delhi hospitals will be available for the people of Delhi only, while Central Govt hospitals will remain open for all. Private hospitals except those where special surgeries like neurosurgery are performed also reserved for Delhi residents: CM Arvind Kejriwal #COVID19 pic.twitter.com/D47nRhXaUZ
— ANI (@ANI) June 7, 2020
दिल्ली में जो व्यक्ति बाहर से पढ़ने या काम करने के लिए गया है और यदि किसी भी कारणवश वो कोरोना की चपेट में आ जाये तो उसे बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. अरविंद केजरीवाल के इस फैसले से सियासी पार्टियां भी केजरीवाल सरकार पर हमलाकर हैं. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने ये फैसला विशेषज्ञों की समिति की सिफारिश पर लिया.
जानिए क्या है मुख्य कारण
केजरीवाल के मुताबिक कमेटी का कहना है कि फिलहाल दिल्ली के अस्पताल दिल्लीवासियों के लिए होने चाहिए, बाहर वालों के लिए नहीं. अगर दिल्ली सरकार के अस्पताल बाहर वालों के लिए खोल दिया तो 3 दिन में सब बेड भर जाएंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने ये फैसला लिया है.
कितना विवादित है ये फैसला
आपको बता दें कि इस समय पूरे देश में कोरोना वायरस जैसी जानलेवा महामारी फैल रही है. लगभग सभी राज्य इसकी चपेट में हैं. राजधानी दिल्ली और महाराष्ट्र देश में सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक हैं. माना जा रहा है अरविंद केजरीवाल के इस फैसले से उनकी दिल्ली की वोट बैंक को खुश करने की कूटनीति है. इससे बाहर से आये लोगों को बहुत समस्याएं होंगी. केजरीवाल ने इस फैसले को लागू करने के लिए जो बहाना बनाया है उस पर भी सवाल खड़े होते हैं.
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अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस संबंध में लोगों की राय मांगी गई थी. इसमें दिल्ली के 90 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि जब तक कोरोना है, तब तक दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवासियों का इलाज हो. उन्होंने बताया कि 5 डॉक्टर की एक कमेटी बनाई थी. उसने अपनी रिपोर्ट दी है. कमेटी ने बताया कि दिल्ली में जून के अंत तक 15 हजार बेड की आवश्यकता होगी. केजरीवाल कुछ दिन पहले तक ये दावा कर रहे थे कि पूरी दिल्ली के इलाज के लिए उनके पास पर्याप्त बेड हैं लेकिन पूरी दिल्ली को खाना खिलाने वाले झूठे दावे की तरह ये भी दावा झूठा साबित हुआ.