सेवानिवृत्त अधिकारी पर तंज कसने के मामले में लालू यादव को कोर्ट में पेशी का फरमान

"जब तक रहेगा समौसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू" यह मुहावरा खास राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिया गढ़ा गया था. लेकिन अब लालू न सिर्फ राजनीति से बाहर हैं, बल्कि बिहार से भी. वे जेल के अंदर हैं, चारा घोटाला मामले में. अब लगता है कि लालू पर एक नए आरोप में मुकदमा सुनाया जाना है, जिसके लिए कोर्ट ने उन्हें पेशी का आदेश दिया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 19, 2019, 01:08 PM IST
    • रांची रिम्स में फिलहाल भर्ती हैं लालू
    • इतने मामलों में सजायफ्ता हैं लालू यादव
सेवानिवृत्त अधिकारी पर तंज कसने के मामले में लालू यादव को कोर्ट में पेशी का फरमान

पटना: राजनीति से अनमाने तरीके से संन्यास ले चुके लालू प्रसाद यादव को अब सिर्फ पेशी के लिए ही बिहार आना-जाना पड़ रहा है. पटना अदालत ने उन्हें प्रोडक्शन वारंट जारी कर 2 दिसंबर को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश जारी किया है. इस बार उनपर सुनवाई किसी घोटाले के मामले में नहीं बल्कि मानहानि के मुकदमे में होने वाला है. लालू पर 2017 के दौरान सेवानिवृ्त्त अधिकारी ने मानहानि का मुकदमा दायर कराया था. उसी मामले में पटना हाई कोर्ट के विशेष न्यायधीश राजीव नयन ने प्रोडक्शन वारंट जारी कर उन्हें पेशी को बुलाया. 

क्या है पूरा मामला ? 

दरअसल, यह मामला भागलपुर में लालू यादव के एक बेतुके बयान के बाद सामने आया. वहां किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुंचे राजद सुप्रीमो ने सेवानिवृत्त आला अधिकारी उदयकांत मिश्रा और उनके परिवार को लपेटने की कोशिश की और इसी दौरान कुछ आपत्तिजनक बातें कह डाली. लालू बेबाक बोलने के अपने चिर-परिचित अंदाज के लिए ही जाने जाते हैं लेकिन यहां उसी अंजाज के चक्कर में वे अपने ऊपर एक और मामला लंबित करवा बैठे. मामले का तार बिहार के सृजन घोटाले से जोड़ा जा रहा है, जिसकी अब तक कोई सुध भी नहीं. उदयकांत मिश्रा ने मामला दर्ज कराते हुए कहा कि उन्हें इस घोटाले में आरोपी बता बदनाम करने की कोशिश की गई. 

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रांची रिम्स में फिलहाल भर्ती हैं लालू 

मालूम हो कि लालू के ऊपर चारा घोटाले के अलग-अलग मामलों पर सुनवाई चल रही है. फिलहाल झारखंड हाईकोर्ट ने देवघर कोषागार मामले में तो लालू को जमानत पर बरी कर दिया था लेकिन दुमका कोषागार मामले में उन्हें 7 साल जेल की सजा काटने का सजा सुनाई गई है. इस सजा को वे रांची के बिरसा मुंडा जेल से ही काट रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से स्वस्थ्य परेशानियों से जूझ रहे लालू यादव फिलहाल रांची रिम्स में भर्ती हैं. अदालत ने स्वस्थ्य समस्याओं को देखते हुए उन्हें पैरोल दी गई है. अब उनके लिए मुश्किल यहीं है कि स्वस्थ्य खराब होने के बावजूद उन्हें अदालत में पेशी देनी होगी. फिलहाल के लिए तो ऐसा ही लगता है.

इतने मामलों में सजायफ्ता हैं लालू यादव

लालू यादव को इसी साल दुमका के राजकोष से गलत तरीके से 3.13 करोड़ रुपए की निकासी करने का चौथा मामला खुला था. उस मामले में सीबीआई ने कोर्ट में कुछ सुराग पेश किए. कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया और सजा सुनाई कि लालू को 14 साल जेल में गुजारने होंगे और 60 लाख रुपए का फाइन भी भरना होगा. यह पूरा खेल 1990 के दशक का है. एडवोकेट विष्णु शर्मा ने उस वक्त कोर्ट के बाहर लालू पर दायर धाराओं के बारे में बताया था. उन्हें कहा कि भारतीय दण्डाधिकार की धारा 420 (चीटिंग), धारा 409( किसी सरकारी सेवार्थी द्वारा आपराधिक मामलों में सेंध), धारा 467( फोर्जरी), धारा 471, धारा 477 और धारा 120 B (आपराधिक षडयंत्र) के मामले में दोषी पाया गया और 30 लाख की भुगतान राशि के अलावा 7 साल की सजा सुनाई गई है. यह मामला भ्रष्टाचार निरोधक कानून से संबंधित था. लालू पर दोनों ही सजा साथ-साथ चलेगी.

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राजनीति में कुछ सालों पहले तक करिश्माई छवि माने जाने वाले लालू प्रसाद यादव का यह हस्त्र उनके समर्थकों के लिए काफी बुरा है. लेकिन अदालत ने इतना तो साबित किया कि चाहे जो भी हो राजा, रंक या फकीर न्याय के दरवाजे पर सब बराबर हैं. 

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