60 लाख से ज्यादा मुकदमों का एक दिन में निपटारा, देश भर में हुईं लोक अदालतों में बना नया रिकॉर्ड

इसे अब तक की सबसे बड़ी राष्ट्रीय लोक अदालत माना जा रहा है. जब एक ही दिन में हजारों अदालतों में कई सालों से पेडिंग 60 लाख 45 हजार 180 मामलों का निस्तारण कर दिया गया है. फिजिकल और वर्चुअल दोनों ही माध्यम से आयोजित इस राष्ट्रीय लोक अदालतों में आम जनता की भागीदारी को लेकर नालसा के एक्जीक्यूटीव चैयरमेन ने भी खुशी जतायी है.

Written by - Nizam Kantaliya | Last Updated : Mar 13, 2022, 12:23 PM IST
  • 1 करोड़ 72 लाख 21 हजार 300 मुकदमों को चिन्हित किया गया
  • 1.26 करोड़ मुकदमें प्री लिटिगेशन और 48.5 लाख पेडिंग मुकदमें
60 लाख से ज्यादा मुकदमों का एक दिन में निपटारा, देश भर में हुईं लोक अदालतों में बना नया रिकॉर्ड

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज और नालसा के एक्जीक्यूटिव चैयरमेन जस्टिस उदय उमेश ललित द्वारा लोक अदालत को आंदोलन बनाने के प्रयासों के परिणाम अब सामने आने लगे हैं. नालसा की ओर से शनिवार को देशभर की अदालतों में आयोजित वर्ष 2022 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में रिकॉर्ड 60 लाख 45 हजार 180 मुकदमों का निस्तारण हुआ है. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के इतिहास में इस राष्ट्रीय लोक अदालत को देश में अब तक की सबसे बड़ी लोक अदालत माना जा रहा है. जब एक ही दिन में देश की अदालतों के 60 लाख से अधिक केसों का निपटारा हो गया है.

जस्टिस उदय उमेश ललित के नालसा एक्जीक्यूटिव बनने के बाद से ही लोक अदालतों में नए जोश का संचार हुआ है. जस्टिस ललित ने पिछले कुछ माह में ही हिमालय से लेकर कन्याकुमारी और कच्छ से लेकर गुवाहाटी के दूर दराज गांवों के हजारों किलोमीटर का सफर तय किया है. कोविड के बाद जस्टिस ललित ने लोक अदालत को आंदोलन का एक नया रूप दिया है. उन्होंने देश के सभी राज्यों के प्राधिकरणों के कार्यकारी अध्यक्षों को नए सिरे से लोक अदालतों की शुरूआत करने की प्रेरणा देते हुए कई नए आयाम स्थापित कर दिये हैं. जस्टिस उदय उमेश ललित के इन प्रयासों के नतीजे वर्ष की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में भी खुलकर सामने आये हैं. 

गौरतलब है कि इससे पूर्व 12 दिसंबर को आयोजित हुई वर्ष 2021 की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत में भी 54 लाख प्रकरणों का निस्तारण हुआ था, जबकि वर्ष 2021 में कुल 1 करोड़ 27 लाख प्रकरणों का निस्तारण किया गया था. जिसमें 55 लाख अदालतों में कई वर्षो से लंबित मुकदमे थे.

एक दिन में हुई 1.72 करोड़ मुकदमों की सुनवाई  
कोविड काल के बाद पहली बार देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एकसाथ इस लोक अदालत का आयोजन किया गया है. इस राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए हाईकोर्ट सहित अधिनस्थ अदालतों में सुनवाई के लिए 1 करोड़ 72 लाख 21 हजार 300 मुकदमों को चिन्हित किया गया था. जिसमें 1.26 करोड़ मुकदमें प्री लिटिगेशन और 48.5 लाख पेडिंग मुकदमें शामिल थे.आपसी समझाईश के आधार पर निस्तारित हुए मुकदमों में 4000 करोड़ रुपये से अधिक का पक्षकारों को मुआवजा भी जारी किया गया है. 

सस्ता और सुगम न्याय 
देशभर की अदालतों में आयोजित हुई राष्ट्रीय लोक अदालत का सबसे विशेष पहलू सुप्रीम कोर्ट जस्टिस यूयू ललित का संबोधन रहा. ये भी पहली बार हुआ है कि नालसा के एक्जीक्यूटीव चैयरमेन के तौर जस्टिस यूयू ललित ने देश के 16 राज्यों की 40 लोक अदालतों की कार्यवाही को एक साथ मॉनिटर किया. जस्टिस ललित दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से देशभर की लोक अदालतों में शामिल हुए पक्षकारों, जजों और पीएलवी से बातचीत की.

इस दौरान जस्टिस यू यू ललित ने राष्ट्रीय लोक अदालत को संबोधित करते हुए कहा कि सस्ता और सुगम न्याय की पहुंच आम जनता तक होना ही लोक अदालत की सफलता है. उन्होने जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे प्रेसिडिंग आफिसर, अधिवक्ता, इंटर्न और सेवा कार्य कर रहे लोगों के प्रयासों की भी तारीफ की. जिनके चलते राष्ट्रीय लोक अदालत में रिकॉर्ड मामलो का निस्तारण हो पाया.

50 साल पुराने मुकदमें का हुआ निस्तारण
राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान कर्नाटक के मैसूर में एक 53 वर्ष से अधिक पुराने मुकदमें का निस्तारण हुआ है. इस संपति विवाद के चलते मैसूर में 38 परिवारों के दर्जनों पक्षकार सालों से आमने-सामने दुश्मन बने हुए थे. शनिवार को इस मुकदमे का निस्तारण आपसी समझाईश के आधार हो गया है. जब समझौते पर हस्ताक्षर किये जा रहे थे तो अदालत में जैसे एक परिवार का मेले का माहौल बन गया था. समझौते के आधार पर निस्तारित हुए इस मुकदमें के सभी 38 पक्षकारों से जस्टिस यूयू ललित ने भी बातचीत की.

अस्पताल से जुड़ा एक पक्षकार
53 साल बाद समझाईश के आधार पर हो रहे समझौते में पेंच तब आया, जब एक पक्षकार को बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. ऐसे में अदालत की ओर से इस पक्षकार के लिए वर्चुअल तरीके से पेश करने का निर्णय लिया. और आखिरकार उस पक्षकार ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए समझौते के लिए अपनी सहमति दी. जस्टिस उदय उमेश ललित ने इन सभी 38 पक्षकारों से वर्चुअल तरीके से बातचीत करते हुए उनकी तारीफ की.

30 वर्ष बाद मां बेटे के रिश्ते के बीच की हटी दीवारें
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ की लोक अदालत संख्या 2 में एक ऐसे मुकदमें का सौहादपूर्ण निस्तारण हुआ है, जिसने सभी के चेहरे मुस्कुराहट ला दी है. 30 वर्ष से संपति विवाद के चलते मां और बेटे के बीच खिचीं दीवारें शनिवार को उस वक्त टूट गईं, जब समझाईश के बाद इस विवाद का अंत हो गया. समझौते के बाद बेंच की अध्यक्षता कर रहे रिटायर्ट जस्टिस के एस राठौड़ और सदस्य डीजे जे एस कुलहरी ने मां बेटे को माला पहनाकर स्वागत किया.  

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इन प्रकरणों का हुआ निस्तारण

शनिवार को आयोजित हुई इस राष्ट्रीय लोक अदालत में एनआई एक्ट, धन वसूली, राजीनामें योग्य फौजदारी मामले, एमएसीटी, बिजली, पानी और बिलों के भुगतान संबंधित, वैवाहिक प्रकरण, पेंशन, राजस्व मामलों सहित अन्य मामलों का निस्तारण किया गया.

पहली बार चालान के भुगतान हुए लोक अदालत में
इस लोक अदालत में पहली बार देशभर की 125 अदालतों में ट्रेफिक चालान के मुकदमें भी रखे गये. केवल राजधानी दिल्ली में चालान के भुगतान के लिए 1.20 लाख मामले रखे गये थे. वाहन चालकों का ये चालान ट्रैफिक नियम तोड़ने पर किए गए हैं. लोगों की सुविधा के लिए पहली बार हाईकोर्ट समेत देश की कई कोर्ट में लोक अदालत आयोजित की गयी. नालसा की ओर से सोमवार को इसके आकड़े जारी किये जायेंगे.

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