Loksabha Election 2024: चुनाव जीतने के लिए ये रास्ता तलाश रहे अखिलेश यादव, जानें रणनीति

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए सपा मुखिया अखिलेश लोकसभावार सभी छोटे-बड़े नेताओं को साथ बैठक कर रहे हैं. इसमें नेताओं व कार्यकर्ताओं की गुटबाजी दूर कर उनमें जोश भरने का प्रयास कर रहे हैं. वह संवाद के माध्यम से जीत के सूत्र तलाश रहे हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 29, 2023, 04:04 PM IST
  • जानें क्या है अखिलेश की प्लानिंग
  • यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं
Loksabha Election 2024: चुनाव जीतने के लिए ये रास्ता तलाश रहे अखिलेश यादव, जानें रणनीति

नई दिल्लीः आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए सपा मुखिया अखिलेश लोकसभावार सभी छोटे-बड़े नेताओं को साथ बैठक कर रहे हैं. इसमें नेताओं व कार्यकर्ताओं की गुटबाजी दूर कर उनमें जोश भरने का प्रयास कर रहे हैं. वह संवाद के माध्यम से जीत के सूत्र तलाश रहे हैं.

सपा तलाश रही राह
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में सपा इस बार कोई कोर कसर बांकी नहीं रखना चाहती है. पिछले दो लोकसभा चुनाव यानी 2014 व 2019 में उसका प्रदर्शन काफी खराब रहा था. दोनों ही चुनाव में उसे मात्र पांच-पांच सीटें ही मिल पाई थी.सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 2024 का लोकसभा चुनाव में किसी प्रकार की खामी न रहे इसलिए वह लोकसभावार समीक्षा कर रहे हैं. 

इन सीटों को लेकर हुई बैठक
अब तक लालगंज, आजमगढ़, प्रतापगढ़ व कन्नौज लोकसभा सीट के नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुके हैं. वहां के नेताओं से सत्तारूढ़ दल की खामियां और पार्टी की मजबूती पर फोकस कर रहे हैं. हर एक लोकसभा का अलग अलग परेशानी पर भी नजर रख रहे हैं. कार्यकर्ताओं की गुटबाजी दूर कर उनमें जोश भरने का प्रयास कर रहे हैं.

पार्टी अध्यक्ष यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके यहां कौन उम्मीदवार सबसे अच्छा चुनाव लड़ सकता है.सपा के वरिष्ठ प्रवक्ता सुनील साजन कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले रहे हैं. बूथ, सेक्टर ब्लॉक और विधानसभा कमेटी का सत्यापन तीन चरणों में हो रहा है. ब्लॉकवार समीक्षा हो रही है. पिछला चुनाव किन किन खामी से हारे थे, उन्हें ठीक करना है. 2019 और 22 के चुनाव को जोड़कर देख रहे हैं. हमें कितनी मेहनत की जरूरत है. कौन सा समीकरण फिट बैठेगा. इस पर भी काम हो रहा है.

सपा दिख रही है गंभीर
राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि सपा इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ ज्यादा ही गंभीर है. अखिलेश यादव भाजपा की तर्ज पर बूथ लेवल की मीटिंग और प्रभारियों की नियुक्ति भी कर चुके है. वह पिछड़ा और दलित वोट बैंक साधने में जुटे हैं. इसके के लिए जातिवार जनगणना पर उनका खास फोकस है. इसके लिए पार्टी की ओर हर जिले में संगोष्ठी भी हो चुकी है.

दूसरा, अखिलेश राष्ट्रीय स्तर पर बन रहे विपक्षी एकता के लिए भी पूरी ताकत लगा रहे हैं. हालांकि उन्हें लोकसभा चुनाव में कितनी सफलता मिलती है यह तो आने वाला वक्त तय करेगा.गौरतलब हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा व रालोद ने मिलकर लड़ा था. सपा 37, बसपा 38 व रालोद तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थी. दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गई थीं. प्रतापगढ़ सीट पर भी बसपा प्रत्याशी ने चुनाव लड़ा था. आजमगढ़ सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव लड़े थे.

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी सीट के उपचुनाव में डिंपल बड़े अंतर से जीत दर्ज कर चुकी हैं. सपा ने 2019 में आजमगढ़, मुरादाबाद, रामपुर, संभल व मैनपुरी जीती थी.

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