मध्य प्रदेशः कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट के लिए मांगा 2 हफ्ते का समय

कोर्ट ने पूछा, MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे  तो इस पर सिंघवी ने कहा कि आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं. ऐसा किए बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 19, 2020, 01:14 PM IST
    • अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के विवेकाधिकार में दखल नहीं दे सकता.
    • बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं ः सिंघवी
मध्य प्रदेशः कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट के लिए मांगा 2 हफ्ते का समय

भोपालः मध्य प्रदेश में सियासी हलचल अभी जारी है. अब इसके किरादर सुप्रीम कोर्ट में हैं. गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी रही. इस दौरान वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर का पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि  विधानसभा अध्यक्ष के अधिकारों में दखल नहीं दिया जाना चाहिए. नई सरकार में 16 लोग फायदा ले लेंगे. इसके अलावा उन्होंने फ्लोर टेस्ट की बात पर कहा कि आप दो हफ्तों का वक्त दे दीजिए. सिंघवी यह भी बोले की सिर्फ फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है. याचिका में कांग्रेस ने भाजपा पर विधायकों को बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया है.
 
लंबा चला सवाल-जवाब का दौर

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के विवेकाधिकार में दखल नहीं दे सकता. सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपना शुरू कर दिया.

सिंघवी ने ये भी कहा कि वैसे तो कोर्ट को स्पीकर के लिए कोई समय तय नहीं करना चाहिए. स्पीकर को समय दिया देना चाहिए. लेकिन फिर भी आप कह दीजिए कि उचित समय में स्पीकर तय करें तो वह 2 हफ्ते में तय कर लेंगे. 

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MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे?  कोर्ट ने पूछा
कोर्ट ने पूछा, MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे  तो इस पर सिंघवी ने कहा कि आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं.

ऐसा किए बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए. अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया? 

जस्टिस चंद्रचूड़ः इस्तीफे या अयोग्यता का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध?
बहस आगे बढ़ी तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि इस्तीफे या अयोग्यता का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध है, आप इसके लिए क्यों नहीं बात कर रहे हैं. वकील सिंघवी ने कहा कि इसलिए कि इससे तय होगा कि नई सरकार में अपनी पार्टी से विश्वासघात करने वाले MLA को क्या मिल सकेगा. अगर मैंने इस्तीफा अस्वीकार किया तो विधायक व्हिप से बंध जाएंगे. 

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कोर्ट ने हिंदी को खूबसूरत भाषा बताया
बहस के दौरान सिंघवी इस्तीफा स्वीकार करने के नियम और प्रक्रिया पढ़ने लगे. इसकी भाषा हिंदी में थी. इस दौरान उन्होंने रुक कर पूछा कि नियम व प्रक्रिया हिंदी में है, इससे कोई आपत्ति तो नहीं है. सिंघवी ने जानना चाहा कि जजों को हिंदी में पढ़े जाने से कोई दिक्कत तो नहीं है. इस पर जस्टिस चंद्रचूजड़ ने कहा-, नहीं, नहीं बिल्कुल भी नहीं, यह एक खूबसूरत भाषा है. आप पढ़िए. दरअसल जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे पहले कहा था कि जोड़-तोड़ को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए, आप जल्द फ्लोर टेस्ट कराइए. 

 

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