मुंबई. महाराष्ट्र के समृद्धि एक्सप्रेसवे पर हाल में दुर्घटनाग्रस्त हुई निजी बस को सड़क पर चलने के लिए उपयुक्त जांचने के लगभग नौ महीने बाद ही फिटनेस प्रमाणपत्र दिया गया था. यह बात ऑफिशियल रिकॉर्ड से सामने आई है.
'ये प्रशासनिक चूक है'
अधिकारियों के अनुसार अधिकार कार्यकर्ताओं और पूर्व RTO कर्मचारियों ने दोनों प्रक्रियाओं के बीच अत्यधिक देरी को ‘प्रशासनिक चूक’ करार दिया है और कहा है कि इससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश बनती है. अधिकार कार्यकर्ताओं और RTO के कर्मचारियों ने इस विशेष मामले में देरी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ 'सख्त कार्रवाई' की मांग करने के अलावा, व्यवस्था में सुधार के लिए ‘ठोस कदम’ उठाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है.
कॉमर्शियल वाहनों के लिए जरूरी होता है सर्टिफिकेट
दरअसल, सभी व्यावसायिक वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र अनिवार्य है. महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में एक जुलाई को समृद्धि एक्सप्रेस-वे पर एक बस में आग लगने से 25 यात्रियों की झुलस कर मौत हो गई थी जबकि बस का चालक और उसका सहायक समेत आठ लोग बाल-बाल बच गए थे.
क्यों लगा 9 महीने का वक्त?
दुर्घटना के दिन दर्ज की गई अमरावती RTO की प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2020 में यवतमाल आरटीओ में पंजीकृत बस का फिटनेस प्रमाणपत्र 10 मार्च, 2024 तक वैध था. हालांकि, व्यावसायिक वाहन के आंकड़ों से अस्पष्ट प्रक्रियात्मक देरी का पता चलता है. आरटीओ के अधिकारियों के अनुसार 10 मार्च, 2022 को बस के सड़क पर चलने के लिए उपयुक्त योग्यता की जांच किए जाने के नौ महीने बाद 29 नवंबर, 2022 को इसके फिटनेस प्रमाणपत्र को मंजूरी प्रदान की गई थी.
ये भी पढ़ेंः क्या है ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र-2’, चुन-चुनकर मारे जा रहे कश्मीर में छिपे आतंकी
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.