महाराष्ट्र के इस छोटे से गांव ने कोरोना पर किया ऐसा वार, पीएम मोदी भी कर रहे हैं जय जयकार

इस छोटे से गांव ने कोरोना को हराने के लिए जिस तरह के मॉडल का इस्तेमाल किया आज वो चर्चा का विषय बन गया है, अधिकारी इस मॉडल को लागू करने की बात कह रहे हैं.

Written by - Akash Singh | Last Updated : May 21, 2021, 08:24 PM IST
  • इस छोटे से गांव ने कई ऐसे मुकाम हासिल किए हैं
    जानिए आखिर क्या है इस गांव का मॉडल
महाराष्ट्र के इस छोटे से गांव ने कोरोना पर किया ऐसा वार, पीएम मोदी भी कर रहे हैं जय जयकार

नई दिल्लीः नजरिया बदलो, नजारे अपने आप बदल जाएंगे. वैसे तो इन पंक्तियों के मायने बहुत बड़े हैं, लेकिन कहते हैं कि मुश्किलें दिलों के इरादे आजमाती हैं और जो विपरीत हालात में अपनी समझदारी और बेहतर नजरिए को काम का जरिया बनाते हैं सफलता उनके कदम चूमती है. कोरोना महामारी के इस मुश्किल हालात में ऐसी ही एक मिसाल पेश की है महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव ने. जिसके मॉडल की जय जयकार खुद प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में की है.यह कमाल पद्मश्री पोपटराव पवार की सरपरस्ती में हुआ है, जो 1990 से ही गांव के सरपंच हैं.

कोरोना फ्री हुआ गांव
 महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का एक छोटा सा गांव है हिवरे बाजार. इसकी आबादी महज 1600 लोगों की है, लेकिन खबरों की दुनिया से वास्ता रखने वाले लोग जानते हैं हिवरे बाजार ने कई ऐसे मुकाम हासिल किए हैं जिसकी चर्चा दुनिया भर में है. पुणे से करीब 115 किलोमीटर दूर इस गांव ने खुद को कोरोना फ्री कर दिया है. इसका श्रेय जाता है यहां के सरपंच पोपटराव पवार को. जिन्होंने कोरोना को हराने के लिए जिस तरकीब का इस्तेमाल किया उसे पोपटराव मॉडल के नाम से जाना जाने लगा है.

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ऐसे आया गिरफ्त में
कोरोना की पहली लहर में भी इस गांव ने शानदार काम किया था. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में जब पूरा देश इस महामारी से त्रस्त था तब 20 मार्च को इस गांव में कोरोना का पहला केस सामने आया. 15 अप्रैल तक ये संख्या बढ़कर 47 हो गई, जिसमें 2 लोगों की जान भी चली गई. इसके बाद पोपटराव पवार और उनके साथियों ने ठान लिया कि इस महामारी को अपने गांव से अब खदेड़ देना है.

शुरू किया अभियान 

गांव में घर-घर जाकर लोगों की जांच शुरू की गई. लक्षण वाले लोगों की एक लिस्ट बनाई गई. गांव में पाबंदियां लगाई गईं कि कोई भी शख्स ने तो गांव के बाहर जाएगा और न ही कोई बाहरी शख्स गांव के भीतर आएगा. जो संक्रमित थे उनके लिए गांव के बाहर अलग से आईसोलेशन सेंटर बनाए गए. इसका नतीजा ये हुआ कि गांव में 30 अप्रैल तक कोरोना का एक भी मरीज नहीं बचा.

5 टीमें बनाई गईं
पवार ने बताया कि जब गांव में कोरोना केस बढ़ने लगे तो हमने 5 अलग-अलग टीमों का गठन किया. जिसमें टीचर, स्थानीय नेता और युवा शामिल थे. उन्हें पीपीई किट, ग्लब्स , मास्क और सैनिटाइजर दिए गए. जिसके बाद उन्होंने घर-घर जाकर जांच शुरू की और हर लोगों की लिस्ट बनाई. उसके बाद सबकी जांच कराई गई. जो पॉजिटिव आए उन्हें अलग से रखकर उनकी देखभाल की गई. साथ ही लोगों ने कई तरह की पाबंदियां लगाई. जिसका परिणाम सबके सामने है. 

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 सोशल डिस्टेंसिंग यहां की आदत
हिवरे बाजार की खूबी है कि यहां रहने वाले सामाजिक दूरी का पालन करते हैं. ग्राम पंचायत से मिले सैनेटाइजर का हर घर में इस्तेमाल होता है. लोग मास्क लगाते हैं. इसके बाद भी चार टीमें मार्केट पर नजर रखती हैं कि वहां कोई कोविड गाइडलाइंस का उल्लंघन तो नहीं कर रहा. हर हफ्ते ग्राम पंचायत के कर्मचारी और वॉलंटियर्स गांव वालों का तापमान और ऑक्सिजन का स्तर मापते हैं.

मॉडल जो बन गया चर्चा का विषय
पिछले 20 दिन से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जांच कर रहे हैं लेकिन उन्हें इस छोटे से गांव में कोई भी संक्रमित नहीं मिला है. अहमनदर के अधिकारी इस गांव के मॉडल से इतने प्रभावित हैं कि वे इसे अहमदनगर के 113 गांवों में लागू करने की तैयारी में हैं. अधिकारियों का कहना है कि हिवरे बाजार का ये मॉडल गांवों से कोरोना को भगाने का सबसे बेहतरीन मॉडल है. 

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