नई दिल्ली. रामचरितमानस की एक चौपाई को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती के एक बयान से खलबली मच गई है. मायावती ने कहा है कि देश में कमजोरों का ग्रंथ संविधान है न कि राम चरितमानस.यह कहते हुए वो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर बरस पड़ी हैं. उन्होंने अखिलेश को कुख्यात गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाई है.
मायावती ने ट्वीट किया है- देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है. अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे. इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं.
गेस्ट हाउस कांड की दिलाई याद
उन्होंने ट्वीट थ्रेड में आगे लिखा- साथ ही, सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था. वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियाँ इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं.
अखिलेश ने किया है मौर्य का समर्थन
दरअसल समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि राम चरित मानस में समाज के कुछ हिस्सों अपमानित महूसस होता है. उनकी बात का इशारा राम चरित मानस की चौपाई- 'ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी...सकल ताड़ना के अधिकारी' पर था. अखिलेश यादव ने मौर्य के बयान का बचाव किया है.
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