महबूबा मुफ्ती बोलीं- शहीद दिवस पर 'घर में नजरबंद' किया, बंद गेट की तस्वीर शेयर की

Jammu and Kashmir: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने आवास के गेट पर ताला लगे होने की तस्वीरें X पर साझा कीं.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Jul 13, 2024, 01:40 PM IST
  • महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मजार-ए-शुहादा जाने से रोका गया
  • उमर अब्दुल्ला ने भी घर में नजरबंद होने का दावा किया
महबूबा मुफ्ती बोलीं- शहीद दिवस पर 'घर में नजरबंद' किया, बंद गेट की तस्वीर शेयर की

Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि उन्हें कश्मीर शहीद दिवस पर मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए नजरबंद कर दिया गया. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने आवास के गेट को बंद किए जाने की तस्वीरें X पर साझा कीं.

उन्होंने कहा, 'मुझे मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए मेरे घर के गेट को एक बार फिर बंद कर दिया गया है - जो सत्तावाद, उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ कश्मीर के प्रतिरोध और लचीलेपन का एक स्थायी प्रतीक है. हमारे शहीदों का बलिदान इस बात का प्रमाण है कि कश्मीरियों की भावना को कुचला नहीं जा सकता.'

मुफ्ती ने ट्वीट किया, 'आज इस दिन शहीद हुए प्रदर्शनकारियों की याद में इसे मनाना भी अपराध बन गया है.'

मजार-ए-शुहादा
हर साल 13 जुलाई को सभी मुख्यधारा के दलों के नेता श्रीनगर में मजार-ए-शुहादा पर उन 22 प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि देने आते हैं, जिन्हें 1931 में तत्कालीन महाराजा की सेना ने गोली मार दी थी.

केंद्र पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी सामूहिक यादों को मिटाने का प्रयास है. उन्होंने कहा, '5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को खंडित कर दिया गया, शक्तिहीन कर दिया गया और हमारे लिए जो कुछ भी पवित्र था, उसे छीन लिया गया. इस तरह के हमले हमारे अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ाई जारी रखने के हमारे दृढ़ संकल्प को और मजबूत करेंगे.'

उमर अब्दुल्ला का विरोध
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी जम्मू-कश्मीर में 'न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक शासन' स्थापित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों को श्रद्धांजलि देने से लोगों को रोकने के लिए 'पुलिस ज्यादतियों' पर X पर नाराजगी व्यक्त की.

अब्दुल्ला ने कहा, 'एक और 13 जुलाई, शहीद दिवस, फिर से दरवाजे बंद... देश में हर जगह इन लोगों की शहादत का जश्न मनाया जाता, लेकिन जम्मू-कश्मीर में प्रशासन इन बलिदानों को नजरअंदाज करना चाहता है. यह आखिरी साल है, जब वे ऐसा कर पाएंगे. इंशाअल्लाह, अगले साल हम 13 जुलाई को उस गंभीरता और सम्मान के साथ मनाएंगे, जिसका यह दिन हकदार है.'

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप. 

ट्रेंडिंग न्यूज़