Modi Sarkar 2.0 में कभी खुशी, कभी गम.. कैसा रहा दूसरा कार्यकाल?

मोदी सरकार 2.0 के दो साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन बीते दो वर्षों में सरकार ने लोगों को कितनी खुशी दी है और सरकार के फैसले से लोगों को कितना गम मिला है? इस सवाल का जवाब आपको इस खास रिपोर्ट में मिल जाएगा.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : May 30, 2021, 01:49 AM IST
  • देश में मोदी सरकार 2.0 के दो साल
  • जनता की नजर में कैसा रहा कार्यकाल?
Modi Sarkar 2.0 में कभी खुशी, कभी गम.. कैसा रहा दूसरा कार्यकाल?

नई दिल्ली: देश में मोदी सरकार पार्ट 2 के दो साल पूरे हो चुके हैं, आज ही के दिन 30 मई 2019 को नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी. अब इस सवाल का जवाब मिलना जरूरी है कि जनता की नज़र में दो साल का कार्यकाल कैसा रहा?

दूसरे कार्यकाल में क्या भला क्या बुरा?

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब केंद्र की भाजपा नीत सरकार की प्रचंड बहुमत के साथ शानदार वापसी हुई, तो दूसरी बार सरकार बनाने के साथ ही मोदी सरकार ने ताबतड़तोड़ और आक्रामक अंदाज में फैसले लेने शुरू कर दिए. इसके कई सारे उदाहरण हैं, लेकिन आपको मोदी सरकार के 5 बड़े फैसले और उनसे होने वाली साइड इफेक्ट्स के जरिए दो साल के कार्यकाल के एक-एक पहलू को समझाते हैं.

1). तीन तलाक कानून और छिड़ा घमासान

वैसे तो तीन तलाक कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाता है, लेकिन सही मायने में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक बिल (Triple Talaq bill) को मंजूरी 1 अगस्त 2019 को दी थी. मोदी सरकार ने इस बिल को 25 जुलाई 2019 को लोकसभा में और 30 जुलाई को राज्यसभा में पास करवाया था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया था. इस कानून में प्रावधान है कि तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना. तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है. इसमें तीन साल तक की सजा के साथ-साथ कई अन्य कड़े प्रावधान हैं.

निश्चित तौर पर जहां इस फैसले से मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के दिल में जगह बनाना चाहती थी, तो वहीं एक बड़ा तबका मोदी सरकार के इस कड़े फैसले से नाराज हो गया. कई सारे लोगों ने इसका खूब विरोध किया, हालांकि मोदी सरकार अपने फैसले पर टिकी रही.

2). अनुच्छेद 370 का खात्मा और मचा कोहराम

तीन तलाक पर शिकंजा कसने के तुरंत बाद 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया, अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर से हटा दिए गए. वर्षों से बीजेपी के प्रमुख एजेंडे में शामिल एक बड़ा वादा मोदी सरकार ने पूरा कर दिया.

जम्मू कश्मीर में इसके बाद से एक अलग ही रंग देखने को मिला. जिस लाल चौक पर तिरंगा फहराना आपराधिक कृत्य हुआ करता था आज उसी लाल चौक पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज शान के साथ फहराया जाने लगा.

जहां 370 के खात्मे से पूरे देश में खुशी की लहर थी, वहीं सियासत में जबरदस्त कोहराम मच गया. जम्मू कश्मीर के कई बड़े नेताओं को सरकार ने नजरबंद कर दिया. वहां कर्फ्यू लगा दिया गया, हालात को काबू में रखने के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाए.

3). राम मंदिर का निर्माण और जमकर हुई राजनीति

5 अगस्त 2020 की तारीख इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो गया. पीएम मोदी ने भूमि पूजन के साथ ही करोड़ों राम भक्तों के मन को सुकून दे दिया है. क्योंकि पीएम मोदी ने इसी दिन राम मंदिर निर्माण कार्य की नींव रखी थी.

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राम मंदिर का मुद्दा भी बीजेपी के संकल्प पत्र में प्रमुख स्थान पर था. 5 अगस्त की तारीख मोदी सरकार पार्ट-2 के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि दो वर्षों में कुछ न कुछ बड़ा और ऐतिहासिक कार्य हुआ है. नरेंद्र मोदी श्रीरामजन्मभूमि पहुंचने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. किसी भी मंदिर का भूमिपूजन करने वाले भी पहले प्रधानमंत्री बने.

राम मंदिर का मुद्दा जहां भाजपा के लिए जहां संजीवनी बनी, वहीं भाजपा को कमजोर करने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने इसका जमकर विरोध भी किया. यहां तक कि जब दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने कोरोना के बीच राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का फैसला लिया तो कई पार्टियों ने इसका भी विरोध किया.

4). नागरिकता संशोधन कानून और उसपर बवाल

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक बड़ा फैसला नागरिकता संशोधन कानून भी है. नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा ने 10 दिसम्बर 2019 को और राज्यसभा ने 11 दिसम्बर 2019 को परित कर दिया था. 12 दिसम्बर को भारत के राष्ट्रपति ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी और यह विधेयक एक अधिनियम बन गया.

10 जनवरी 2020 से यह अधिनियम प्रभावी भी हो गया है. 20 दिसम्बर 2019 को पाकिस्तान से आये 7 शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देकर इस अधिनियम को लागू भी कर दिया गया था. नागरिकता संसोधन विधेयक 2019 के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगो को नागरिकता दी जाएगी.

इस कानून पर देश में जबरदस्त बवाल देखने को मिला. यहां तक कि दिल्ली दंगा भी इसी कानून के विरोध में हुआ था. विरोध-प्रदर्शन लगातार हिंसक हो गया. सैकड़ों पुलिसकर्मियों को दंगाइयों ने निशाना बनाया. जो देश के इतिहास में खूनी अक्षरों से दर्ज हो गया.

5). कृषि संशोधन विधेयक और किसान आंदोलन

20 सितंबर 2020 को किसानों से जुड़ा कृषि बिल पास ध्वनि मत से राज्यसभा में पास हो गया है. कांग्रेस पार्टी ने बेवजह सियासत चमकाने का जरिया बना लिया. शुरू से ही कृषि कानूनों पर सियासी संग्राम छिड़ गया.

नतीजा ये हुआ कि देश के कुछ किसानों ने दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंचकर आंदोलन शुरू कर दिया और कानून को वापस लेने की मांग पर अड़ गए. 6 महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आंदोलन थमा नहीं और ना ही सरकार ने कानून वापस लेपर पर हामी भरी.

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इस बीच 26 जनवरी के मौके पर किसान के वेश में कुछ गुंडों ने लालकिले का अपमान किया, जिससे देशवासियों को काफी तकलीफ हुई. किसानों की शक्ल में शैतानों ने कई करतूतों को अंजाम दिया और धीरे-धीरे किसान आंदोलन की आड़ में छिपे कुछ बहरूपियों की असलियत सामने आ गई. किसानों को बदनाम करने वाले हैवानों ने आंदोलन की आड़ लेकर खूब रोटियां सेंकी.

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कोरोना की चुनौती और मोदी सरकार

मोदी सरकार पार्ट 2 के लिए सबसे बड़ी चुनौती कोरोना वायरस है. इस वायरस ने न सिर्फ लोगों को बेहाल और मजबूर कर दिया है, बल्कि सरकार के सामने भी बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी.

मोदी सरकार ने कोरोना की पहली लहर का डटकर सामना किया. कई बड़े और अहम फैसले भी लिए, जिसके लिए सरकार की खूब सराहना हुई. लेकिन जब कोरोना का कहर दूसरी बार आया और अटैक हुआ तो हालात बेकाबू हो गए. सरकार की आलोचनाएं होने लगीं. निश्चित तौर पर दो साल में मोदी सरकार पार्ट 2 ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं, लेकिन कोरोना नाम की चुनौती अब तक की सबसे बड़ी चुनौती है.

कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था, रोजगार, महंगाई.. ऐसे मुद्दों पर भी केंद्र की मोदी सरकार से जनता को उम्मीदें हैं, लेकिन सरकार इस उम्मीद पर कितनी खरी उतर पाती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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