भोपाल. मध्य प्रदेश के सतना जिले में भगवान राम से संबद्ध सिद्धा पहाड़ को खनन के लिए दिए जाने की चल रही कवायद को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि इस पहाड़ पर कोई खनन नहीं होगा. कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास काल में यहां से गुजरे थे तब उन्होंने इस क्षेत्र को निशाचरों से मुक्त कराया था. इसी पहाड़ को खनन पर देने के लिए मध्य प्रदेष प्रदूषण बोर्ड ने लोक सुनवाई का निर्णय लिया था. इसके बाद से कांग्रेस लगातार हमलावर थी.
'सिद्धा पहाड़ की पवित्रता को अक्षुण्ण रखा जाएगा'
इस मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री चौहान ने शुक्रवार को साफ तौर पर कहा सिद्धा पहाड़ की पवित्रता को अक्षुण्ण रखा जाएगा. यहां उत्खनन किसी कीमत पर नहीं होगा. सतना जिला प्रशासन को निर्देश दे दिए गए हैं.
कमलनाथ ने लगाए हैं आरोप
कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने शिवराज सरकार सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था, खुद को धर्म प्रेमी बताने वाली प्रदेश की शिवराज सरकार अपने व्यवसायिक हितों के लिए लगातार जन आस्थाओं व धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले निर्णय लेती रही है.
कमलनाथ ने कहा था कि शिवराज सरकार ने सिद्धा पहाड़ के खनन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. यह पहाड़ राम वन गमन पथ पर स्थित है, जहां पर प्रभु श्री राम वनवास के समय आए थे और इस भूमि को निशाचरों से मुक्त करने की प्रतिज्ञा ली थी.
'पहले से ही अवैध उत्खनन का काम लगातार जारी'
कमल नाथ ने सरकार पर आरोप लगाया था कि इस पहाड़ पर पहले से ही अवैध उत्खनन का काम लगातार जारी है. इसे रोकने के लिए भी सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाये हैं. करीब 10 वर्ष पूर्व इस तरह की कोशिशें की गई थी, लेकिन तब जनविरोध के बाद इस निर्णय को स्थगित कर दिया गया था. अब एक बार फिर पर्यावरणीय स्वीकृति के नाम पर कार्रवाई शुरू की गई है.
बीजेपी के भीतर भी दबी जुबान में विरोध
सिद्धा पहाड़ को खनन पर देने की कोशिशों पर भाजपा के कई नेताओं ने भी दबी जुवान से विरोध दर्ज कराया था. पार्टी के भीतर भी भगवान राम से संबद्ध स्थल पर खनन की स्वीकृति की कोशिश पर सवाल उठ रहे थे.
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