मुलायम को बनाना था विधायक, सैफई ने छोड़ दिया था 'एक वक्त का खाना'

Saifai and Mulayam Singh Yadav: पहली बार मुलायम सिंह यादव को विधायक बनाने के लिए सैफई गांव के लोगों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था. दरअसल गांव के लोग मुलायम के पहली बार विधायक बनने का सपना पूरा करना चाहते थे. समझा जा सकता है कि सैफई के लोग किस कदर मुलायम सिंह यादव के प्रति स्नेह रखते हैं. 

Edited by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 10, 2022, 06:38 PM IST
  • मुलायम कैसे बने थे पहली बार विधायक?
  • क्यों गांववालों ने छोड़ा था एक वक्त का खाना?
मुलायम को बनाना था विधायक, सैफई ने छोड़ दिया था 'एक वक्त का खाना'

नई दिल्ली. मुलायम सिंह यादव की मौत के साथ ही उनके गांव सैफई में मातम पसर गया है. मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार मंगलवार को सैफई में ही किया जाएगा. 1967 में पहली बार विधायक बने मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक ऊंचाई छूने के बावजूद कभी अपनी जमीन नहीं भूली. यही कारण है कि सैफई के लोग भी मुलायम सिंह यादव के प्रति बेहद लगाव और श्रद्धा रखते हैं. 

मुलायम सिंह यानी नेताजी की मौत के बाद उनके गांव के लोग कई पुरानी बातें याद कर रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली बार मुलायम सिंह यादव को विधायक बनाने के लिए सैफई गांव के लोगों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था. दरअसल गांव के लोग मुलायम के पहली बार विधायक बनने का सपना पूरा करना चाहते थे. समझा जा सकता है कि सैफई के लोग किस कदर मुलायम सिंह यादव के प्रति स्नेह रखते हैं. 

एक ग्रामीण ने दिया था सुझाव, पूरे गांव ने माना
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1967 में मुलायम सिंह यादव चुनाव तो लड़ना चाहते थे लेकिन उनके पास फंड की कमी थी. एक दिन पूरे गांव ने मुलायम के घर हुई बैठक में हिस्सा लिया. इस बैठक में सोनेलाल शाक्य नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने सुझाव दिया कि अगर पूरे गांव के लोग एक वक्त का खाना छोड़ दें तो उस पैसे से मुलायम की कार 8 दिनों तक चल सकती है. स्थानीय लोग कहते हैं कि उस वक्त सोने लाल के इस प्रपोजल का गांव में किसी ने विरोध नहीं किया. 

मुलायम के प्रति लोगों का प्रेम
दरअसल यह पूरे सैफई गांव का प्रयास था जब पहली बार मुलायम सिंह यादव इटावा की जसवंत नगर सीट से विधायक चुने गए. लोग कहते हैं- उस चुनाव में मुलायम सिंह यादव रैली में कहते थे कि 'एक वोट दीजिए और एक नोट (एक रुपए)'. मैं अगर विधायक बना तो पैसे सूद के साथ वापस कर दूंगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि मुलायम के भाषणों में लोगों की खूब भीड़ जुटती थी. लोग न सिर्फ उनकी प्रशंसा करते थे बल्कि यथासंभव मदद भी किया करते थे. 

दर्शन सिंह के साथ चुनाव प्रचार की याद
लोग यह भी याद करते हैं कि कैसे नेता जी पहली बार अपने दोस्त दर्शन सिंह के साथ में साइकिल पर प्रचार किया करते थे. बाद में उन्होंने मदद में मिले पैसों से सेकंड हैंड कार खरीदी थी. पुरानी कार होने के कारण कई बार उसे धक्का भी देना पड़ता था. मुलायम सिंह यादव ने जिंदगी में खूब संघर्ष किए लेकिन कभी हार नहीं मानी.  

19 महीने जेल में काटे
मुलायम सिंह यादव इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी में 19 महीने जेल में रहे थे. 1977 में वो पहली बार राज्य मंत्री बने थे. फिर 1980 में लोकदल के यूपी चीफ बनाए गए थे. 1982 में यूपी विधान परिषद में विपक्ष के नेता बने और इस पद पर 1985 तक रहे.

कभी गांव की मिट्टी नहीं भूले
1989 में मुलायम सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और फिर सिर्फ राज्य की राजनीति में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी चमके. इन सबके बीच मुलायम का गांव के साथ जुड़ाव कभी कम नहीं हुआ. यही कारण है कि यूपी शायद ही किसी अन्य बड़े नेता के गांव उतनी चर्चा होती हो जितनी सैफई की होती है.  

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