शिक्षा का उजाला छोड़ आतंक का अंधेरा अपनाया था नायकू ने, मारा गया, जानिए पूरी कहानी

नायकू पहले एक शिक्षक था. पढ़ने में अच्छा था और गणित में खास रुचि थी. रियाज के पिता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि नायकू इंजीनियर बनना चाहता था. उसे 12वीं में 600 में से 464 नंबर आए थे. इसके बाद वह एक निजी स्कूल में गणित पढ़ाने लगा था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 7, 2020, 12:17 AM IST
    • 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद वहां के लोगों के लिए आतंक का नया चेहरा बन गया था रियाज
    • सबजार भट की मौत के बाद उसे हिजबुल मुजाहिदीन का मुखिया बनाया गया था
शिक्षा का उजाला छोड़ आतंक का अंधेरा अपनाया था नायकू ने, मारा गया, जानिए पूरी कहानी

नई दिल्लीः नामः रियाज अहमद नायकू, उम्रः 32 साल, पेशा ? ये वह सवाल है जिसके सुनने के बाद रियाज के अब्बू खामोश हो जाते हैं. बल्कि वह तो तभी खामोश हो जाना चाहते हैं, जब उनसे पहला सवाल पूछा जाता था कि बेटे का नाम क्या है.

वह इस बात पर कान नहीं देना चाहते कि जम्मू-कश्मीर पुलिस उनसे उनके बेटे के बारे में पूछ रही है. वही नहीं चाहते कि उन्हें कहना पड़े रियाज अहमद नायकू उनके बेटे का नाम था. क्योंकि उनका बेटा 2018 में उनके लिए मर चुका था. कौन था ये रियाज अहमद नायकू.

पहले इसी सवाल का जवाब जानते हैं
आतंकियों से निपटने के लिए भारतीय सेना उनकी खतरनाक श्रेणी के आधार पर लिस्ट बनाती है. रियाज नायकू इस लिस्ट में ए++ वाली कैटिगरी में सबसे ऊपर था. इतना बड़ा आतंकी कि उस पर 12 लाख रुपये का इनाम रखा गया था.

पुलिस और सेना के लिए मोस्ट वांटेड, कई और युवाओं को भड़काकर आतंकी बनाने वाला. आतंकी बुरहान वानी से भी एक कदम आगे और भटके हुए युवाओं का हीरो, इसलिए इसे पकड़ना और भी अधिक जरूरी था, क्योंकि रियाज खुलेआम आतंक के बीज बो रहा था. लेकिन कैसे हुई शुरुआत

रियाज पहले एक शिक्षक था
नायकू पहले एक शिक्षक था. पढ़ने में अच्छा था और गणित में खास रुचि थी. रियाज के पिता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि नायकू इंजीनियर बनना चाहता था. उसे 12वीं में 600 में से 464 नंबर आए थे. इसके बाद वह एक निजी स्कूल में गणित पढ़ाने लगा था. उसे पेंटिंग का भी शौक था. वह आगे पढ़ना चाहता था.  

फिर आया साल 2010, जहां से उसके कदम डिगे
साल 2010 नायकू के लिए बदलाव का साल था. इस साल प्रदर्शन में 17 साल के एक किशोर की मौत हो गई थी. लोगों में गुस्सा था कि आंसू गैस के गोले के कारण लड़के की मौत हुई. इसके बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया. इस प्रदर्शन के बाद पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया. पूछताछ की.

जिन लोगों को पुलिस ने पकड़ा उनमें नायकू भी शामिल था. इसके बाद से ही नायकू के अंदर विद्रोह के गलत रुख ने जगह बनानी शुरू कर दी थी. अब वह शिक्षा का रास्ता छोड़ उस रास्ते पर बढ़ने लगा था, जहां अंधेरा ही अंधेरा था. 

साल 2012, अब वह आतंक फैलाने के लिए तैयार था
2 साल तक वह अपने अंदर नफरत की आग को पालता रहा और इसे हवा देता रहा. फिर वह दिन भी आया जब रियाज के भीतर एक मेधावी छात्र, एक शिक्षक और एक कलाकार बिल्कुल मर चुके थे, उसने खुद में जिंदा बचा रखा था तो केवल एक अपराधी, जो कि आतंक की सरपरस्ती में बेहद खूंखार बन चुका था. एक रोज उसने अपने पिता से 7 हजार रुपये पढ़ाए के लिए मांगे, लेकिन उसके मंसूबे कुछ और थे. 

...और फिर परिवार को कभी नहीं दिखा नायकू
पिता से उसने कहा कि उसका एडमिशन भोपाल में हो गया है और वह वहां जाना चाहता है. इसके लिए उसने 7000 रुपये की मांग की. पिता ने बेटे को रुपये दे दिया. रियाज अहमद चला गया. वह चला गया था कभी न लौटने के लिए. उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

वह दिन था कि उसके बाद वह कभी नहीं दिखा. महीने भर बाद जानकारी मिली कि वह आतंकी बन गया है. एक रोज परिवार को पता चला कि वह हिज्बुल में शामिल हो गया है. पिता और परिवार ने उसे दिन के बाद उसे मरा मान लिया. 

आतंकी बना, आतंकियों के बीच जगह भी बनाई
आतंकी बनने के बाद नायकू ने कई नई चीजें शुरू कीं. उसने अपहरण दिवस की शुरुआत की. किसी खास दिन अपहरण करने का चलन बनाया. साल 2018 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने रियाज नायकू के पिता को पूछताछ के लिए उठा लिया था.

इसके जवाब में नायकू ने पुलिसकर्मियों के 10 परिजनों को अगवा कर लिया और जब तक उसके पिता को नहीं छोड़ा गया, उसने उन्हें भी नहीं छोड़ा. मारे जाने वाले आतंकियों को गन फायर देने का चलन नायकू ने ही शुरू किया. यह उनका आतंकियों को श्रद्धांजलि देने का तरीका था. इन सब तरीकों के कारण  वह जल्द ही आतंक की ओर बढ़ रहे नए लड़कों का हीरो बन गया. उसकी पैठ हो गई. 

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फिर एक दिन मुखिया बन गया रियाज अहमद नायकू
आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद नायकू पर ही सबकी निगाहें टिकी थीं. 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद वहां के लोगों के लिए आतंक का नया चेहरा बन गया था रियाज. सबजार भट की मौत के बाद उसे हिजबुल मुजाहिदीन का मुखिया बनाया गया था.

सुरक्षा बल और आतंकी नायकू का पहले भी कई बार सामना हुआ लेकिन नायकू हर बार चकमा देकर भागने में कामयाब रहा.

ऐसे ढेर हुआ नायकू
आतंकी रियाज नायकू के खात्मे के लिए पुलवामा में पिछले तीन दिनों से सुरक्षाबलों का ऑपरेशन चल रहा था. आतंकी नायकू अपनी मां से मिलने गांव बेगपोरा आया था. सुरक्षाबल कई दिनों से नायकू पर नजर रख रहे थे. गांव बेगपोरा में घर पहुंचने की खुफिया सूचना मिली थी. सूचना मिलते ही सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया.

1 से 1.5 किलोमीटर तक पूरे इलाके को घेर लिया गया. जिस घर में छिपा था उसे सुरक्षाबलों ने ब्लास्ट से उड़ा दिया. रियाज नायकू बचकर पहले घर से निकलकर दूसरे घर में गया. दूसरे घर में सुरक्षा बलों ने नायकू को ढेर कर दिया. रियाज नायकू ने एक सुरंग बना रखी थी जो रेलवे ट्रैक के नीचे थे.

उस सुरंग को भी सुरक्षाबलों ने नष्ट कर दिया. पूरे ऑपरेशन पर सेना, सीआरपीएफ, जेके पुलिस के बड़े अधिकारी नज़र रखे हुए थे.

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