नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने डॉक्टरों की याचिका पर नीट-पीजी-2022 परीक्षा स्थगित करने से शुक्रवार को इनकार करते हुए कहा कि विलंब करने से डॉक्टरों की अनुपलब्धता होगी और मरीजों की देखभाल पर गंभीर असर पड़ेगा.
क्या कहा पीठ ने
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि परीक्षा स्थगित करने से ‘‘अराजकता और अनिश्चितता’’ की स्थिति पैदा होगी और छात्रों के एक बड़े वर्ग पर इसका इसर पड़ेगा, जिन्होंने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया है.
पीठ ने कहा, ‘‘छात्रों के दो वर्ग हैं - एक जो स्थगन की मांग कर रहा है और दो लाख छह हजार से अधिक उम्मीदवारों का एक बड़ा वर्ग है जो परीक्षा के लिए तैयारी कर चुका है तथा इसके स्थगित होने से प्रभावित होगा.’’ न्यायालय ने कहा कि सरकार निर्धारित समय पर परीक्षा कराने की कोशिश कर रही है क्योंकि महामारी के कारण पहले ही परीक्षा पर असर पड़ा है. पीठ ने कहा, ‘‘महामारी के कारण प्रभावित हुए देश के पटरी पर लौटने के साथ इस अदालत द्वारा निर्धारित किए गए समय का पालन किया जाना चाहिए.’’
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि 10 मई को उच्चतम न्यायालय डॉक्टरों की उन याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया था जिसमें परास्नातक के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-पीजी) 2022 स्थगित करने का अनुरोध किया गया हे. यह परीक्षा 21 मई को होनी है. परीक्षा को इस आधार पर रद्द करने का अनुरोध किया गया है कि इसकी तारीख और नीट-पीजी 2021 के लिए चल रही काउंसिलिंग की तारीख एक ही दिन पड़ेगी.
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