नई दिल्लीः पाकिस्तान, जो हमेशा हर छोटे-बड़े मंच से कश्मीर राग अलापता है, उसे अपना अंग बताकर झूठ फैलाता है, मगर वास्तविकता में वह ऐसा करने में न तो सक्षम है और न ही कानूनी रूप से समर्थ है. बीती 26 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के 75 साल पूरे हुए हैं. जो यह बताने के लिए काफी है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है.
इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के नियमों के मुताबिक हुआ विलय
कश्मीर का भारत में विलय इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के नियमों के मुताबिक हुआ है, जिस पर आखिरी ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबैटन ने भी हस्ताक्षर किए थे. इन उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सबसे बड़ी और विस्फोटक बात यह है कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट भी J&K पर दावा नहीं करती है.
पाक संविधान के मुताबिक J&K पाकिस्तान का हिस्सा नहीं
साल 1994 के ऐतिहासिक फैसले में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में आने वाला गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है और पाकिस्तानी संविधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है. इस फैसले के बाद शायद की कुछ और कहने को बचता है.
बेवजह कश्मीर मुद्दे को उठाता है पाक
यह जरूर है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तथाकथित कश्मीर मुद्दे को उठाता है. भ्रम फैलाने की कोशिश करता है और सीमापार से आतंकवादी भेजकर अशांति का माहौल पैदा करता है. इसके अलावा कुछ और करने की उसकी हिम्मत नहीं है.
भारतीय संसद ने लिया था ये संकल्प
यह साफ है कि ऐतिहासिक तथ्यों के आगे कोई भी झूठा प्रोपेगेंडा और भ्रम फैलाने की साज़िश नहीं टिकती. हमें आज जम्मू-कश्मीर के विषय में सही मायने में किसी बात को याद रखकर काम करना चाहिए, तो वह राज्य के हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन के कब्जे पर 22 फरवरी 1994 में भारतीय संसद का संकल्प है, जिसमें एक देश के रूप में हमने दुश्मनों के अवैध कब्जे से अपने इलाकों को मुक्त कराकर भारतीय संघ में शामिल करने का वचन लिया था. सच कोई बदल नहीं सकता. कश्मीर भारत का था, है और आगे भी भारत का ही रहेगा.
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