चमोली: उत्तराखंड में आई आपदा से हर कोई परेशान है. सभी लोग चमोली के आसपास फंसे लोगों के सुरक्षित होने की कामना कर रहे हैं. तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और टनल में फंसे लोगों को बचाने का काम जारी. सूत्रों के अनुसार टनल में अभी भी 30 से 35 लोग फंसे हो सकते हैं. प्रभावित क्षेत्र में ITBP, SDRF और सेना की टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं.
उत्तराखंड त्रासदी के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का काम तेजी से चल रहा है. सैलाब की वजह से तपोवन टनल में मलबा छत तक भर गया है जिससे निकालने का काम चल रहा है.
सैलाब से अब तक 30 से ज्यादा शव बरामद हुए हैं जबकि अभी भी 171 लोग लापता हैं लेकिन इस आपदा में जिनकी जान बच गई वो अपने को खुदकिस्मत मान रहे हैं और भगवान और जवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं. बचाव दल ने जोशीमठ से 12 लोगों को बचाया है.
लोकसभा और राज्यसभा में गृहमंत्री ने दिया जवाब
12 people of NTPC project were safely rescued from one tunnel, 15 people of Rishiganga project were also rescued at the time of incident. 25-35 people feared trapped in 2nd tunnel of NTPC project, efforts are underway on war footing to rescue them: HM in Lok Sabha#Uttarakhand pic.twitter.com/GVCljZmU6s
— ANI (@ANI) February 9, 2021
गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में अपने संबोधन के दौरान उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन से आई आपदा के राहत-बचाव कार्य की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सभी संबंधित एजेंसियां आपदा की स्थिति की निगरानी कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि आईटीबीपी के 450 जवान, एनडीआरएफ की पांच टीमें, भारतीय सेना की आठ टीमें, एक नेवी टीम और वायु सेना के पांच हेलीकॉप्टर खोज और बचाव अभियान में लगे हुए हैं. इसके बाद अमित शाह ने लोकसभा में वर्तमान स्थिति से सांसदों को परिचित कराया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूरी ताकत और तन्मयता के साथ उत्तराखंड के साथ खड़ी है.
सीएम रावत ने आपदा प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया. उन्होंने कहा कि ऋषिगंगा में बाढ़ हिमस्खलन से आई.
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मुख्यमंत्री के मुताबिक इसरो के निदेशक ने सेटेलाइज इमेज के आधार पर जानकारी दी है कि ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में रविवार को ग्लेशियर नहीं टूटा बल्कि हाल में हुई बर्फबारी में जमी कच्ची बर्फ एक पहाड़ी की चोटी के साथ खिसक गई. जिस स्थान पर हिमस्खलन हुआ वहां ग्लेशियर नहीं था.
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