नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके लाल किले की प्रचीर से देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों एवं महापुरुषों को याद किया तथा उन्हें नमन किया। इसके साथ ही उन्होंने 2047 तक स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने के लिए पांच प्रण के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जब सपने बड़े होते हैं. जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है.
पहला प्रण- अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले. बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा. बड़ा संकल्प है, विकसित भारत.
दूसरा प्रण- किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है. अब शत प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी में जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी.
तीसरा प्रण- हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए. यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था. इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए.
चौथा प्रण- एकता और एकजुटता. 130 करोड़ देशवासियों मे एकता. न कोई अपना न कोई पराया. एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए हमारा चौथा प्रण है.
पांचवां प्रण- नागरिकों का कर्तव्य. जिसमें पीएम भी बाहर नहीं होता, सीएम भी बाहर नहीं होता है. वो भी नागरिक हैं. आने वाली 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राणशक्ति है. जब सपने बड़े होते हैं. जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है.
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