नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रथम स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ को दो सितंबर को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के दौरान इसके (नौसेना के) एक नए ‘निशान’ का अनावरण करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के एक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में एक समारोह के दौरान आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे.
समृद्ध भारतीय समुद्री धरोहर के उपयुक्त होगा नया निशान
इसमें कहा गया है, ‘वह औपनिवेशक अतीत को पीछे छोड़ते हुए नौसेना के नए निशान (इनसाइन) का भी अनावरण करेंगे. ’ बयान में कहा गया है, ‘नया निशान समृद्ध भारतीय समुद्री धरोहर के उपयुक्त होगा.’ नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने 25 अगस्त को कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा. करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस पोत को कोच्चि में एक समारोह के दौरान नौसेना में शामिल किया जाएगा.
2 सितंबर सुबह 9:30 बजे नौसेना में शामिल होगा INS विक्रांत
बयान में कहा गया है, ‘दो सितंबर को सुबह साढ़े नौ बजे प्रधानमंत्री कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में प्रथम स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे.’ भारतीय नौसेना की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक, दो अक्टूबर 1934 को नौसेना का नया नामकरण ‘रॉयल इंडियन नेवी’ के रूप में किया गया था, जिसका मुख्यालय बंबई (मौजूदा मुंबई) में बनाया गया था.
26 जनवरी 1950 को हटाया गया रॉयल शब्द
आजादी के बाद देश का विभाजन होने पर रॉयल इंडियन नेवी को रॉयल इंडियन नेवी और रॉयल पाकिस्तान नेवी के रूप में विभाजित कर दिया गया. भारत के 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र घोषित होने पर ‘रॉयल’ शब्द को हटा दिया गया और इसकी जगह ‘इंडियन नेवी’ (भारतीय नौसेना) शब्दावली अपनाई गई.
ऐसा है नौसेना का मौजूदा डिजाइन
नौसेना का मौजूदा डिजाइन एक सफेद ध्वज है, जिस पर क्षैतिज और लंबवत रूप में लाल रंग की दो पट्टियां हैं. साथ ही, भारत का राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तंभ) दोनों पट्टियों के मिलन बिंदु पर अंकित है. पीएमओ के बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री विशेष रूप से सामरिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के प्रबल समर्थक हैं.
रक्षा क्षेत्र में बढ़ेगी भारत की आत्मनिर्भरता
इसमें कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री प्रथम स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा.’ पोत का डिजाइन भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है.
बयान में कहा गया है कि विक्रांत अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल पोत है.
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