नई दिल्ली: अक्टूबर का महीना जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे दिल्ली की वायु गुणवत्ता यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब की श्रेणी में पहुंचता जा रहा है. दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं जहां वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है और कोरोना काल में बढ़ता वायु प्रदूषण दिल्ली के लोगों की मुसीबतों को और भी बढ़ा सकता है.
15 अक्टूबर के बाद बिगड़ सकते हैं हालात
मौसम विभाग की मानें तो 15 अक्टूबर तक दिल्ली में मध्यम से तेज गति की हवाएं चलती रहेंगी, जिससे वायु प्रदूषण में ज्यादा इज़ाफ़ा नहीं होगा. लेकिन 15 अक्टूबर के बाद हवा की रफ्तार थमते ही दिल्ली का दम घुटने लगेगा. वर्तमान हालात की बात करें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता कई जगह 200 के स्तर को पार कर गई है, यानि खराब की श्रेणी में पहुंच गई है. न सिर्फ दिल्ली बल्कि आसपास के इलाके यानि एनसीआर में भी हालात लगातार बिगड़ रहे हैं.
अभी एनसीआर में दिल्ली से ज्यादा प्रदूषण
एनसीआर में गाजियाबाद के लोनी में एयर क्वालिटी इंडेक्स 253 रहा जो बहुत खराब की कैटेगरी में आता है. वहीं दिल्ली के अशोक विहार में एक्यूआई 201 और सरिता विहार में एक्यूआई 205 रहा जो कि खराब की श्रेणी में आता है. सिविल लाइन्स इलाके में वायु गुणवत्ता 185 रही जो कि मध्यम कैटेगरी में आता है जबकि ग्रीन पार्क में एयर क्वालिटी इंडेक्स 183 रहा. शाहदरा में वायु गुणवत्ता 175 रही जो कि मध्यम कैटेगरी में है. दिल्ली में सिर्फ गाजीपुर ही ऐसा इलाका है जहां वायु गुणवत्ता संतोषजनक है. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 70 रहा.
इधर कोरोना की बात करें तो दिल्ली में 3 लाख के करीब लोग अब तक कोरोना से बीमार हो चुके हैं. सरकारी आंकड़ों की मानें तो कोरोना से दिल्ली में अब तक 5625 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर भी बीत चुकी है लेकिन डॉक्टर कहते हैं कि पहली या दूसरी लहर के बीतने से कोई फर्क नहीं पड़ता, जब तक कि कोरोना का इलाज न तलाश लिया जाए.
दिल्ली का दम घोंटने में पराली बड़ा कारण
दिल्ली का दम घोंटने में हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी यूपी में पराली जलाना सबसे अहम कारण कहा जाता है. दिल्ली सरकार का कहना है कि कई बार शिकायत करने, समाधान तलाशने की गुहार लगाने के बावजूद हरियाणा और पंजाब की सरकारें पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम नहीं लगा पा रही हैं.
- दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली के प्रदूषण में 45 फीसदी की बढ़ोतरी पराली जलाने से होती है
- दिल्ली सरकार की मानें तो पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में 35 मिलियन टन पराली जलाई जाएगी
- अक्टूबर के पहले सप्ताह में पंजाब में 9 गुणा जबकि हरियाणा में 3 गुणा ज्यादा पराली जलाई गई
दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण पर अब राजनीति भी हो रही है. दिल्ली सरकार के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि प्रदूषण से लड़ने के लिए जो 4400 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गई थी उनका क्या हुआ?
वायु प्रदूषण में पीएम 2.5 और पीएम 10 सबसे बड़े कारण होते हैं. सल्फर भी दिल्ली के लोगों का दम घोटता है. धूल को कम करने के लिए दिल्ली में 15 अक्टूबर तक एन्टी डस्ट ड्राइव चलाई जा रही है जिसमें 14 टीमें निगरानी कर रही हैं. अब तक दिल्ली में 6 कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम रोकने के आदेश जारी हो चुके हैं.
- त्यागराज नगर में सीपीडब्ल्यूडी के निर्माण कार्य को रोक दिया गया है
- नेताजी नगर में एनबीसीसी के निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाया गया है
- फिक्की ऑडिटोरियम में निर्माण कार्य बंद करा दिया गया है
- कस्तूरबा नगर में सीपीडब्ल्यूडी के निर्माण कार्य को रोक दिया गया है
- सरोजिनी नगर में एनसीसीसी के निर्माण कार्य को भी बंद करा दिया गया है
दिल्ली में चल रहे रेडी मिक्स कंक्रीट यानि आरएमसी के 11 प्लांट्स को नियमों का उल्लंघन करने के चलते बंद करा दिया गया है. 31 प्लांट्स पर कार्रवाई की जा रही है और इन पर 20 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा रहा है. इधर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि निर्माण कार्यों पर तुरंत रोक लगाई जाए.
दिल्ली वालों की जान ले रहा वाहनों का धुआं
प्रदूषण की बात करें तो दिल्ली की हवा को खराब करने में पराली जलाने के अलावा वाहनों का प्रदूषण और फैक्टरियों से निकलता धुआं भी अहम कारण है.
- दिल्ली के प्रदूषण में 52 फीसदी हिस्सेदारी वाहन और औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण की है
- अक्टूबर में पराली जलने से प्रदूषण में 44-45 फीसदी की बढ़ोतरी होती है
- 3 फीसदी प्रदूषण धूल उड़ने और दूसरे कारणों से होता है
दिल्ली में दिन भर लगे रहने वाले ट्रैफिक जाम प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक हैं. ट्रैफिक जाम में वाहनों से निकलने वाला धुआं कई गुणा तक बढ़ जाता है जिससे प्रदूषण में इजाफा होता है. सड़कों से ट्रैफिक को कम करने के लिए अच्छी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की जरूरत थी लेकिन दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट दम तोड़ रहा है. डीटीसी और क्लस्टर बसें ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं जबकि मोनो रेल सरीखे प्रोजेक्ट्स को ठंडे बस्ते में डाला जा चुका है.
- दुनिया के 1650 बड़े शहरों में से दिल्ली में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है
- भारत में हर साल 20 लाख लोगों की जान प्रदूषण की वजह से जाती है
- फेफड़ों की बीमारियों से भारत में हर साल दुनियाभर से ज्यादा मौत होती हैं
- दिल्ली में हर साल 22 लाख लोगों को फेफड़ों की बीमारियां होती हैं
- हर साल दिल्ली में 11 लाख बच्चे फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित होते हैं
एक तरफ तो प्रदूषण दिल्ली वालों का दम घोंट रहा है तो वहीं इस बार कोरोना ने हालात और भी चिंताजनक बना दिए हैं. एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि अक्टूबर-नवम्बर में दिल्ली में वायु प्रदूषण और कोरोना मिलकर भयावह हालात पैदा कर सकते हैं.
दिल्ली में 15 अक्टूबर से सिनेमाघर खोले जा रहे हैं. शॉपिंग मॉल्स पहले ही खुले हुए हैं. रेस्त्रां को भी 24 घंटे खोलने की इजाजत दी जा रही है. बाज़ारों में भीड़ भी धीरे धीरे बढ़ रही है. सुबह और शाम के वक्त बसों में लोगों की भारी भीड़ होती है और ये सभी बातें दिल्ली में किसी भी वक्त कोरोना से हालात बिगड़ने की तरफ इशारा कर रहे हैं.
फेफड़ों पर असर करते हैं प्रदूषण और कोरोना
डॉक्टर कहते हैं कि कोरोना भी लंग्स यानि फेफड़ों पर ही हमला करता है और फेफड़ों को कमजोर बना देता है. ऐसे में प्रदूषण और कोरोना मिलकर दिल्ली वालों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं. दुनिया के देशों की राजधानियों की बात करें तो दिल्ली में कोरोना के हालात कहीं ज्यादा भयावह नजर आते हैं.
दुनिया की राजधानियों के मुकाबले दिल्ली में कोरोना चिंताजनक
दिल्ली में अब तक कोरोना के 3 लाख के करीब मामले सामने आ चुके हैं जबकि अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में कोरोन के 16 हजार से भी कम मामले मिले हैं. लंदन में कोरोना के 40 हजार से भी कम मामले सामने आए हैं. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कोरोना के अब तक 17 हजार मामले ही मिले हैं. मॉस्को में कोरोना के मामले 3 लाख 10 हजार के करीब हैं.
इन आंकड़ों से साफ है कि दिल्ली में भले ही कोरोना के मामलों में कमी आई हो लेकिन दुनिया के ज्यादातर देशों की राजधानी में कोरोना के मामले दिल्ली से कम हैं. यानि कहा जा सकता है कि सरकारों के तमाम दावों के बावजूद दिल्ली में हालात दुनिया के कई देशों के मुकाबले खराब हैं.
गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग बरतें ज्यादा सावधानी
एम्स के पल्मनरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अनंत मोहन का कहना है कि गिरता हुआ तापमान और बढ़ता हुआ प्रदूषण कोरोना के साथ मिलकर जानलेवा साबित हो सकता है. डॉक्टर अनंत मोहन आने वाले कुछ महीने गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. वो कहते हैं कि लोगों को सैर पर जाना बंद कर देना चाहिए. आने वाले कुछ महीने दिल्ली वालों पर भारी पड़ने वाले हैं क्योंकि प्रदूषण काबू करने से ज्यादा प्रदूषण पर राजनीति हो रही है और वायु गुणवत्ता सुधारने के नाम पर सरकारें काम से ज्यादा बयान देने में यकीन कर रही हैं. ऐसी ही कुछ स्थिति कोरोना को लेकर भी है.
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