नई दिल्ली: देश की 150 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस को अगर आज उसके नेता छोड़कर जा रहे हैं तो क्या इसके लिए सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी जिम्मेदार हैं या प्रियंका गांधी वाड्रा..? क्या कांग्रेस में सिर्फ परिवार ही बचेगा - ये सवाल क्यों उठ रहा है आपको तफसील से समझाते हैं.
व्यक्ति विशेष पार्टी है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के साथ लगभग 20 साल तक जुड़े रहने के बाद कांग्रेस के बड़े नेता प्रियंका के करीबी और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस पार्टी ये कहकर छोड़ दी कि कांग्रेस अब सिर्फ व्यक्ति विशेष की पार्टी बन कर रह गई है.
जितिन प्रसाद उसी जी-23 के नेता है जिन्होंने गैर गांधी अध्यक्ष की मांग की थी. जितिन प्रसाद ने काफी दिन इंतजार किया और जब देखा कि कांग्रेस परिवार से निकलकर वापस परिवार में ही जाएगी, तो उन्होंने कांग्रेस को गुडबाय करना बेहतर समझा और आज बीजेपी ज्वाइन कर ली.
लेकिन जितिन अकेले नहीं है इससे पहले हेमंता बिस्वा सर्मा हो या ज्योतिरादित्या सिंधिया हो हर किसी ने पार्टी में विचार से पहले परिवार का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी.
कांग्रेस पर परिवार के कब्जे का विरोध
अगस्त 2020 में 23 सीनियर नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. और पार्टी में व्यापक बदलाव की मांग सामन रखी थी. दिसंबर 2020 में सोनिया गांधी से पार्टी नेताओं के एक ग्रुप ने मुलाकात की थी और कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की मांग रखी थी.
क्या चाहता था कांग्रेस का 'नाराज गुट'?
कांग्रेस का 'नाराज गुट' चाहता था कि मई-जून में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो. हालांकि CWC ने कोरोना के चलते फिर चुनाव टाल दिया. इन 23 नेताओं ने पार्टी के अंदर बदलाव की वकालत की थी. इन नेताओ का कहना था कि गिरती छवि की जिम्मेदारी शीर्ष नेतृत्व ले. चुनाव में लगातार हार को लेकर चिंता है, पार्टी के अंदर दरबारी कल्चर बंद हो.
कांग्रेस के 23 असंतुष्ट नेताओं का ग्रुप, जिसने पार्टी के अंदर लोकतंत्र का मुद्दा उठाया था. इन नेताओं ने सोनिया को अध्यक्ष के चुनाव पर चिट्ठी लिखी थी. सीनियर नेता पार्टी लाइन से असंतुष्ट अब तक हैं और नेतृत्व पर सहमति नहीं बनने से नाराजगी है. इसी का नतीजा है कि कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता ने पार्टी को अलविदा कह दिया.
'पुत्र मोह' में कांग्रेस का बंटाधार?
ये कहा जाना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस में विचार से ऊपर परिवार है. एक वक्त था जब कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी, सोनिया गांधी के ही नेतृत्व में कांग्रेस ने कई चुनाव में अपना लोहा मनवाया. ऐसे में क्या सोनिया गांधी ने 'पुत्र मोह' में कांग्रेस का बंटाधार कर दिया?
'परिवार हटेगा, तभी पार्टी बचेगी?
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हुए और उन्होंने कांग्रेस पार्टी के 'परिवारवाद' पर वार किया. जितिन ने कहा कि कांग्रेस में रहकर जनहित के काम असंभव है. जिसपर कांग्रेस ने जितिन प्रसाद को विश्वासघाती बताया. तो क्या कांग्रेस पर जब तक एक परिवार का राज काज रहेगा पार्टी की हालत ऐसी ही रहेगी?
कांग्रेस को आत्ममंथन की जरूरत!
कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि उनका यहां भी भविष्य था. उनके पिताजी भी कांग्रेस में पहले से थे, देखते हुए भी आज ऐसा निर्णय किया है यह दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस ने उन्हें बहुत दिया.
तो वहीं यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि जितिन प्रसाद विश्वासघाती हैं, उन्होने कांग्रेस का भरोसा तोड़ा. कांग्रेस को इस वक्त अपनी कमी पर विचार करने की जरूरत है, ना कि आलोचना करके घिसी पिटी सियासत करने की..
एक-एक करके सभी नेता कांग्रेस क्यों छोड़ रहे हैं इसके बारे में कांग्रेस को खुद विचार करना चाहिए. आखिर पार्टी का हर दिग्गज नेता क्यों परिवारवाद से दुखी है इसे समझना चाहिए.
जितिन प्रसाद ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि 'अगर आप अपने लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर सकते, उनके लिए काम नहीं आ सकते, तो आपका राजनीति और उस दल में रहने का क्या औचित्य है. अगर आप इस लायक नहीं है कि आप अपने जनता के हितों की रक्षा कर पाएं, तो वो मुझे महसूस होने लगा कि मैं वो कांग्रेस पार्टी में नहीं कर पा रहा हूं.'
जितिन प्रसाद ने ये भी कहा कि 'अगर आज इस देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है जो संस्थागत दल है, वो भारतीय जनता पार्टी है। बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए हैं. आज इस देशहित में कोई दल और कोई नेता सबसे उपयुक्त और मजबूती के साथ खड़ा है तो वो भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं.'
सिंधिया ने किया जितिन प्रसाद का स्वागत
बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि 'पार्टी की मुख्यधारा में मेरे छोटे भाई जितिन आए हैं, मैं उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं और और अपनी तरफ से उन का तहे दिल से स्वागत करता हूं.'
वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोला है कि जितिन प्रसाद के आने से यूपी में बीजेपी और मजबूती होगी.
जितिन का भाजपा में जाने से फायदा
उत्तर प्रदेश के शीर्ष ब्राह्मण नेताओं में गिनती होती है. वो राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा के करीबी रहे. केंद्र सरकार में मंत्री पर पर रहने का तजुर्बा है. 2022 के यूपी चुनाव में बीजेपी को फायदा मिलेगा.
जितिन का भाजपा में जाने से नुकसान
कभी कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार रहने वाले जितिन प्रसाद लगातार दो लोकसभा चुनाव में खुद हार गए. पश्चिम बंगाल चुनाव में कांग्रेस ने प्रभारी बनाया. बंगाल में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली.
एक थी 'टीम राहुल'! बिछड़े सभी बारी-बारी
ज्योतिरादित्य सिंधिया
कांग्रसे के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री
मार्च में BJP में शामिल, राज्यसभा सांसद
जितिन प्रसाद
कांग्रेस के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री
कांग्रेस नीतियों से नाराज, BJP में शामिल
सचिन पायलट
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राहुल गांधी के करीबी
राजस्थान का CM न बनाने से फिर नाराज
मिलिंद देवड़ा
कांग्रेस के पूर्व सांसद, राहुल गांधी के खास
लंबे वक्त से नाराज, पार्टी के कड़े आलोचक
दिव्या स्पंदना
कांग्रेस सोशल मीडिया सेल की पूर्व प्रमुख
अक्टूबर 2018 के बाद से चर्चा से गायब
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क्या एक परिवार को बचाने के लिए पार्टी की कुर्बानी दी जा सकती है. कांग्रेस पार्टी में क्या विचार से बड़ा परिवार? क्या पार्टी को ले डूबेगा परिवार? क्या परिवार हटेगा तभी पार्टी बचेगी? और सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस का बंटाधार, परिवार जिम्मेदार?
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