एक सीमा से ज्यादा कम नहीं कर सकते ब्याज दरः SBI चेयरमैन

फिक्की की 92वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए रजनीश कुमार ने कहा कि 5-6 साल पहले जब रीपो रेट बढ़ रही थी, तब बैंकों की तरफ से कर्ज लेने वालों के लिए ब्याज दर में उतनी वृद्धि नहीं की गई थी. उन्होंने कहा 2013 में रीपो रेट 10 प्रतिशत के आसपास थी, तब से लेकर रिजर्व बैंक की रीपो रेट और बैंकों की ब्याज दर पूरी तरह से एक दूसरे के साथ चल रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 22, 2019, 03:15 AM IST
एक सीमा से ज्यादा कम नहीं कर सकते ब्याज दरः SBI चेयरमैन

नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने शनिवार को कहा कि कर्ज सस्ता करने के लिए बैंकों को जमा खातों पर ब्याज कम करना होगा और बैंक जमा राशि पर एक सीमा से आगे जाकर ब्याज दरें कम नहीं कर सकते हैं. इसकी वजह यह है कि देश में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अभाव में कई ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं, जो कि जमा पूंजी से मिलने वाले ब्याज पर ही निर्भर हैं.
रिजर्व बैंक की ओर से रीपो रेट में कमी किए जाने के बाद भी बैंकों की ओर से कर्ज पर ब्याज दरें ज्यादा नहीं घटाने पर कुमार ने कहा कि जब रेपो दर कम की जाती है तो हर कोई बैंकों में ब्याज दर घटाने की बात करने लगता है. लेकिन जब रेपो रेट ऊपर जाती है, तब कोई भी ब्याज दरें बढ़ाने पर कोई बात नहीं करता.

फिक्की की 92वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए रजनीश कुमार ने कहा कि 5-6 साल पहले जब रीपो रेट बढ़ रही थी, तब बैंकों की तरफ से कर्ज लेने वालों के लिए ब्याज दर में उतनी वृद्धि नहीं की गई थी. उन्होंने कहा 2013 में रीपो रेट 10 प्रतिशत के आसपास थी, तब से लेकर रिजर्व बैंक की रीपो रेट और बैंकों की ब्याज दर पूरी तरह से एक दूसरे के साथ चल रहे हैं.

'कर्ज लेकर न लौटाने की बढ़ीं घटनाएं, इसलिए रेट ज्यादा'
कुमार ने कहा कि एक बात और है, वह यह कि देश में धन की लागत काफी ऊंची है क्योंकि कर्ज लेकर उसे समय पर नहीं लौटाने की घटनाएं हाल में बढ़ी हैं यानी कर्ज चुकाने में नाकामी की दर भी ऊंची है, इसकी वजह से कर्ज पर ब्याज दरें ऊंची होना लाजिमी है. उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही हमने बार-बार कहा है कि भारत में बैंकिंग प्रणाली मुख्य तौर पर डिपॉजिटर्स पर निर्भर है. 

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कम ब्याज पर कर्ज देंगे तो फिर जमा पर क्या देंगे?
उन्होंने कहा, 'आज हमारे बैंक की कुल जमा का 90 प्रतिशत हिस्सा छोटे जमा खाताधारकों का है. यदि मैं कम ब्याज पर ऋण दूंगा तो तय है कि जमाकर्ताओं को कम रिटर्न दूंगा और भारत जैसे देश में जहां वरिष्ठ नागरिकों की बड़ी संख्या है और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की कमी के चलते जमा से मिलने वाला ब्याज ही उनकी आय का प्रमुख स्रोत है.

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