लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के इशारे पर प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू ने पूरे यूपी कांग्रेस को उलट पलट कर रख दिया. पूरे राज्य को छह हिस्सों में बांटकर उसके लिए अलग अलग पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई. मंडल और जिला स्तर के 53 नए नाम घोषित किए गए. कहा गया इसमें जातीय समीकरणों के आधार पर स्थानीय स्तर पर नेतृत्व करने के लिए नामों का चुनाव किया गया है. लेकिन इस कवायद से पुराने कांग्रेसी नाराज हो गए हैं.
नाराज कांग्रेसियों ने की बैठक
प्रदेश कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे के गठन में कई वरिष्ठ कांग्रेसियों की उपेक्षा हुई है. जिसकी वजह से नाराज कांग्रेस नेताओं की गुरुवार को लखनऊ में बैठक हुई. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व सांसद संतोष सिंह के गोमती नगर स्थित घर पर हुई इस बैठक में प्रियंका गांधी से नाराज विनोद चौधरी, सिराज मेहंदी, रामकृष्ण द्विवेदी, संतोष सिंह, मोहम्मद नासिर, गोस्वामी समेत दर्जनों वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मौजूद रहे.
पिछले महीने पूर्व एमएलसी सिराज मेंहदी के घर पर भी ऐसी ही एक बैठक हुई थी. जिसमें कई वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता शामिल हुए थे. इसी बैठक में तय हुआ था कि हाशिये पर डाले गए सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की बैठक लखनऊ की जाए. यूपी कांग्रेस में हुए इस दो फाड़ से प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. कहा जा रहा है कि ये सभी नेता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांग सकते हैं.
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प्रियंका की शह पर यूपी कांग्रेस में भारी उलट फेर
इसके पहले प्रियंका गांधी वाड्रा के इशारे पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने राज्य को पूर्वी और पश्चिमी जोन में बांटकर उपाध्यक्ष स्तर के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी. इन दोनों जोन को भी तीन-तीन जोन में बांटकर उसकी जिम्मेदारी महासचिव स्तर के पदाधिकारियों को सौंपी गई. जिला और शहर अध्यक्षों के कुल 53 नाम घोषित किए गए हैं, जिसमें 14 फीसदी दलित, 33 फीसदी पिछड़ी जातियों, 35 फीसदी सवर्ण और 18 फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय को कमान सौंपी गई है.
अल्पसंख्यक समुदाय में भी ज्यादातर पासमांदा जातियों पर फोकस किया गया है.
प्रियंका वाड्रा निजी तौर पर रहीं चयन में शामिल
कांग्रेस महासचिव के तौर पर प्रियंका गांधी ने खुद कांग्रेस नेताओं का साक्षात्कार लिया था. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले चार महीने से कांग्रेस के छह राष्ट्रीय सचिवों व महासचिव प्रियंका गांधी की टीम ने जिले-जिले में जाकर संभावित अध्यक्षों की सूची तैयार की और उसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उनका साक्षात्कार लिया.
प्रियंका से मुलाकात के बाद ही यह नाम घोषित किए गए.
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कुछ इस तरह कांग्रेस ने किया यूपी का बंटवारा
कांग्रेस नेताओं ने यूपी के पूर्वी जोन को अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में बांटा गया है. जबकि पश्चिमी जोन को आगरा, मेरठ, बरेली और देवीपाटन जोन में बांटा गया है. हर जोन में शामिल जिलों के लिए भी सचिव स्तर के पदाधिकारी को जिलेवार प्रभारी बनाया गया है.
पूर्वी जोन की जिम्मेदारी प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेन्द्र चौधरी को सौंपी गई है. अवध जोन में संगठन का काम देखने का जिम्मा महासचिव राकेश सचान को दिया गया है. राकेश सचान अपने जोन में आने वाले लखनऊ, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, उन्नाव, भदोही, बाराबंकी, अयोध्या, प्रयागराज, हरदोई, अमेठी और रायबरेली में संगठन का काम देखेंगे.
पूर्वांचल जोन में शामिल बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, वाराणसी, मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर, बलिया, सोनभद्र, मिर्जापुर, देवरिया व कुशीनगर का काम महासचिव विश्व विजय सिंह को सौंपा गया है.
बुंदेलखंड जोन की जिम्मेदारी महासचिव ध्रव राम जोशी संभालेंगे. इस जोन में ललितपुर, जालौन, झांसी, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, फतेहपुर व बांदा को रखा गया है
पश्चिमी जोन की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष पंकज मलिक संभालेंगे. इस जोन को भी तीन भागों आगरा, बरेली व मेरठ जोन में बांटा गया है. आगरा जोन के संगठन का काम महासचिव योगेश दीक्षित देखेंगे. इस जोन में मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, इटावा, हाथरस, आगरा, कासगंज, कानपुर व कानपुर देहात, कन्नौज, औरैया, फर्रूखाबाद व मैनपुरी को रखा गया है.
मेरठ जोन का प्रभारी महासचिव वीरेन्द्र सिंह गुड्डू को बनाया गया है. इस जोन में गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, अलीगढ़, सहारनपुर, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली व बागपत को शामिल किया गया है.
बरेली और देवीपाटन जोन की संयुक्त जिम्मेदारी यूसुफ अली तुर्क को सौंपी गई है. इन दोनों जोन में श्रावस्ती, बहराइच, गोंडा, बरेली, शाहजहांपुर, रामपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, बलरामपुर, पीलीभीत, बदायूं, सीतापुर व लखीमपुर को शामिल किया गया है.
इसके अलावा फ्रंटल संगठनों की जिम्मेदारी ललितेश पति त्रिपाठी और दीपक कुमार को सौंपी गई है.
लेकिन उत्तर प्रदेश कांग्रेस संगठन में हुए इस बदलाव से पुराने कांग्रेसी नेता उपेक्षित महसूस करते हुए दिल्ली में सोनिया गांधी के पास जाकर शिकायत करने का मन बना रहे हैं.