लालू और नीतीश को सीएम बनाने में शरद यादव का रहा योगदान, वरना ये तीसरा नेता बनता सीएम

समाजवादी नेता और राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी भी कहते हैं कि कुछ लोग रामसुंदर दास को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. रघुनाथ झा भी मैदान में आ गए. ऐसे में शरद यादव के कारण ही लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बन पाए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 13, 2023, 01:40 PM IST
  • नीतीश, लालू के राजनीतिक जीवन में शरद की रही अहम भूमिका
  • बिहार से लेकर केंद्र में किंग मेकर की भूमिका में रहे हमेशा
लालू और नीतीश को सीएम बनाने में शरद यादव का रहा योगदान, वरना ये तीसरा नेता बनता सीएम

पटना: समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव अपने अनंत सफर पर निकल पड़े, जहां से लोग कभी वापस नहीं लौटता. राजनीतिक जीवन में शरद यादव भले ही किंग नहीं बन पाए हों, लेकिन बिहार से लेकर केंद्र में किंग मेकर की भूमिका में वे जरूर रहे. बिहार के मधेपुरा से वे चार बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए.

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का दिया साथ
शरद यादव का जन्म भले ही अन्य राज्य में हुआ हो और तीन राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से सांसद बन लोकसभा पहुंचे हों, लेकिन उनकी कर्मभूमि वास्तविक रूप से बिहार ही रही है. तीन दशकों तक बिहार की राजनीति में छाए रहने वाले लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

शिवानंद तिवारी ने सुनाया किस्सा
समाजवादी नेता और राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी भी कहते हैं कि शरद यादव बिहार आए और बिहार के ही होकर रह गए. वे कहते हैं कि बिहार में भले ही लालू यानी राजद की सरकार रही हो या नीतीश कुमार की सरकार रही हो, लेकिन इन सरकारों में अधिकांश समय तक केंद्र बिंदु में शरद यादव ही रहे हैं.

जब दिया लालू का साथ
माना भी जाता है कि लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाने में बहुत बड़ा योगदान शरद यादव का रहा है. तिवारी कहते है कि पार्टी के बड़े नेताओं में से कुछ लोग रामसुंदर दास को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. रघुनाथ झा भी मैदान में आ गए. ऐसे में शरद यादव के कारण ही लालू प्रसाद सीएम बन पाए. उस दौर में खंडित जनादेश के बाद भी बिहार में सरकार बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया.

एनडीए के संयोजक
शरद यादव की इच्छा राजनीति में सबको एक साथ जोड़कर रखने की रही है. शरद एनडीए के संयोजक भी रहे और इस पद का दायित्व भी उन्होंने बखूबी निभाया.

फिर दिया नीतीश का साथ
बिहार में जब समाजवादी नेता दो धड़ों में बंट गई तब शरद यादव ने नीतीश और जॉर्ज फर्नांडिस के साथ आ गए. लालू प्रसाद से जब शरद की ठन गई तो मधेपुरा से शरद ने लालू को 1999 के लोकसभा चुनाव में शिकस्त दे दी. 2005 में नीतीश की सत्ता में लाने में उन्होंने अहम योगदान दिया. लेकिन, कालांतर में नीतीश से भी मनमुटाव हो गया और शरद यादव ने 2018 में लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया.

राजद में पार्टा का विलय
इसके बाद 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी का लगभग विलय राजद में कर दिया. 2019 में उन्होंने मधेपुरा से एक बार फिर हाथ आजमाया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी.

बेटी राजनीति में आईं
उन्होंने अपनी बेटी सुभाषिनी को भी राजनीति के मैदान में उतारा. सुभाषिनी 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भाग्य भी आजमाया लेकिन काबयाबी नहीं मिल सकी. शरद यादव के निधन की खबर से बिहार की राजनीति में शोक की लहर है.राज्य और देश के सभी दल के नेता उनके निधन से गमगीन हैं. आज सभी यही कह रहे हैं कि भले ही शरद यादव का जन्म बिहार में नहीं हुआ हो, लेकिन सही अर्थों में वे बिहारी थे.

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