नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA की जंग अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. दरअसल इस कानून(Citizenship amended act) के खिलाफ 59 याचिकाएं दायर की गई थीं. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया है. अदालत ने केन्द्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए लगभग एक महीने का समय दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को होने वाली है.
इन लोगों ने दायर की थी याचिका
सबसे पहले CAA के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा उतरीं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship amended act) को चुनौती दी थी. इन नेताओं ने अपनी याचिका में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship amended act) को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से उसे रद्द्द करने का आग्रह किया था.
इसके बाद देखते देखते सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं का ढेर लग गया. AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, RJD के मनोज झा, जमीयत उलेमा ए हिंद और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की सभी याचिकाओं को मिलाकर सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 59 याचिकाएं दर्ज करा दी गई.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी 59 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार से जवाब तलब करने का फैसला किया.
CAA विरोधियों ने अदालत के सामने रखे ये तर्क
केन्द्र सरकार के खिलाफ याचिका दायर करते हुए CAA के विरोधियों ने अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship amended act) 2019 को समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला ठहराते हुए रद्द घोषित कर दे. उन्होंने अदालत के सामने यह तर्क दिया है कि CAA 1985 के असम समझौते के खिलाफ है. यह कानून सुप्रीम कोर्ट के सर्बानंद सोनोवाल में दिये गए फैसले का भी उल्लंघन करता है इसलिए इसे रद्द किया जाए.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह भी कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship amended act) अंतरर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करता है जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किये हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को जनवरी के दूसरे हफ्ते तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. जिससे कि 22 जनवरी को जब अदालत सुनवाई करे को उसके सामने सभी तथ्य मौजूद रहें.