दूरबीन लगाएगी सौरमंडल के बाहर के ग्रहों का पता

यह दूरबीन हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रहों का घनत्व, संरचना और उनके आकार का पता लगाएगी. यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मुताबिक यह ऐसे चमकीले तारों के बारे में जानकारी जुटाएगी जिनके इर्द-गिर्द उपग्रहों के चक्कर लगाने के बारे में वैज्ञानिक पहले से ही जानते हैं. बुधवार को यह दूरबीन अंतरिक्ष में भेजी गई. यूरोपीय वैज्ञानिक इसे एक महत्वाकांक्षी कदम बता रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 20, 2019, 01:43 AM IST
दूरबीन लगाएगी सौरमंडल के बाहर के ग्रहों का पता

नई दिल्लीः सौरमंडल के बाहर मौजूद ग्रहों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए यूरोप ने एक बड़ी दूरबीन भेजी है. बुधवार को यह दूरबीन अंतरिक्ष में भेजी गई. यूरोपीय वैज्ञानिक इसे एक महत्वाकांक्षी कदम बता रहे हैं.

यह दूरबीन हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रहों का घनत्व, संरचना और उनके आकार का पता लगाएगी. यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मुताबिक यह ऐसे चमकीले तारों के बारे में जानकारी जुटाएगी जिनके इर्द-गिर्द उपग्रहों के चक्कर लगाने के बारे में वैज्ञानिक पहले से ही जानते हैं.

फ्रेंच गुयाना में नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डिडियर क्वेलोज ने बताया, चेयोप्स 710 किलोमीटर दूर है, ठीक वहां पर जहां हम इसे रखना चाहते थे, यह बिल्कुल सही है. कैरेक्टराइजिंग एक्सोप्लेनेट्स यानी बाहरी ग्रहों के बारे में जानकारी जुटाने को संक्षिप्त रूप से चेयोप्स कहा जाता है. अंतरिक्ष में जाने वाली दूरबीन को यही नाम दिया गया है.

यह दूरबीन रूस में बने सोयूज रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजी गई. इस साल सोयूज रॉकेट की यह अंतरिक्ष में तीसरी उड़ान थी. कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से लॉन्च में थोड़ी देरी हुई लेकिन आखिरकार यह पूरी तरह से सफल रहा. क्वेलोज और उनकी सहयोगी मिषेल मेयर ने 24 साल पहले सौरमंडल से बाहर के पहले ग्रह की खोज की थी. अब तक 4000 ऐसे ग्रहों की खोज हो चुकी है. 

जितने तारे उतने तारामंडल
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ब्रह्मांड में जितने तारे हैं कम से कम उतने ही तारामंडल भी हैं और इनकी तादाद 100 अरब से ज्यादा है. इस मिशन के प्रमुख डेविड एहरेनराइष ने बताया, हम आंकड़ों से आगे जा कर उनका विस्तार से अध्ययन करना चाहते हैं. 

लंबे समय से दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं के बारे में जानने की उत्सुकता रही है. इसके साथ ही हमारी पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई यह जानने के लिए भी इंसान बहुत पहले से कोशिश करता आ रहा है. इस दूरबीन की मदद से मिलती जानकारियां इस दिशा में हमें आगे ले जा सकती हैं.

पृथ्वी से 700 किलोमीटर दूर उपग्रह
दूरबीन वाला उपग्रह पृथ्वी से 700 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद कक्षा में रहेगा और कई प्रकाश वर्ष दूर तारों का अध्ययन करेगा. बाहरी ग्रहों का सामूहिक चित्र उतारने की कोशिश की जा रही है. क्वेलोज के मुताबिक इस बात के आसार कम हैं कि यह दूसरे ग्रहों पर जीवन के बारे में हमारी उत्सुकता का समाधान कर सकेगा, "हालांकि जीवन की उत्पत्ति को समझने के लिए हमें इन ग्रहों की भूभौतिकी (जियोफिजिक्स) को समझना होगा. जैसे कि हम एक बड़ी सीढ़ी पर पहले कदम की बात कर रहे हों.

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ग्रहों से निकलने वाला प्रकाश भी नाप सकेंगे
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मिशन के जरिए ग्रहों से निकलने वाले प्रकाश की मात्रा को विशेषज्ञ माप सकेंगे. इससे उनकी सतह और वातावरण के बारे में नई जानकारी हासिल हो सकती है. क्वेलोज ने इसे अहम और भावुक कदम माना और कहा कि असल जादू तो तब होगा जब पहली जानकारी सामने आएगी. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक यह काम कुछ महीनों के भीतर होना चाहिए. सोयुज अपने साथ इस दूरबीन के अलावा कुछ और उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में लेकर गया है.

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