नई दिल्ली: राजधानी के जंतर मंतर और जामा मस्जिद के इलाकों से धारा 144 को हटा लिया गया है. दिल्ली पुलिस पीआरओ एमएस रंधावा ने कहा कि यहां के लोग शांति से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसी भी तरह का कोई हिंसक विरोध नहीं हो रहा है. इसलिए यहां से धारा 144 हटाया जा रहा है. वहां लोगों ने दिल्ली पुलिस को गुलाब दे कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का नजारा पेश किया.
Delhi Police PRO, MS Randhawa: Section 144 is not imposed in walled city Jama Masjid. People here are cooperating and want peace, Delhi police is also working for the same. #CitizenshipAct https://t.co/e6ysja7J1w pic.twitter.com/iGMExLbEgl
— ANI (@ANI) December 20, 2019
ओवैसी ने कहा हिंसा फैलाने वाले पूरे प्रोटेस्ट के दुश्मन
वहीं सीएए को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विरोध करना हमारा अधिकार है और संविधान में भी इसकी बात कही गई है.
Asaduddin Owaisi, AIMIM: It is our right to protest, however we condemn violence and anyone who is involved in violence is enemy of entire protest. Protest should be held but it will be successful when peace is maintained. #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/3BsMNoweLD
— ANI (@ANI) December 20, 2019
लेकिन किसी भी तरह का हिंसक विरोध मंजूर नहीं. जो भी हिंसा के जरिए विरोध करने की कोशिश कर रहा है, वह पूरे प्रोटेस्ट का ही दुश्मन है. विरोध होना ही चाहिए लेकिन यह सफल तब होता है जब शांतिपूर्ण तरीके से किया जाए.
छात्रों ने फूल दे कर दिल्ली पुलिस का बढ़ाया मान
इसके अलावा हिंसक विरोध में कुछ पल ऐसे भी आए जब विरोध कर रहे लोगों ने सबको यह सीख दी कि शांतिपूर्ण तरीके से भी विरोध किया जा सकता है.
Delhi: Locals offer roses to Delhi Police PRO MS Randhawa and other senior Police officers at Jama Masjid pic.twitter.com/lJGoLUveh8
— ANI (@ANI) December 20, 2019
जंतर मंतर पर लोगों ने दिल्ली पुलिस को गुलाब का फूल दिया और उनके सामने गीत गा कर साथ आने की अपील की. वे सभी छात्र थे. उन्होंने गुलाब देते हुए कहा हम युवा हैं बात करेंगे ना कि मुक्का लात करेंगे, दिल्ली पुलिस बात करो, तुम हमारे साथ चलो.
इसके बाद तो जैसे माहौल बिल्कुल ही अलग था. छात्र जहां एक और शांतिपूर्ण तरीके से कानून का विरोध कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर पुलिस मोर्चा संभाले चुपचाप खड़ी थी.