तिरुवनंतपुरम: सन् 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी. इसके ठीक 2 साल बाद 1927 में संघ के उस समर्पित और त्यागवान पुरुष का जन्म हुआ जिसने भारत से लेकर पूरी दुनिया में संघ के प्रसार और उसके सघर्षों को अपनी आंखों से न सिर्फ देखा बल्कि राजनीतिक आघातों को सहते हुए अपना पूरा जीवन संघ को समर्पित कर दिया. हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सबसे वरिष्ठ प्रचारकों में से एक पी. परमेश्वरन की बात कर रहे हैं जिन्होंने आज इस नश्वर शरीर को त्याग दिया.
Shri P Parameswaran was a proud and dedicated son of Bharat Mata. His was a life devoted to India’s cultural awakening, spiritual regeneration and serving the poorest of the poor. Parameswaran Ji’s thoughts were prolific and his writings were outstanding. He was indomitable!
— Narendra Modi (@narendramodi) February 9, 2020
अलपुझा में होगा अंतिम संस्कार
पी परमेश्वरन ने रात 12 बजकर 10 मिनट पर अंतिम सांस ली. कोच्ची के मुख्यालय में उनके पार्थिव शरीर को रखा जाएगा . रविवार सुबह से ही लोग उनका अंतिम दर्शन करेंगे. उनके जन्मस्थान अलपुझा के मुहम्मा में ही उनका अंतिम संस्कार रविवार शाम किया जाएगा.
अटल जी के सच्चे मित्र थे परमेश्वरन
परमेश्वरन जनसंघ के दिनों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेताओं के साथ काम किया था. बताया जाता है कि परमेश्वरन अटल जी के कुछ चुने हुए सबसे सच्चे मित्रों में से एक माने जाते थे. भारत माता के प्रति सर्वस्व बलिदान करने की अदम्य इच्छाशक्ति की महान भावना उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी से ही सीखी थी.
2018 में मिल चुका है देश का दूसरा सर्वोच्च सम्मान
साल 2018 में पी.परमेश्वरन को देश के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है. इसके पहले साल 2004 में इनके पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था. परमेश्वरन भारतीय विचार केंद्र के संस्थापक निदेशक भी रहे हैं. आपात काल के दिनों में ऑल इंडिया सत्याग्रह के लिए उन्हें 16 महीने के लिए जेल भी हुई थी.
आडवाणी कहते हैं राष्ट्रवाद के विचार पुरुष
संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी के नेता पी परमेश्वरन को परमेश्वर जी के नाम से बुलाते थे. परमेश्वरन एक दिग्गज लेखक, कवि, शोधकर्ता और प्रसिद्ध संघ विचारक रहे हैं. परमेश्वरन 1967 से 1971 के बीच भारतीय जनसंघ के सचिव रहे हैं. साल 1971 से 1977 तक के बीच वे उपाध्यक्ष रहे हैं. इसके साथ ही वे दीन दयाल शोध संस्थान के निदेशक भी रहे हैं. उनका यह कार्यकाल साल 1977 से 1982 के बीच का रहा. परमेश्वरन को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जी राष्ट्रवाद के विचार पुरुष मानते हैं. उन्होंने केरलवासियों में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए 1982 में ‘भारतीय विचार केंद्रम्’ की स्थापना की थी.
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