नई दिल्ली: राजनीति में एक कहावत बड़ी मशहूर है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ हो कर जाता है. ये कहावत केन्द्र की सियासत में ये यूपी की धमक को बताती है, लेकिन इस बार जब जंग लखनऊ की है तो आप कह सकते हैं कि लखनऊ का रास्ता अयोध्या होकर जाएगा. दरअसल 2022 में सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए सभी दलों में होड़ मची है और सबको इसका रास्ता राम की पावन नगरी अयोध्या के जरिए ही नजर आ रहा है.
BSP के सम्मेलन में पहली बार जय श्री राम की गूंज
यूपी में सत्ता तक पहुंचने के लिए मायावती की बीएसपी को भी राम की याद आ रही है, कल तक जो पार्टी अयोध्या से राजनीतिक दूरी बनाए रखना चाहती थी. उसे राम की नगरी से जीत का रास्ता निकलता नजर आ रहा है यही वजह है कि बीएसपी ने अपने प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत अयोध्या से की है.
सम्मेलन का मकसद भले ही ब्राह्मण वोट बैंक साधना हो लेकिन बीएसपी को पता है कि प्रभु राम के आशीर्वाद के बिना ये मुश्किल है बीएसपी राम की शरण मे आकर पूरी तरह राममय हो गई है, मंदिर निर्माण के बाद पहली बार बीएसपी का काफिला अयोध्या पहुंचा. ब्राह्मण सम्मेलन से पहले बीएसपी के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने राम लला के दर्शन किए पूजा अर्चना की.
सतीश चंद्र मिश्रा खुद को जनेऊधारी बताते हुए कहा कि अयोध्या और श्रीराम बीजेपी की ठेकेदारी नहीं हैं. यह पहली बार है जब अयोध्या में बसपा ने इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया. इस सम्मेलन के नाम पर बसपा ने हिंदुओं को रिझाने की कोशिश की है.
हाथी को लेकर बीएसपी महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा ने फिर से नारा दोहराया यह हाथी नहीं, गणेश है. ब्रह्मा, विष्णु, महेश है. लेकिन सबसे अहम रहा बीएसपी के मंच से जय श्री राम का नारा लगना. सम्मेलन की शुरुआत वैदिक मंत्रों से हुई तो अंत जय श्रीराम के नारों से.
अखिलेश यादव की अयोध्या वाली दौड़
चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की मंदिर मंदिर दौड़ शुरू हो चुकी है, बीएसपी ने जहां राम की नगरी से ब्राह्मण सम्मेलन की शुरूआत की वहीं अखिलेश यादव भी जल्द अयोध्या प्रभु राम की शरण में आने वाले हैं.
समाजवादी पार्टी बीजेपी पर राम के नाम पर सियासत करने का आरोप लगाती रही है रघुवंशी राम बनाम यदुवंशी कृष्ण की सियासत करने वाली समाजवादी पार्टी इस बार खुद अयोध्या पर फोकस कर रही है. सपा नेता और अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडेय का कहना है कि 'संसद के सत्र के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पूरे राज्य का दौरा शुरू करेंगे और अयोध्या भी आएंगे.'
जब मुलायम के बयान पर मचा था बवाल
2017 में जब योगी सरकार ने अयोध्या में प्रभु राम की विशाल प्रतिमा का प्रस्ताव रखा था तो उसके जवाब में अखिलेश यादव ने सैफई में भगवान कृष्ण की विशाल मूर्ति लगवाने का ऐलान किया था, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने यह कह कर राम बनाम कृष्ण के विवाद को और हवा दे दी थी जब उन्होंने कह दिया था कि भगवान राम सिर्फ उत्तर भारत में पूजे जाते हैं.
जबकि कृष्ण हर जगह पूजे जाते हैं सपा संरक्षक के इस बयान से राजनीतिक गलियारे में भूचाल आ गया था. सियासत के लिए राम और कृष्ण की इस तरह की तुलना से साधु संतो में भी काफी नाराजगी देखने को मिली थी.
फिर राम की शरण में पहुंची बीजेपी
बीजेपी के लिए राम क्या हैं और कितने अहम है ये बताने की जरूरत नहीं.. राम मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक बीजेपी की राजनीति के केंद्र में राम ही रहे हैं और राम नाम का फायदा भी उसे मिला है. 1989 में बीजेपी ने जब पहली बार अयोध्या में बाबरी मसजिद की जगह राम मंदिर बनाने का मुद्दा उठाया था, तब 1984 में जीती 2 सीटों से बढ़कर 86 सीटों तक पहुंच गई थी.
अयोध्या और प्रभु राम के मुद्दे ने 1991 में पहली बार यूपी में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाई थी. 2017 में यूपी में मिली प्रचंड जीत में भी राम और हिंदुत्व कार्ड का अहम रोल रहा था. 2022 के चुनाव से पहले भी बीजेपी अयोध्या पर ध्यान केंद्रित कर रही है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ पिछले साढे 4 साल में 20 बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं.
नए इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन और रामायण सर्किट के तहत अन्य कई प्रोजेक्ट्स के जरिए बीजेपी सरकार अयोध्या को पूरी दुनिया के सामने धार्मिक और विकसित शहर के तौर पर पेश करना चाहती है जून में खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में यूपी सरकार की ओर से किए गए विकास कार्यों की समीक्षा की थी.
BJP अयोध्या में चला सकती है 'योगी कार्ड'
माना जा रहा है कि साल 2022 में होने वाले यूपी चुनाव में सीएम योगी अयोध्या से ताल ठोक सकते हैं. बीते दिनों में योगी अयोध्या का दो दर्जन से ज्यादा बार दौरा कर चुके हैं. अयोध्या के वर्तमान विधायक वेद प्रकाश गुप्ता योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार भी हैं, वेद प्रकाश कहते हैं कि मुख्यमंत्री अगर अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे तो यह हमारे और अयोध्यावासियों के लिए सौभाग्य की बात होगी.
दरअसल, हिंदु वोट बैंक को लेकर बीएसपी, सपा, कांग्रेस सबकी रणनीति के केंद्र में अयोध्या के आ जाने के बाद बीजेपी उनसे एक कदम आगे बढ़कर बड़े नेता को अयोध्या से चुनाव लड़ाना चाहती है. इससे आस पास की सीटों पर भी उसे फायदा मिल सकता है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिलहाल विधान पार्षद हैं. उनका एमएलसी का कार्यकाल सितंबर 2022 में समाप्त हो रहा है.
अयोध्या से होगा कांग्रेस का बेड़ा पार?
धर्म की सियासत से खुद को दूर रखने का दावा करने वाली कांग्रेस को भी वोट की खातिर अपना राजनीतिक चोला बदलने को मजबूर होना पड़ा है चुनावों से पहले राहुल गांधी का खुद को जेनऊधारी और अपना गोत्र बताना सुर्खियों में रहा था.
आपको याद होगा 2019 के चुनाव के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने फैजाबाद से अयोध्या तक 47 किलोमीटर लंबा रोड शो किया था और हनुमानगढ़ी पहुंच कर पूजा अर्चना की थी. इस साल प्रयागराज में माघ महीने में संगम में डुबकी भी लगाई थी.
माना जा रहा है कि अयोध्या और प्रभु राम को लेकर जिस तरह सभी सियासी दलों में होड़ लगी है कांग्रेस उसमें पिछड़ना नहीं चाहेगी. इसलिए आने वाले कुछ दिनों में कांग्रेस के दिग्गजों का भी अयोध्या दौरा देखने को मिल सकता है. अयोध्या 2022 के सफर का अहम स्टोपेज बन चुका है जहां हर राजनीतिक दल की गाड़ी का रूकना जरूरी हो गया है, अब देखना है कि श्रीराम के आशीर्वाद से किसकी गाड़ी लखनऊ तक पहुंचती है.
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