देहरादूनः उत्तराखंड के चमोली जिले में पिछले दिनों जिस ऋषि गंगा में ग्लेशियर के टूटने से भारी तबाही आई थी उसी नदी के उद्गम स्थल पर अभी भी ग्लेशियर में दरारें पड़ी हुई हैं. इससे स्थानीय ग्रामीणों को अभी भी अनहोनी की आशंका बनी हुई है. ग्रामीणों ने ग्लेशियर इलाके का भ्रमण कर प्रशासन को भी यह जानकारी दे दी है.
जिलाधिकारी ने कहा जांच होगी
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि बीते दिनों हुई बारिश से ऋषि गंगा के जलस्तर में बढोत्तरी हुई थी, तब क्षेत्र को अलर्ट कर दिया गया था, यदि अभी भी ग्लेशियरों में हलचल हो रही है तो उसे दिखवाया जाएगा. नीती घाटी के रैणी क्षेत्र में बहने वाली ऋषि गंगा के उद्गम स्थल पर ग्लेशियरों में दरारें आ गई हैं, जिससे यहां खतरा अभी टला नहीं है. ग्रामीणों ने ऋषि गंगा के ऊपरी इलाकों में कभी भी ग्लेशियर खिसकने की आशंका जताई है.
ग्रामीणों ने किया आगाह
ग्रामीणों की एक टोली ने ऋषि गंगा के उद्गम स्थल में जाकर कि यहां ग्लेशियरों में दरारें पड़ी हुई हैं. ग्रामीण पूरण सिंह राणा, युवक मंगल दल अध्यक्ष प्रकाश राणा, पुष्कर राणा, प्रिया राणा और बबीता ने बताया कि ऋषि गंगा में जिस ग्लेशियर के टूटने से जलप्रलय की स्थिति उत्पन्न हुई, वहां अभी भी ग्लेशियर में दरारें पड़ी हुई हैं, जिससे अभी भी खतरा टला नहीं है. ग्रामीणों ने ग्लेशियर प्वाइंट के ठीक दूसरी तरफ रोठी बुग्याल से ग्लेशियर का निरीक्षण किया.
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ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से ग्लेशियरों की रेगुलर मॉनेटरिंग करने की मांग उठाई है.वहीं जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि ग्लेशियर की पूरी जानकारी शासन को दी गई है और जल्दी ही वहां देखने के लिए भूगर्भीय वैज्ञानिकों टेक्निकल लोगों को भेजा जाएगा की दरार आने की बात सही है या नहीं
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फरवरी में नदियों ने मचाई थी तबाही
फरवरी में चमोली जिले की ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में आई जबरदस्त बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी . बाढ़ में जहां रैंणी में स्थित ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी वहीं तपोवन क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी की तपोवन—विष्णुगाड परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा था . बाढ़ में 200 से ज्यादा लोग लापता हो गए थे जिनकी तलाश के लिए चलाए गए अभियान के बाद अब तक 80 शव और 35 मानव अंग बरामद हुए हैं .
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