Uttarkashi Tunnel Rescue: हाई-टेक मशीनें हुईं विफल तो शुरू हुई Rat-Hole माइनिंग...जानें क्या है ये तकनीक और क्यों प्रतिबंध के बाद भी हो रहा यूज?

 What is rat hole mining?: रैट-होल माइनिंग एक ऐसी ड्रिलिंग है, जो एक थका देने वाला काम है और खुदाई करने वालों को बारी-बारी से खुदाई करनी पड़ती है.हाथों से यूज किए जाने वाले उपकरणों की मदद से ये खुदाई करते हैं.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Nov 28, 2023, 02:09 PM IST
  • 2014 में रैट-होल माइनिंग पर प्रतिबंध लगा था
  • विशेषज्ञ बोले- रैट-होल माइनिंग नहीं बल्कि तकनीक के विशेषज्ञ काम पर लगे
Uttarkashi Tunnel Rescue: हाई-टेक मशीनें हुईं विफल तो शुरू हुई Rat-Hole माइनिंग...जानें क्या है ये तकनीक और क्यों प्रतिबंध के बाद भी हो रहा यूज?

Uttarkashi tunnel rescue, Rat Hole Tunnel in hindi: देश के लोगों को जल्द खुशखबरी मिल सकती है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूर जल्द बाहर आने वाले हैं. लंबे समय से चल रहे ऑपरेशन के दौरान हाई-टेक और विदेशों से लाई गई मशीनों के खराब होने के बाद उत्तराखंड सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों की मदद के लिए कुछ नए प्रयास किए गए. इनमें प्रतिबंधित माइनिंग प्रेक्टिस भी शामिल है.

चुनौतीपूर्ण अभियान के अंतिम चरण में 25 टन की ऑगर मशीन के विफल हो जाने के बाद फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए रैट-होल (Rat-Hole) माइनिंग का काम शुरू हुआ. मैन्युअल ड्रिलिंग की इस टेक्नॉलॉजी ने अच्छा काम किया और तेजी से खुदाई की. अब रैट माइनर्स श्रमिकों से केवल कुछ मीटर की दूरी पर हैं जो 17 दिनों से फंसे हुए हैं. तो आखिर सवाल उठता है कि ये रैट माइनिंग क्या है और क्यों बैन के बाद भी इसका इस्तेमाल किया गया?

रैट-होल माइनिंग क्या है?
रैट-होल माइनिंग का मतलब चूहों की तरह बहुत छोटे-छोटे गड्ढे खोदना होता है. यह 4 फीट से अधिक चौड़े नहीं होते. यह एक तरीके से कोयला निकालने की एक विधि है. जब खान खोदनेवाला व्यक्ति एक बार जब कोयले की लाइन तक पहुंच जाता है तो तब कोयला निकालने के लिए बगल में ऐसी छोटी-छोटी सुरंगें बनाई जाती हैं.

निकाले गए कोयले को पास में ही डंप कर दिया जाता है और बाद में राजमार्गों के माध्यम से उन्हें ले जाया जाता है. रैट-होल माइनिंग में, श्रमिक खदानों में प्रवेश करते हैं और खुदाई करने के लिए हाथ से इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण यूज किए जाते हैं.

मेघालय में सबसे आम तरीका
यह मेघालय में खनन का सबसे आम तरीका है, जहां कोयले की परत बहुत पतली है तो ऐसे में कोई भी अन्य तरीका जोखिम भरा हो सकता है. सुरंगों का छोटा आकार होता है तो इनमें बच्चों को काम पर लगाया जाता है, जो कि काफी खतरनाक काम है और ऐसे राज्य में जहां आजीविका के लिए सीमित विकल्प हैं, तो वहां कई लोग जोखिम भरे काम के लिए कतार में खड़े रहते हैं. कई बच्चे ऐसी खदानों में काम पाने के लिए खुद को वयस्क भी बताते हैं.

रैट-होल माइनिंग पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैज्ञानिक होने के कारण 2014 में रैट-होल माइनिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अब भी यह बड़े पैमाने पर जारी है. पूर्वोत्तर राज्य में कई दुर्घटनाएं रैट-होल माइनिंग की वजह हुई. वहां श्रमिकों सहित कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. 2018 में, अवैध खनन में शामिल 15 लोग बाढ़ वाली खदान के अंदर फंस गए थे. दो महीने से अधिक समय तक चले बचाव अभियान के दौरान केवल दो शव ही बरामद किये जा सके.

ऐसी ही एक और दुर्घटना 2021 में हुई जब पांच खनिक बाढ़ वाली खदान में फंस गए. बचाव दल द्वारा एक महीने के बाद अभियान बंद कर दिया गया था. वहां भी नुकसान झेलना पड़ा था. अभियान को बंद करते समय केवल तीन शव भी मिल पाए गए थे. वहीं, इस तरह की माइनिंग से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है.

हालांकि, खनन राज्य सरकार के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है. मणिपुर सरकार ने एनजीटी के प्रतिबंध को यह तर्क देते हुए चुनौती दी है कि इस क्षेत्र के लिए खनन का कोई अन्य व्यवहार्य विकल्प नहीं है. 2022 में मेघालय उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक पैनल ने पाया कि मेघालय में रैट-होल माइनिंग बेरोकटोक जारी है.

उत्तराखंड ऑपरेशन

एक अमेरिकी बरमा मशीन द्वारा मलबे को काटने में विफल रहने के बाद फंसे हुए श्रमिकों के बचाव के लिए यह गैरकानूनी टेक्नॉलॉजी काम में लाई गई. इस कार्य के लिए विशेषज्ञों की दो टीमों, कुल 12 लोगों को दिल्ली से भेजा गया है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि लाए गए लोग रैट-होल माइनिंग नहीं बल्कि तकनीक के विशेषज्ञ थे.

विशेषज्ञों में से एक, राजपूत राय ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि एक आदमी ड्रिलिंग करता है, दूसरा मलबा इकट्ठा करता है और तीसरा उसे बाहर निकालने के लिए ट्रॉली पर रखता है. इस प्रकार अभियान जारी है. इस प्रकार की ड्रिलिंग एक थका देने वाला काम है और खुदाई करने वालों को बारी-बारी से खुदाई करनी पड़ती है.

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