वाराणसी: भारत की आध्यात्मिक राजधानी, एक क्लिक में जानिए सबकुछ

आध्यात्म नगरी बनारस को मंदिरों का शहर या टेंपल सिटी भी कहा जाता है, वाराणसी में ऐसी कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं से जुड़े स्थान हैं, जिसके बारे में आपको बताते हैं.

Written by - Himadri Garg | Last Updated : Aug 1, 2022, 02:09 PM IST
  • मंदिरों के शहर बनारस को जानिए
  • ये हैं काशी के ऐतिहासिक धरोहर
वाराणसी: भारत की आध्यात्मिक राजधानी, एक क्लिक में जानिए सबकुछ

नई दिल्ली: वाराणसी को भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक राजधानी कहा जाता है, क्योंकि यहां हजारों मंदिर हैं, जिनमें से कई प्राचीन हैं. इस शहर को प्यार से बनारस और काशी भी कहा जाता है, यह शहर उत्तर भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित है, जो राजधानी लखनऊ से सड़क मार्ग से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर है.

वेटिकन सिटी का हिंदू संस्करण है बनारस?

बनारस को वेटिकन सिटी का हिंदू संस्करण भी कहा जा सकता है. मंदिरों के शहर बनारस में ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं के कई सारे प्रमाण हैं. हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए ये शहर एक बड़ा आकर्षण केंद्र है, आपको इस रिपोर्ट के जरिए हम बता रहे हैं कि वाराणसी शहर के कौन-कौन से सबसे महत्वपूर्ण मंदिर हैं, जो इस शहर की प्राचीनता को पेश करते हैं.

1. काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्‍वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ है.

काशी विश्वनाथ कारीडोर के निर्माण के बाद से इस पवित्र स्थान की भव्यता और भी बढ़ गई है. 13 दिसंबर 2021 पीएम मोदी ने इसका लोकार्पण किया था. बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए यहां दूर-दराज से लोग आते हैं.

2. अन्नपूर्णा देवी मंदिर
बनारस में ही अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है. अन्नपूर्णा देवी शाकम्भरीशाकम्भरी के नाम से भी विख्यात हैं. काशी मे माता अन्नपूर्णा की पूजा-अर्चना के लिए भी लोग दूर-दूर से आते हैं. खास बात ये है कि बनारस में काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता अन्‍नपूर्णा का मंदिर स्थित है. इन्‍हें तीनों लोकों की माता माना जाता है.

ऐसा कहा जाता है कि माता अन्नपूर्णा ने स्‍वयं भगवान शिव को खाना खिलाया था. इस मंदिर की दीवार पर चित्र बने हुए हैं. एक चित्र में देवी कलछी पकड़ी हुई हैं.

3. भारत माता मंदिर
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित, भारत का पहला और सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक भारत माता को समर्पित है. मंदिर का निर्माण 1936 में एक महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू शिव प्रसाद गुप्ता द्वारा किया गया था. गुरु नानक नगर कॉलोनी चेतगंज के कैंटन रोड पर स्थित, मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन यह भारत के एक राहत मानचित्र के आसपास केंद्रित है. मंदिर पूरे दिन सुबह 9 बजे से रात 8:30 बजे तक खुला रहता है.

4. संकट मोचन मंदिर
वाराणसी को भारत की आध्यात्मिक राजधानी बनाने वाले कुछ मंदिरों की हमारी सूची में अगला मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, जो पवन पुत्र हैं और सभी मुसीबतों के नाश करने वाले के रूप में पूजे जाते हैं (जिन्हें 'संकट मोचन' नाम दिया गया है) अस्सी नदी के पास स्थित, इस मंदिर का निर्माण 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में एक अन्य स्वतंत्रता सेनानी और उनके समय के अग्रणी शिक्षाविदों में से एक, श्री मदन मोहन मालवीय द्वारा किया गया था, जिसे अब साकेत नगर कॉलोनी कहा जाता है.

इस मंदिर की मुख्य मूर्ति को गेंदे के फूलों से सजाया जाता है. भगवान हनुमान को समर्पित अधिकांश मंदिरों की तरह मंगलवार या शनिवार को इस मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है. या विशेष रूप से दिवाली, हनुमान जयंती, राम नवमी, दशहरा, आदि जैसे रामायण की घटनाओं से संबंधित त्योहारों पर लोगों का जात्था देखने को मिलका है. बेसन के लड्डू यहां प्रसाद के रूप में परोसे जाते हैं. मंदिर में बंदरों को खाना खिलाना शुभ माना जाता है. मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है और पूरे दिन 9:30 बजे तक खुला रहता है.

5. कनक दुर्गा मंदिर
भेलूपुर में आनंद बाग के दुर्गाकुंड रोड पर स्थित कनक दुर्गा मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है. माता दुर्गा ने ने महिषासुर का वध किया था. जानकारी के अनुसार मंदिर 18वीं शताब्दी से उत्तर भारत की प्रसिद्ध नगर शैली में निर्मित बहु-स्तरीय मीनारों से सुशोभित है. हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित अधिकांश मंदिरों की तरह, मंदिर सुबह 6 बजे से 10:30 बजे तक खुला रहता है, नवरात्रि के दौरान यहां भारी भीड़ देखी जाती है.

6. संकटा देवी मंदिर
संकटा देवी मंदिर वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का हिंदू धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है और यह देवी संकटा देवी (खतरे की देवी) को समर्पित है. मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में बड़ौदा के राजा द्वारा किया गया था.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

सवाल: बनारस कब जाना चाहिए?
जवाब: वाराणसी का दौरा पूरे वर्ष किया जा सकता है और तीर्थयात्रियों द्वारा त्योहारों, विशेषकर नवरात्रों के अवसरों पर सबसे अच्छा देखा जाता है. ठंड के महीने, अक्टूबर से मार्च तक अच्छ मौसम में इस शहर का आनंद लिया जा सकता है. उत्सव के अवसरों पर बनारस में भारी भीड़ होती है.

सवाल: क्या बनारस घूमने के लिए मंदिर ही हैं?
जवाब: मंदिर वाराणसी की लोकप्रियता का मुख्य स्रोत हैं, लेकिन यहां के गंगा घाट भी काफी प्रख्यात हैं. घूमने के लिए विस्मयकारी घाटों के साथ-साथ कई संग्रहालय भी हैं. रामनगर का किला और काशी की पुरानी विरासतों में अक्सर सैलानी पहुंचते हैं.

सवाल: वाराणसी में कहां ठहरें?
जवाब:
इस शहर में सभी प्रकार के आवास विकल्प हैं, प्रीमियम से लेकर बजट होटल, साथ ही कई धर्मशालाए भी हैं.

सवाल: वाराणसी कैसे पहुंचे?
जवाब:
बनारस एक प्रमुख धार्मिक शहर है, ऐसे में यहां कनेक्टिविटी की कोई समस्या नहीं है. इस शहर में एयपोर्ट, कई प्रमुख रेलवे स्टेशन और बस अड्डे हैं. हैं, जो इस शहर को देश के सभी प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं. शहर में अच्छी सड़क संपर्क भी है.

यदि इस लेख के बाद भी आपके मन में कोई सवाल या शंका हो तो वे बेझिझक कमेंट के जरिए पूछ सकते हैं. वाराणसी एक सुंदर शहर है जो अक्सर आने वाले सभी लोगों के लिए एक शांत धार्मिक अनुभव होगा.

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